CV Raman in Hindi
|Read the history of CV Raman in Hindi along with CV Raman Biography in Hindi essay. सी. वी. रमन की जीवनी, जीवन परिचय, निबंध। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए सी. वी. रमन की जीवनी हिंदी में। About CV Raman in Hindi along with
Biography of CV Raman in Hindi
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लाखों वैज्ञानिक हुए हैं, जिनकी खोजों और आविष्कारों का लाभ पूरी दुनिया आज तक उठा रही है। ऐसे ही एक वैज्ञानिक थे, सर चंद्रशेखर वेंकटरामण। वे भारत के जाने-माने भौतिकशास्त्री थे, जिन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन पर काम किया। उन्हें अपने इस आविष्कार के लिए 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन दिनों अधिकतर वैज्ञानिक विदेशों में पढ़ने जाया करते थे, क्योंकि वहाँ ज्यादा सुविधाएँ होती थीं, लेकिन सर वेंकटरामण की खास बात यह थी कि उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई भारत में रहकर ही पूरी की। वे पहले भारतीय विद्वान् थे, जिन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई भारत में की और नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उनका जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ। उनके पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर और माँ का नाम पार्वती अम्मा था। उनके पिता गणित और विज्ञान के अध्यापक थे, इसलिए उन्हें अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का बहुत अच्छा वातावरण मिला। 1904 में उन्होंने सनातक डिग्री हासिल की और भौतिकी में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उन दिनों देश में वैज्ञानिकों के लिए आगे बढ़ने के ज्यादा अवसर नहीं होते थे, इसलिए सर वेंकटरामण ने वित्त विभाग में नौकरी कर ली। इसके बावजूद विज्ञान में उनकी रुचि बनी रही। यही वजह थी कि वे कार्यालय से आने के बाद भी शोध और प्रयोग करते रहते थे।
विज्ञान से अपने इसी लगाव के कारण बाद में उन्होंने वित्त विभाग वाली नौकरी छोड़ दी और कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन गए। इन दिनों उन्होंने ऑप्टिक्स और प्रकाश के प्रकीर्णन पर बहुत काम किया। इसके लिए बाद में उन्हें नोबेल पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया। 1934 से लेकर 1948 तक उन्होंने बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान में काम किया। इसके एक साल बाद उन्होंने बैंगलोर में ही रामण रिसर्च इंस्टीट्यूट खोला, जहाँ उन्होंने तब तक काम किया, जब तक वे जीवित रहे। 21 नवंबर, 1970 को उनकी मृत्यु हो गई। सर वेंकटरामण को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारतरत्न भी शामिल है। 1928 में की गई रामण प्रभाव की खोज के सम्मान में भारत में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
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