Essay on Christmas in Hindi क्रिसमस पर निबंध हिंदी में
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Essay on Christmas in Hindi 200 Words
क्रिसमस पर निबंध
क्रिश्चयन के लिए क्रिसमस एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार हैं, हालांकि दुनिया भर के अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी यह मनाया जाता है। यह एक प्राचीन त्यौहार है जो सर्दियों के मौसम में वर्षों से मनाया जाता है। यह हर साल 25 दिसम्बर को पड़ता हैं। यह यीशु मसीह की जयंती पर मनाया जाता है। क्रिसमस की मध्य रात में सांता क्लॉस द्वारा परिवार के सभी सदस्यों में उपहार वितरित करने की एक बड़ी परंपरा है। सांता रात में हर किसी के घर जाता है और सभी बच्चों को विशेष रूप से मजेदार उपहार देता है। बच्चे उत्सुकता से इस दिन और सांता के उपहार की प्रतीक्षा करते हैं। वे अपने माता-पिता से पूछते हैं कि कब सांता आएगा और आखिरकार उनकी प्रतीक्षा 12 बजे खत्म होती है कई उपहारों के साथ।
परिवार के सदस्यों, दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को मिठाई, चॉकलेट, ग्रीटिंग कार्ड, क्रिसमस पेड, सजावटी चीजे आदि जैसे उपहार देने की परंपरा भी है। लोग बड़े जुनून के साथ महीने की शुरूआत में ही तैयारी शुरू करते है। प्रत्येक व्यक्ति गायन, नृत्य, पार्टी और एक दूसरे के साथ बैठक करके क्रिसमस की छुट्टियों का आनंद लेता हैं। यीशु मसीह ईसाई धर्म के संस्थापक की जयंती पर इस उत्सव का जश्न क्रिश्चयन लोग मनाते हैं। लोग मानते हैं कि मानव जाति को बचाने के लिए यीशु मसीह को पृथ्वी पर भेजा गया था।
Essay on Christmas in Hindi 300 Words
क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। जिसे ईसाई समुदाय द्वारा ठंड के मौसम में मनाया जाता है। ईसाई समुदाय के लोग इस त्योहार को बहुत धूमधाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्योहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इसी दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। जिन्हें हम जीसस क्राइस्ट भी कहते हैं। इस दिन का ईसाई लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं।
यह त्योहार विश्वभर में फैले हुए ईसा मसीह के करोड़ों अनुयायियों के लिए पवित्रता का संदेश लाता है तथा ईसा मसीह द्वारा बताए हुए मार्गों व उच्च आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
इस त्यौहार पर सभी एक सांस्कृतिक अवकाश का लुफ्त उठाते है तथा इस दिन सभी सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कार्यालय आदि अवकाश रहता है। ताकि इस त्यौहार को धमधाम मना सकें। वैसे कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कार्यालयों में भी ये त्यौहार मनाया जाता है।
इस उत्सव को लोग बहुत उत्साह और ढेर सारी तैयारीयों तथा सजावट के साथ मनाते है। सभी लोग अपने-अपने घरों और गिरजाघरों को सजाते हैं। सभी अपने घरों में क्रिसमस ट्री रखते हैं और इसे रंगबिरंगे सितारों से सजाते हैं। क्योंकि 24 दिसम्बर को ठीक अधरात्रि (आधी रात) के बाद अर्थात 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था| रात्रि के ठीक 12 बजे लोग गिरजाघरों में प्रार्थना के लिए जाते हैं। उसके बाद क्रिसमस का त्यौहार शुरू हो जाता है। रात्रि 1 बजे से 25 दिसम्बर को बड़ा दिन शुरू हो जाता है। सभी ईसाई अनुयायी एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते है और मिठाई खिलाते हैं। इस त्यौहार का बच्चे भी बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्यूंकि क्रिसमस के पर्व के दिन सांताक्लॉज आते हैं जो बच्चों को ढेर सारा उपहार देते है। सांताक्लॉज को देख बच्चे बहुत प्रसन्न होते है। यह पर्व हमें सच्चाई और सदभावना के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Essay on Christmas in Hindi 400 Words
सोचिए, किसी दिन आप सुबह नींद से जागें और आपके तकिए के नीचे लाल-हरी चमकीली पन्नी में लिपटा कोई तोहफा रखा हो। स्कूल की छुट्टी हो, केक, चॉकलेट्स और स्वादिष्ट पकवान खाने को मिलें और पूरा घर सुंदर झालरों और बल्बों से सजा हो। ठीक ऐसा ही होता है, 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के दिन! यह दिन पूरी दुनिया में जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह ईसाइयों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। भारत में इसे ‘बड़ा दिन’ भी कहते हैं। नए टेस्टामेंट में एक कहानी है। प्रभु ने मैरी के पास अपने देवदूत गैब्रियल को भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र जीसस को जन्म देगी। वह बड़ा होकर राजा बनेगा और उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।
एक दिन बेथलेहेम जाते समय मैरी ने आधी रात को एक अस्तबल में जीसस को जन्म दिया। इसलिए क्रिसमस समारोह आधी रात के बाद शुरू होता है। माना जाता है कि ईश्वर ने इस संसार को बनाया है। और वे अपने दूतों के जरिए लोगों को संदेश देते हैं। जीसस भी ईश्वर के एक ऐसे ही दूतं माने जाते हैं। उन्होंने लोगों को बताया कि ईश्वर सभी से समान रूप से प्यार करते हैं और हमें भी सबसे प्यार और सबकी मदद करनी चाहिए। यही ईश्वर की सच्ची सेवा है। क्रिसमस का त्योहार हमें यही संदेश देता है।
माना जाता है कि सबसे पहले क्रिसमस रोम में मनाया गया था। क्रिसमस की तैयारियाँ कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। घर और दुकानें सजाई जाती हैं। तरह-तरह के केक, मिठाइयाँ बनाए जाते हैं। घरों में क्रिसमस ट्री लगाने और उसे खूब सुंदर सजाने का भी रिवाज है। चर्च में मोमबत्तियाँ जलाकर सामूहिक प्रार्थना की जाती है। नए कपड़े पहन बच्चे ड्रम्स और बाजों के साथ चमकीली छड़ियाँ थाम नृत्य करते हैं। सेंट बेनेडिक्ट यानी हमारे प्यारे सांता क्लॉज लाल और सफेद कपड़ों में रेडियर पर सवार होकर आते हैं और सब बच्चों के लिए उपहार लाते हैं। लोग एक-दूसरे को केक और उपहार बाँटते हैं। यह त्योहार सुख, शांति और खुशहाली का प्रतीक है।
Essay on Christmas in Hindi 500 Words
‘क्रिसमस’ ईसाइयों का प्रसिद्द त्यौहार है। यह 25 दिसंबर को प्रति वर्ष सम्पूर्ण विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस का त्यौहार ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ईसा मसीह ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं। ईसा मसीह को इस्लाम के अज़ीम तरीन पेगमबरों में से एक माना जाता है। वे संसार के दीन-दुखियों का दुःख दूर करने तथा ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को दूसरों के समक्ष प्रकट करने हेतु अवतरित हुए थे। प्रारंभ में उन्हें अनेक कठिनाइयाँ का सामना करना पड़ा परंतु धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से संसार में व्याप्त अंधविश्वास, अज्ञानता, दुख आदि को दूर करने का प्रयास किया।
ईसा मसीह के बारे में कहा जाता है कि यहूदियों को ईसा की बढ़ती लोकप्रियता से तकलीफ होने लगी। उन्हें लगने लगा कि ईसा उनसे सत्ता छीन सकते है इसलिए साजिश के तहत इन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया। ईसाइयों का विश्वास है कि प्रभु ईसा मसीह अपने कथनानुसार तीसरे दिन पुनः जीवित हो गए थे। उन्होंने बड़े-बड़े चमत्कार किए, जो किसी इंसान के बस की बात नहीं क्योंकि ऐसा करने की शक्ति उसे परमेश्वर से मिली थी।
यह ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा और खुशी का त्योहार है, इस कारण इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है। ईसाई समुदाय के लिए इस त्योहार का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए दशहरा तथा दीपावली का है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कार्यालय आदि में अवकाश होता है। इस उत्सव के आगमन से पहले ही लोग खूब तैयारीयों के साथ अपने घरों और चर्च आदि को सजाते है। लोग डिनर पार्टी की तैयारी करते है। इस खास मौके पर ढेर सारे लजीज़ व्यंजन, मिठाई, आदि बनाकर डाईनिंग टेबल पर लगाते है। सभी लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनते है, नृत्य करते है, गाते है, और धूमधाम के साथ खुशी मनाते है। इस त्योहार पर ‘क्रिसमस-ट्री’ सजाने का विशेष महत्व है । यूरोपीय देशों में तो इसकी सजावट व भव्यता देखने लायक होती है। परिवार के सभी सदस्य इस दिन ‘क्रिसमस-ट्री’ के चारों और एकत्रित होते हैं। सभी मिलकर प्रभु ईसा मसीह का स्तुतिगान तथा प्रार्थना करते है और अपनी सभी गलतियों के लिये माफी माँगते है, तथा ठीक 12 बजे एक-दूसरे को केक खिलाकर त्यौहार की बधाई देते हैं। बच्चो के लिए यह दिन ओर बेहतरीन बनाने के लिए सांता आता है और उनमे कई तरीके की मिठाई तथा उपहार बाट के जाता है।
प्रभु ईसा मसीह ने सादा जीवन व्यतीत करते हुए भी जो उच्च आदर्श इस संसार के सम्मुख रखे हैं वे आज भी अनुकरणीय हैं तथा आने वाले समय में भी अनुकरणीय रहेंगे। ईसा मसीह ने अपना सर्वस्व परमेश्वर के लिए समर्पित कर दिया था। संसार में व्याप्त दुख, विषमताओं तथा अज्ञानता को दूर करने के लिए वे सदैव प्रयासरत रहे।
यह त्योहार सभी के हृदयों में पवित्रता की भावना लाता है तथा हमें प्रेरित करता है कि अनेक कठिनाइयों का सामना करने पर भी हमें सत्मार्ग का त्याग नहीं करना चाहिए तथा दूसरों को भी इसी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
Essay on Christmas in Hindi 600 Words
रूपरेखा : ईसा मसीह का जन्मदिन, ईसा का जीवन, ईसा का अलौकिक रूप, विश्व भर में ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार, क्रिसमस को मनाने का ढंग, क्रिसमस का वर्तमान रूप।
विश्व भर में ईसा मसीह का जन्मदिन ‘क्रिसमस’ नाम से जाना जाता है। ईसा मसीह का जन्म प्रतिवर्ष पच्चीस दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन ‘बड़ा दिन’ भी कहा जाता है।
ईसाइयों के धर्म-ग्रंथ ‘बाइबिल’ में ईसा मसीह की जन्मकथा विस्तार से वर्णित है। ‘बाइबिल’ के अनुसार नज़रेथ नगर (फिलिस्तीन) में यूसुफ़ नाम का एक व्यक्ति था, जिसके साथ मरियम नामक कन्या की मँगनी (सगाई) हुई थी। एक दिन मरियम को स्वर्ग-दूत ने दर्शन देकर कहा,
आप पर प्रभु की कृपा है। आप गर्भवती होंगी, पुत्र रत्न को जन्म देंगी तथा नवजात शिशु का नाम ‘ईसा’ रखेंगी। वे महान होंगे। प्रभु के सर्वोच्च पुत्र कहलाएँगे।”
कुछ समय बाद वहाँ के शासक ने अपने राज्य में जनगणना के आदेश दिए। यूसुफ़ और मरियम ‘बेथेलहेम’ नगर में नाम लिखवाकर लौट रहे थे कि मार्ग में मरियम को प्रसव पीडा होने लगी। संयोग से एक सराय के मालिक ने उन्हें सराय में जगह दे दी। वहीं मरियम ने इस अदभर बालक को अस्तबल की चरनी (पशुओं के लिए चारा डालने वाली जगह) में जन्म दिया। मरियम को स्वर्ग-दत से मिला संदेश सच निकला। बालक ईसा के जन्म का पवित्र दिन क्रिसमस की खुशियों के साथ मनाया जाने लगा।
‘क्रिसमस’ विश्व भर के ईसाइयों का सबसे बड़ा त्योहार है। क्रिसमस के अवसर पर ईसा मसीह का समरण बड़े प्रेम और हर्ष के साथ किया जाता है। इस दिन क्रिसमस के स्तुतिगीत (केरॉल) गाते हुए लोग घर-घर पहुँचते हैं। बालक ईसा के जन्म पर स्वर्गाटनों ने जो गीत गया था। वही सबसे पहला ‘क्रिसमस कैरॉल’ माना जाता है।
क्रिसमस के अवसर पर ईसाई धर्मावलंबी अपने-अपने घरों में क्रिसमस पेड़ और क्रिसमस तारे की सजावट करते हैं। क्रिसमस पेड़ लगाने का प्रारंभ जर्मनी में हुआ था। ईसा मसीह के जन्म के समय प्रकट हुए तारे की स्मृति में तारा सजाया जाता है। चरनी का रूप बनाकर उस पर इसा और मरियम की मूर्तियाँ भी सजाई जाती हैं। विशेष प्रार्थनाओं और गीत-संगीत के कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया जाता है। ईसाई बंधुओं के घरों में क्रिसमस-केक बनाए जाते हैं, जिन्हें ये लोग मित्रों में भेंट स्वरूप बाँटते हैं।
क्रिसमस के दिन सारे विश्व के गिरजाघर अपनी अनोखी सजावट और रोशनी के कारण आकर्षण के केंद्र बन जाते हैं।
क्रिसमस के दिन नववर्ष के समान ही विश्व भर में ईसाई जन परस्पर शुभकामनाएँ भी प्रेषित करते हैं। अब क्रिसमस कार्ड का प्रयोग धीरे-धीरे समूचे विश्व में होने लगा है। यों तो सारे संसार में क्रिसमस का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, किंतु वेटिकन नगर में क्रिसमस का उत्सव अत्यंत आकर्षक होता है। यही कैथलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्माधिकारी पोप का निवास स्थान है।
वस्तुतः क्रिसमस मनाने का मूल उद्देश्य ईसा मसीह का पावन स्मरण है, जो दया, प्रेम, क्षमा और धैर्य के अवतार थे। ईसा मसीह के दिव्य संदेश से हर व्यक्ति को विश्व शांति की प्रेरणा मिलती है।
मानवता के मसीहा का जन्मदिन दुनिया को करुणा और प्रेम के अपने संदेश से सदा अच्छा मानव बनने की प्रेरणा देता रहेगा –
अभी दिलों में गूंज रहा है, क्रिसमस का पावन संदेश।
ईसा सदा रहेंगे ज़िंदा, धर कर करुणा, प्रेम का वेश।
Essay on Christmas in Hindi 700 Words
भारत देश में अनेक जाति एवं धर्म के लोग रहते हैं। हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। इसमें किसी भी व्यक्ति को कोई भी धर्म अपनाने की छूट है। हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई सभी भारत में रहते हैं। इतने सारे धर्म और जातियों के होने पर भारत में समय-समय पर पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं त्योहारों में क्रिसमस भी एक त्योहार है। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहा जाता है। यह त्योहार इसाइयों का एक पवित्र त्योहार है। जिस प्रकार हिन्दू समाज में जन्माष्टमी और रामनवमी का महत्व है, उसी प्रकार इसाई समुदाय में क्रिसमस का बहुत महत्व है। इसाई धर्म के लोग क्रिसमस को इसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। यह त्योहार दिसम्बर महीने की 25 तारीख को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। विश्व के अधिकतर देशे इस पर्व को मनाते हैं। इसकाई समुदाय बड़े हर्ष और उल्लास के साथ क्रिसमस का पर्व मानाता है।
इस मसीह का जन्म बेतलहंम में हुआ था। इनके पिता का नाम जोसफ और माता का सिमरियम था। इनके पिता ज़ाति से यहूदी थे और अपनी पत्नी मरियम के साथ आश्रय की तलाश में एक नगर से दूसरे नगर में भटक रहे थे। येरूशलम जाते हुए ये बेतलेहमाम गांव में थक गए।जहीं पर इसा मसीह का जन्म हुआ इसा मसीह के जन्म की खबर तीन धार्मिक पुरषो को मिली और ये खबर उन्हें एक दैवी शक्ति से प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि आसमान में एक जगमगाता तारा उगा और तीनों महात्मा उस तारे का पीछा करते-करते इसा मसीह के जन्मस्थल पर पहुँच गए। उस अलौकिक बालक को देखते ही उन महात्माओं ने उसके चरणों में सिर झुका दिए। इसी दिन को इसा मसीह के जन्मदिन के रूप में आज भी इसाई धर्म के लोग मनाते हैं।
क्रिसमस के दिन लोग अपने-अपने घरों को सजाते हैं। घर की छतों और दरवाजों पर तारेनुमा लाइटें लगाते हैं। इस दिन दुनिया भर में दुकानें सजाई जाती हैं। इस दिन प्रात: काल होते ही लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। एक -दूसरे को भेंट और उपहार प्रदान करने हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाईयाँ देते हैं। क्रिसमस का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास का उत्सव है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं और उसे तरह-तरह के खिलौनों और रोशनी से सजाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन घर पर क्रिसमस ट्री लगाना शुभ होता है। लोग घरों में केक, बिस्कुट और तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाते हैं। शाम के समय प्रीतिभोज का आयोजन होता है जिसमें परिवार के समस्त सदस्यों के साथ-साथ समस्त मित्रगण भी सम्मिलित किए जाते हैं। संगीत, नृत्य का आयोजन किया जाता है। शाम से ही सब लोग संगीत और नृत्य की मस्ती में झूम जाते हैं। चारों ओर ‘मेरी क्रिसमस’ और ‘जिंगल बेल’ की धुन सुनाई देती है। पूरा माहौल हर्षोल्लास में डूबा हुआ होता है।
बच्चों के लिए भी यह त्योहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बच्चों को इस दिन सेंटाक्लाज का इंतजार रहता है, जो तरह-तरह के खिलौने और उपहार बच्चों के लिए लाते हैं। शहर की दुकानें और होटल पूरी तरह से जगमगा उठते हैं। बच्चे अपने माता-पिता के साथ घूमने जाते हैं। इसी दिन से विद्यालयों में सर्दी की छुट्टियां भी शुरू हो जाती हैं।
इसाई धर्म में यह क्रिसमस ही सबसे बड़ा त्योहार है जो साल में एक बार धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार सद्भावना को बढ़ावा देता है और आपसी रंजिश भुलाकर एक-दूसरे की सहायता करने का भाव जाग्रत कराता है। क्रिसमस का पर्व सुख और शांति का वाहक है। लोगों में प्रेमभाव को जाग्रत करना ही भगवान इसा मसीह के जीवन का लक्ष्य था। अत: यह त्योहार भी प्रेम भाव का ही संदेश देता है। आजकल यह त्योहार न सिर्फ इसाई समुदाय मनाता है अपितु समस्त जाति और धर्म के लोग इस त्योहार को प्रेम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
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