भूकंप पीड़ित की आत्मकथा पर निबंध Bhukamp Pidit Ki Atmakatha Essay in Hindi
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Bhukamp Pidit Ki Atmakatha
Bhukamp Pidit Ki Atmakatha Essay in Hindi 300 Words
मैं पिछले महीने अपने चाचा के घर बिहार के राजेंद्रनगर में आई थी। हम खाना खा रहे थे की अचानक गिलास में पानी हिलने लगा। पहले तो मुझे लगा की शायद कोई स्टूल (Table) को हिला रहा है, पर उसी वक़्त मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ कि जैसे कोई मुझे आगे पीछे हिला-डुला रहा हो। उसी वक़्त बहार से चीक पुकार की आवाज़े आने लगी। मेरी आंखे पंखे की तरफ गयी तो देखा की वो भी हिल रहा था, तभी समझ गए की यह भूचाल है। हम सब सीढ़ियों के जरिये निचे खुले मैदान में पहुंच गए। आस पड़ोस वाले भी सभी खुले मैदान में पहुंच गए और कुछ लोग पहुंच रहे थे। तभी 1 और जोर का झटका महसूस हुआ। तभी देखा की साथ वाला मकान गिर गया। देखते ही देखते सभी घर एक एक करके गिरते चले गए। ऐसा भयानक दृश्य देख मैं बहुत घबरा गयी थी।
लोगो की चीक पुकार और चारो तरफ अफरा तफरी मे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करे या क्या न करे। हम दिल से लोगो की मदद करना चाहते थे लेकिन भयानक भूचाल के छटके हम अभी भी महसूस कर रहे थे। सब कुछ इतना जल्दी हुआ के कुछ समझ ही नहीं पाए। 2 min बाद सब रुक सा गया पर तब तक बहुत नुकसान हो चुका था। चारो ओर मलबे के ढेर दिख रहे थे और धुएं का गुबार। थोड़ी देर मे पुलिस और डॉक्टर पहुंचने लगे। तभी मुझे पापा का फ़ोन आया और उन्होंने मेरा हाल चाल पूछा और उन्होंने मुझे हौसला दिआ। हम भी सभी की तरह 3 या 4 दिन बिना छत के सोए और समाज सेवी संस्थाओं से हमे खाना मिला। हालात ठीक होने पर में अपने घर गयी।