Child Labour Essay in Hindi बाल मजदूरी / बाल श्रम पर निबंध
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Child Labour Essay in Hindi
Child Labour Essay in Hindi 150 Words
बचपन जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा है| यह निर्दोषता और खुशी से भरा होता है। यह जीवन का हिस्सा है, जब हम सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होते हैं। कुछ परिदृश्य में यह मामला नहीं होता है, कुछ बच्चे अपने परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ के कारण भी उन्हें काम करना पड़ता है। बाल श्रम शुरूवाती उम्र में बच्चों को रोजगार देने का कार्य है। यह एक सामाजिक मुद्वा बन गया है। बाल श्रम के अस्तित्व का मुख्य कारण गरीबी है। गरीबी रेखा से नीचे के माता-पिता अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए बच्चों को अस्पष्ट स्थितियों में कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सरकार ने छात्रों को अध्ययन कराने के लिए प्रोत्सहित करने की कई नीतियाँ बनाई हैं। सरकारी स्कूल में मुफ्त शिक्षा और मिड-डे मील भी प्रदान किया जाता है। बच्चों को काम पर न रखने के लिए और शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी हम सब नागरिकों की है। बच्चे सीखने के लिए है, कमाने के लिए नहीं हैं।
Child Labour Essay in Hindi 300 Words
बाल श्रम भारत में एक बहूत बड़ी समस्या है। बाल श्रम एक अंतरराष्ट्रीय चिंता है क्योंकि यह बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचाता है। गरीबी के कारण बच्चे को अपने परिवार की मदद करने के लिए और पैसे कमाने के लिए मजबूर करता है। गरीबी के अलावा लोगों में शिक्षा की कमी और घर में पैसे की कमी के कारण गरीब माता-पिता को अपने बच्चों से बाल मजदूरी करवाने में मजबूर होना पड़ता है। बाल श्रम सबसे ज्यादा यूपी, बिहार, ओड़िसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और उत्तर-पूर्वी जैसे आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों में गंभीर समस्या है। वास्तव में बाल श्रम गरीब परिवारों के लिए आय का एक स्रोत है। बच्चे मूल रूप से घरों के आर्थिक स्तर को बनाए रखने के लिए काम करते हैं। भारत सरकार को इन जैसे गरीब बच्चों का भरण-पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना अति आवश्यक है ताकि इन बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
भारत सरकार के रिपोर्ट के अनुसार भारत देश में बच्चे दुकानों, ईंट-भट्ठों, कारखानों, खदानों और घरेलू जैसे कार्यों में करोड़ों की संख्या में बाल श्रमिक कार्यरत हैं जो एक तरह से गैर क़ानूनी अपराध है। ये एक सामाजिक समस्या है जो भारत में लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने की जरुरत है। बाल श्रम से सभी बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी भारत सरकार और देश के हर नागरिक की है।
भारत देश में कार्य कर रहे 5 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक एवं बालिका बाल श्रम के अंतर्गत आते हैं। देश में लगभग 7 करोड़ से भी अधिक बाल श्रमिक हैं जिनमें लगभग से 3 करोड़ से अधिक लड़कियाँ हैं। भारत सरकार ने बाल-श्रम को अपराध घोषित कर दिया है और बाल श्रम को जड़ से उखाड़ने के लिये सरकार ने कई सारे नियम-कानून बनाए हैं ताकि बाल श्रम को रोका जा सके।
हालाँकि बाल श्रम कानून में बड़े बदलाव करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 14 साल से कम उम्र के बच्चों को ‘जोखिम-रहित’, मनोरंजन उद्योग, खेल गतिविधियों और पारिवारिक व्यवसाय में काम करने को मंजूरी दे दी है। भारत सरकार और अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे की गरीब बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सकें। बाल श्रम को जड़ से मिटाने के लिए सरकार को और भी कड़े से कड़े नियम कानून बनाने चाहिए ताकि बच्चो का भविष्य उज्वल हो सके।
Child Labour Essay in Hindi 400 Words
किसी भी क्षेत्र में मालिकों द्वारा किसी भी बच्चो से लिया जाने वाला काम बाल मजदूरी कहलाता है। किसी बच्चे की उम्र 14 या इससे काम हे और जिसको किसी भी प्रकार का किसी भी समय काम करवाना, बाल मजदूरी के अंतर्गत अत है। भारत, पाकिस्तान, श्री-लंका, बांग्लादेश, अदि ऐसे बहुत सारे देश हे जहा के बच्चे बाल मजदूरी के दलदल में धंसते चले जाते हैं और उन्हें तिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।
विकासशील देशों में इन बच्चों का बचपन अपनी इछाओ के विरुद्ध जाकर पूरे दिन कड़ी मेहनत करते हुए ही निकल जाता है। गरीब परिवारों के बच्चे ही बाल मजदूरी की चपेट में है। बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, अपने दोस्तों के साथ खेलना भी चाहते हैं पर गरीब होने के कारण मजबूरन उन्हें पढ़ाई छोड़ कर बाल मजदूरी करनी पड़ती है, जिसके कारण उनको अपनी इच्छाओं का गला घोटना पड़ता है। शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता द्वारा कृषि में शामिल करके 5 से 14 साल तक के ज्यादातर बच्चे काम करते हैं, जो भविष्य में भी खेती-बारी का ही काम करते है और शिक्षा से दूर रहते है। बाल मजदूरी के पीछे सबसे मुख्य कारण गरीबी और स्कूलों की कमी है जिस कारण उन्हें मजबूरन अपना घर चलाने के लिए बाल मजदूरी करनी पड़ती है। इस बुराई को दुनिया से मिटाने के लिए सरकार द्वारा कदम तो उठाये जाते है किन्तु वो सरकारी फाइलों में ही बंद होकर रह जाते है।
छोटे बच्चे प्यारे और मासूम होते हैं जिनको यह भी नहीं पता होता कि वह क्या गलत और गैरकानूनी कर रहे हैं, उन्हें तो सिर्फ अपनी छोटी सी कमाई से ही खुशी मिल जाती है जिससे उनका घर बहुत मुश्किल से चलता है। इस छोटी कमाई के कारन ही बच्चो का बचपन ही नहीं उनका भविष्य भी इसी तरह छोटी कमाई से पूरे जीवन भर चलता रहता है।
विकासशील देशों में कम जागरूकता और ज्यादा गरीबी होने के कारण बाल मजदूरी का स्तर हर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। आज विश्व भर में 215 मिलियन से ज्यादा बच्चे है, जिनमे से बहुत सारे स्कूल में कॉपी-किताबों और दोस्तों के बीच नहीं बल्कि होटलो और उद्योगपतियों के घरो में झाड़ू पोछे करके बतीत होता है। आंकड़ों की बात करे तो बाल मजदूरी में भारत विश्व भर में पहले स्थान पर है, जो बहुत ही दुखदायक है। 1991 की जनगणना के हिसाब से बाल मजदूरों का आंकड़ा 11.3 मिलियन था जो 2001 में बढ़कर 12.7 मिलियन पहुंच गया।
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