Essay on Art in Hindi कला पर निबंध
|Read an essay on Art in Hindi. कला पर निबंध। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए कला पर निबंध। Essay on Art in Hindi for students. Learn an essay on Art in Hindi to score well in your exams.
Essay on Art in Hindi 400 Words
भारत एक विशाल और विविधताओं वाला देश है। यहाँ हर राज्य की अपनी संस्कृति, अपना रहन-सहन, अपना खान-पान और अपने त्योहार हैं। इसी तरह हर राज्य का कला के क्षेत्र में भी विशिष्ट योगदान है। भारत में बना मिट्टी और लकड़ी का सामान, ब्लू पॉटरी, गलीचे, कशीदाकारी वाले वस्त्र, छापे का सामान, पेपर मैशे आदि विश्वभर में जाने जाते हैं। जो भी सैलानी भारत की यात्रा पर आते हैं, वे इन्हें अवश्य खरीदते हैं। ब्लॉक प्रिंटिंग भी ऐसी ही कलाओं में से एक है, जो बरबस ही ध्यान आकर्षित कर लेती है। इसमें लकड़ी के उभरे हुए ब्लॉक्स पर फूलों आदि के छापे बने रहते हैं, जिनसे कपड़ों पर छपाई कर खूबसूरत चादरें और सूट आदि बनाए जाते हैं। आम तौर पर, सफेद या कुछ पीले-से कपड़े पर ब्लॉक प्रिंटिंग की जाती है। जयपुर के बगरू और साँगानेर, अजमेर, उदयपुर, जोधपुर और बीकानेर में यह काम किया जाता है।
इसी तरह भारत की ब्लू पॉटरी भी विश्व स्तर पर खूब पसंद की जाती है। इसमें मुल्तानी मिट्टी से बने बर्तनों की सतह को नीली और चमकदार बनाने के साथ ही उस पर विविध सुंदर डिजाइन बनाए जाते हैं। यह तकनीक मंगोल कारीगरों से होते हुए भारत पहुँची। आज भारत में बने ब्लू पॉटरी के फूलदान, बर्तन, गमले आदि सभी जगह पसंद किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, भारत के हर राज्य में मिट्टी के साधारण बर्तन, जैसे-घड़े, सुराही, दीये आदि बनाए जाते हैं। मध्य प्रदेश के बस्तर में बना मिट्टी या टेराकोटा का बना सजावटी सामान विशेष रूप से लोकप्रिय है। न केवल मिट्टी बल्कि बाँस और केन का शानदार फर्नीचर भी लोगों को खूब लुभाता है। भारत में घूमते समय आपको जगह-जगह ऐसी चीजें मिल जाएँगी। खासकर दिल्ली में आपको बाँस के बने पर्दे देखने को मिलेंगे, जिन्हें चिक कहा जाता है। सरकंडों से तैयार चटाइयाँ, मोढ़े, स्टूल, टोकरियाँ आदि भी बेहद सुंदर लगते हैं।
वहीं भारत में बना चमड़े का सामानं भी दुनिया भर में जाना जाता है। खासकर राजस्थान में बनने वाली जूतियाँ या मोजड़ियाँ खरीदे बिना तो शायद ही कोई पर्यटक राजस्थान से विदा लेता होगा। जयपुर में वेलवेट पर कशीदा कर उसे जूते पर चढ़ाया जाता है, जबकि जोधपुर में सीधे चमड़े पर ही कशीदा कर दिया जाता है। इनकी खास बात यह है कि इनमें दाएँ या बाएँ पैर के लिए अलग जूती नहीं होती, बल्कि कोई भी जूती किसी भी पैर में पहनी जा सकती है।
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