Hello guys today we are going to discuss Doordarshan essay in Hindi. दूरदर्शन पर निबंध। What is Doordarshan? We have written an Doordarshan essay in Hindi. Now you can take an example to write Doordarshan essay in Hindi in a better way. Doordarshan essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12.
भूमिका
पुराने जमाने में नाटक, रामलीला, रासलीला आदि मनुष्य के मनोरंजन के साधन थे। टेलीविजन आधुनिक विज्ञान का चमत्कार है। टेलीविज़न वह छोटी स्क्रीन वाली मशीन है जिस पर टी. वी. स्टेशनों तथा उपग्रहों द्वारा प्रसारित कार्यक्रम देख व सुन सकते हैं। दूरदर्शन, टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण केन्द्र है। विचार विनिमय का यह एक ऐसा साधन है जो कि शिक्षा के प्रसार-प्रचार एवं मनोरंजन की दृष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। दूरदर्शन ने जीवन-शैली को बदल दिया है।
इतिहास
दूरदर्शन टेलीविज़न का समानार्थक शब्द है। Tele + Vision दो शब्दों के मेल से बना है टेलीविज़न। Tele का अर्थ है दूर, Vision का अर्थ है देखना। टेलीविज़न का आविष्कार स्काटलैण्ड के इंजीनियर जान एल. बेअर्ड ने सन् 1926 ई. में एक टेलीकैमरा बना कर किया था। सन 1936 ई. में उसका पहला प्रसारण बी.बी.सी.लन्दन ने किया। भारत में दूरदर्शन का उद्घाटन 15 सितम्बर, 1959 अक्तूबर में पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने दिल्ली में किया। 1972-1975 ई. तक बम्बई, अमृतसर, श्रीनगर, मद्रास, जालन्धर, कलकत्ता, लखनऊ आदि दूरदर्शन के केन्द्रों की स्थापना हुई। 31 मार्च 1976 तक भारतीय दूरदर्शन और आकाशवाणी एक ही थे। 1 अप्रैल 1976 को दूरदर्शन को अलग पहचान दे दी गई।
मनोरंजन से भरपूर कार्यक्रम
दूरदर्शन से प्रसारण दिन व दिन बढ़ता जा रहा है। फिल्मी गीत, समाचारों, नृत्य आदि के साथ मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद कार्यक्रमों की उपयोगिता भी समझी जाने लगी है। बच्चों को आकर्षित करने के लिए मनोरंजन और शिक्षा से भरपूर कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं।
लाभ
आज देशीय और विदेशी अनेक चैनल आ गए हैं। शक्तिशाली ट्राँसमीटरों तथा सेटेलाइट्स ने सारे देशवासियों को दूरदर्शन से जोड़ दिया जिस कारण विश्व में कहीं भी घटित होने वाली सभी खबरें शीघ्र ही सब जगह पहुँच जाती है। इसमें मौसम, राजनीति, भारतीय संस्कृति कृषि-दर्शन आदि की जानकारी मिलती है। खेल प्रतियोगिताओं जैसे क्रिकेट, हॉकी आदि के मैच किसी भी देश में हो रहे हों, का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। धर्म में आस्था रखने वालों के लिए भी 24 घण्टे कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। संसद अधिवेशन-राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी सीधा प्रसारण दूरदर्शन द्वारा किया जाता है। स्वास्थ्य, फैशन, फिल्में, धारावाहिक, नाटक, गीत-संगीत, विज्ञापन इत्यादि के प्रसारण की भरमार है। जिसमें से हर कोई अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्रम देख सकता है। अनपढ़ व्यक्ति भी दूरदर्शन द्वारा दी गई जानकारी लेकर समाज एवं चुनाव के बारे में अपने विचार एवं मत बनाने में सक्षम हो जाता है।
विज्ञापन का साधन
अनेक उद्योगपति अपनी उत्पादन वस्तुओं का दूरदर्शन के माध्यम से विज्ञापन देकर व्यापार में बढ़ोतरी करते हैं। जिससे विज्ञापन दूरदर्शन की आय का साधन बन गया है। विज्ञापनों से होने वाली आय को देखकर तो प्राइवेट चैनलों की भरमार हो रही है।
हानियाँ
युवा वर्ग पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहा है। उनकी पोशाके, खान-पान, रहन-सहन का ढंग खर्चीला होता जा रहा है। जिससे चोरी, डकैती, छीना-झपटी को बढ़ावा मिला है। छात्र टेलीविज़न के दीवाने हो गए है। वह दिन-रात, खाते-पीते, हर समय टी. वी. के सामने बैठना ही पसन्द करते हैं। जिससे न केवल उनकी पढ़ाई में बाधा पड़ी है बल्कि खेलों की तरफ, अतिरिक्त पुस्तकों की पढाई की तरफ, माँ-बाप की आज्ञा पालन से रुचि घटती जा रही है। वह किसी काम और बात की तरफ ध्यान नहीं दे पाते क्योंकि उनका ध्यान दूरदर्शन के प्रसारणों में ही रहता है। जरूरत से अधिक चैनलों के कारण दिन-रात प्रसारण चलने से उनका कीमती समय नष्ट हो जाता है। लगातार कई घण्टे टी.वी. देखने से आँखों की ज्योति पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द की शिकायत बच्चों को आमतौर पर रहती हैं जिससे छोटी आयु में भी बच्चों को चश्में लग जाते हैं।
एकता को खतरा
पहले लोग ख़ाली समय में मिलजुल कर बैठते और एक दूसरे के सुख-दुःख में काम आते थे। आज प्रत्येक शहर-गाँव, अमीर-गरीब व्यक्ति के घर में टी.वी. है वह उसी में मस्त रहता है। यहाँ तक कि बड़े शहरों में लोग अपने पड़ोसी तक को नहीं जानते। आपस में भाईचारा न होना देश की एकता के लिए ख़तरा बनता जा रहा है। माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चे विदेशी अश्लील चैनल भी देखते हैं जिससे समाज में युवा वर्ग का चरित्र पतन की ओर जा रहा है।
उपसंहार
दूरदर्शन द्वारा अपने कर्तव्य को ठीक से निभाना आवश्यक है। पक्षपातपूर्ण प्रसारण के द्वारा नैतिक मूल्यों को नहीं गिराना चाहिए। इसको समाज में सदैव निष्पक्ष होकर ही प्रसार करना चाहिए। जिससे समस्त दर्शक लाभान्वित हो सकें। सचमुच ही दूरदर्शन के आविष्कार ने संसार की दूरी को कम कर दिया है और यह एक परमोपयोगी उपकरण है।
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