Essay on Family Planning in Hindi परिवार नियोजन पर निबंध

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Essay on Family Planning in Hindi

परिवार नियोजन और परिवार कल्याण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। बिना नियोजित परिवार के इसकी उन्नति, समृद्धि और विकास असम्भव है। व्यक्तियों से परिवार बनते हैं और परिवारों से देश तथा समाज। इस प्रकार व्यक्ति तथा परिवार को नियोजित व सीमित रखा जाए, उसको आकार में सीमा से अधिक न बढ़ने दिया जाये। परिवार के सदस्यों की संख्या हर हालत में सीमित रखी जाये।

भारत प्रगति के पथ पर अग्रसर है। यह एक प्रगतिशील देश है। आशा की जाती है कि आने वाले कुछ वर्षों में यह एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बन जायेगा और इसकी गिनती विश्व के महान राष्ट्रों-अमेरिका, रूस, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन में होने लगेगी। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने ज्ञान-विज्ञान के सभी क्षेत्रों में आशातीत प्रगति की है। अंतरिक्ष, संचार, कम्प्यूटर, चिकित्सा, तकनीकी शिक्षा, कृषि, अनुसंधान, अन्वेषण, व्यापार, पर्यटन आदि सभी क्षेत्रों में विकास दर संतोष जनक रही है। परन्तु सत्य यह है कि अभी सच्चे संतोष या आत्मप्रशंसा की स्थिति नहीं है। अभी इन क्षेत्रों में बहुत कुछ किया जाना शेष है। इन क्षेत्रों में हमारी प्रगति और विकास की दर वह नहीं है जो होनी चाहिये थी। इसका प्रमुख कारण हमारी लगातार और तीव्रगति से बढ़ती हुई जनसंख्या है। यह जनसंख्या विस्फोट असाधारण है और चिन्ता का मूल कारण।

भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। संसार में प्रत्येक छठा या सातवां व्यक्ति भारतीय है। इसके अतिरिक्त हमारी जनसंख्या में प्रति वर्ष एक नया आस्ट्रेलिया जुड़ता जा रहा है। यदि यही गति रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत जनसंख्या में चीन को भी पीछे छोड़ देगा और संसार का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जायेगा। यह एक बड़ी विषम स्थिति है इससे हमारे सभी संसाधनों पर बहुत अधिक दबाव बढ़ता जा रहा है। हमारे प्राकृतिक और दूसरे संसाधन सीमित हैं। वे तेजी से घट रहे हैं। मांग और आपूर्ति में एक बहुत बड़ा असंतुलन पैदा हो गया है। जिस गति से हमारी जनसंख्या बढ़ रही है उसी अनुपात में हमारे संसाधन नहीं बढ़ रहे, बल्कि वे घट रहे हैं।

असीमित जनसंख्या का अर्थ है – गरीबी, बेकारी, असंतोष और अशिक्षा। एक युग था जब पुत्र-पुत्रियां माता के दिव्य गहने माने जाते थे। अधिक संतान होना बड़े भाग्य और सुख-संतोष की बात मानी जाती थी। उस समय अनेक नवजात शिशु प्रसवकाल में ही मर जाते थे, अनेक बार माताएं भी मर जाती थीं। बचपन में शिशुओं की मृत्यु दर भी ऊंची थी। उस पुराने जमाने में एक स्त्री या पुरुष की औसत आयु 40-45 वर्ष से अधिक नहीं होती थी। परन्तु अब परिस्थितियां बदल गई हैं। चेचक आदि कई महामारियों पर हमने विजय पा ली है। अनेक रोग अब उतने घातक नहीं रहे हैं। चिकित्सा और शल्य-चिकित्सा क्षेत्र में चमत्कारी उपलब्धियां प्राप्त की गई हैं। आज एक व्यक्ति की औसत उम्र 70 वर्ष के लगभग है। वद्धों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही हैं। इन सभी कारणों और स्थितियों ने मिलकर परिवार नियोजन को एक राष्ट्रीय जरूरत बना दिया है।

परिवार नियोजन का अर्थ है कि एक स्त्री-पुरुष युगल के मात्र एक या दो संतान हों, इससे अधिक नहीं। वे चाहे लड़के हों या लड़कियां। चीन में स्त्री-पुरुष एक युगल को एक ही संतान पैदा करने की अनुमति है। इस नियम का वहां बड़ी सख्ती से पालन किया जाता है।

अधिक संतान पैदा करने का सबसे अधिक कुप्रभाव माताओं पर पड़ता है। वे इसके कारण असमय ही बूढी हो जाती हैं, अस्वस्थ रहने लगती हैं और कुपोषण का शिकार हो जाती हैं अत: उनका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं रहता। परन्तु स्त्रियां ही अधिक, शैक्षिक व सामाजिक दृष्टि से हमारे समाज की सबसे उपेक्षित और कमजोर कड़ी है। उनका आज भी खुले आम शोषण हो रहा है। शिक्षा के अभाव में उन में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता नहीं है। वे परिवार नियोजन के बारे में कुछ नहीं जानती। कन्याओं का अब भी छोटी उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है। उन्हें परिवार पर बोझ माना जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है। अत: आज नारी शिक्षा व नारी सशक्तिकरण की परम आवश्यकता है। स्त्रियों की उचित शिक्षा, प्रशिक्षण, आर्थिक सुरक्षा और जागरूकता के बिना परिवार नियोजन को सफल बनाना संभव नहीं है।

परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता तो बढ़ी है परन्तु अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। राज्य सरकारें तथा केन्द्र सरकार इस ओर प्रशंसनीय प्रयास कर रही हैं। बजट का पर्याप्त हिस्सा परिवार नियोजन, मातृ एवं शिशु कल्याण, ग्राम-स्वास्थ्य आदि पर खर्च किया जा रहा है परन्तु इनका पूरा लाभ गांवों के निम्नतम स्तर तक नहीं पहुंच पा रहा है। बीच में ही बिचौलिये इन्हें हड़प लेते हैं।

लड़के तथा लड़कियों की विवाह के सम्बन्ध में आयु सीमा तो निश्चित है। परन्तु नियमों का सख्ती से पालन नहीं होता। राजस्थान जैसे प्रदेश में तो ग्रामीण क्षेत्रों में बाल-विवाह आज भी एक आम बात है। आवश्यकता इस बात की है कि परिवार कल्याण और परिवार नियोजन कार्यक्रमों और योजनाओं को युद्ध स्तर पर पूरी तत्परता और प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जाए।

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