हीरे की आत्मकथा Heere Ki Atmakatha in Hindi – Hire or Diamond Autobiography
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हीरे की आत्मकथा
हीरे की आत्मकथा 400 Words
मेरा जन्म मध्य प्रदेश के पन्ना गांव में हुआ। यह इलाका हीरो की खानों के लिए मशहूर है। मुझे पन्ना की एक खदान से निकला गया, साफ़ किआ गया और तराशा गया। तब मुझे यह सुन्दर और आकर्षक रूप मिला। जन्म के बाद मैं एक व्यापारी के हाथ में पढ़ गया। उसने मुझे संभालकर छिपा रखा। लेकिन एक दिन एक चतुर चोर ने मुझे चुरा ही लिआ। उसने मुझे गंगा जी के किनारे एक गड्ढ़े में रखा। अचानक एक दिन बाढ़ आने के कारन गंगा जी मुझे बहुत दूर बहा ले गई। बाढ़ उतर जाने पर मै मिट्टी में दबकर किनारे पड़ा रहा। दिन, महीने, साल बीत गए। में आने-जाने वालो के पैरो के निचे दबता रहा। मै पीड़ा से तड़पता रहा। मेरी पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं नज़र आया। उस इलाके के बच्चे मुझ पर दौड़ते रहे और खेलते रहे। दिन-ब-दिन मुझ पर मिट्टी जमा होती गई। में शिकायत करू तो किससे?
अपने भाग्य को कोसता हुआ में चुप-चाप पड़ा रहा। भगवान से विनती करता की वह मुझपर दया करे। एक बार एक किसान ने मुझे देखा। उसने मुझे केवल एक चमकदार पत्थर समझा और मुझे अपने हल से कपडे के साथ बांध लिआ। अचानक एक दिन एक जोहरी ने मुझे उस हल पर देखा। उसने किसान से पूछा, “अरे, यह पत्थर तुमको कहा से मिला?” किसान ने बताया के वह मुझे गंगा जी के किनारे से उठा लाया था। जोहरी में मुझे 250 रुपयों में खरीदा। उसने मुझे एक चाँदी के डब्बे में बंद कर दिया। जोहरी ने मेरा मूल्य बहुत ही कम लगाया था। जोहरी को हीरे की उत्तम परख होते हुए भी उसने मेरा मूल्य नहीं जाना। इस बात का मुझे बहुत दुःख हुआ। घर आकर उसने ख़ुशी से डिब्बा खोला तो मुझे टुकड़ो में पाया। वह बहुत दुखी हुआ।
मेने जोहरी से कहा “मेने आदर भी पाया और निरादर भी।” व्यापारी ने मुझे संभालकर रखा। चोर ने अपने प्राणो को संकट में डालकर मुझे अपनाया। किसान ने बड़े प्यार से मुझे हल पर बाँधा। लेकिन उसने सिर्फ 250 रुपयों के लिए आपको बेचा। अब आपके पास आने के बाद मेरा बहुत ही बुरा हाल है।