Essay on Corruption in Hindi भ्रष्टाचार पर निबंध
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भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi
भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi 200 Words
विचार-बिंदु – • अर्थ • भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति • भ्रष्टाचार के कारण • हल।
भ्रष्टाचार का अर्थ है – भ्रष्ट आचरण अर्थात् पतित व्यवहार। रिश्वत, कामचोरी, मिलावट, कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, भाई-भतीजावाद, जमाखोरी, अनुचित कमीशन लेना, चोरों-अपराधियों को सहयोग देना आदि सब भ्रष्टाचार के रूप हैं। दुर्भाग्य से आज भारत में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भ्रष्टाचार के दलदल में लथपथ हैं। लज्जा की बात यह है कि स्वयं सरकारी मंत्रियों ने करोड़ों-अरबों के घोटाले किए हैं। भ्रष्टाचार फैलने का सबसे बड़ा कारण है-प्रबल भोगवाद। हर कोई संसार-भर की संपत्ति को अपने पेट, मुँह और घर में भर लेना चाहता है। दूसरा बड़ा कारण है – नैतिक, धार्मिक या आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव। तीसरा कारण है – पैसे को सलाम।
अन्य कुछ कारण हैं – भूख, गरीबी, बेरोजगारी आदि। भ्रष्टाचार को मिटाना सरल नहीं है। जब तक कोई ईमानदार शासक प्रबल इच्छा शक्ति से भ्रष्टाचार के गढ़ को नहीं तोड़ता, तब तक इसे सहना होगा। इसके लिए भी शिक्षकों, कलाकारों और साहित्यकारों को अलख जगानी होगी।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (Corruption Free India Essay in Hindi) – Essay on Corruption in Hindi 300 Words
भ्रष्टाचार का अर्थ है “भ्रष्ट + आचार”, जहा भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। भ्रष्टाचार किसी भी व्यक्ति के साथ-साथ देश के लिए बहुत बुरी समस्या है, जो दोनों के विकास और प्रगति में रुकावट डालता है। जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थके लिए न्याय व्यवस्था के नियमो से विरुद्ध जाकर गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।
भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई है, जो इंसान की सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक क्षमता के साथ खेल रहा है। लालच की वजह से भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत होती जा रही है। भ्रष्टाचार दरअसल सत्ता, पद, शक्ति और सार्वजनिक संस्थान का दुरुपयोग है। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत इस वक्त विश्व में भ्रष्टाचार के मामले में 84 वे स्थान पर है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार सिविल सेवा, राजनीति, व्यापार और गैरकानूनी क्षेत्रों में फैला है, जहा भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना।
विश्व में भारत अपने लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से इस को बहुत क्षति पहुंच रही है। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यहां के राजनीतिज्ञ है, जिनसे हम ढेर सारी उम्मीदें रखते हैं, चुनावो के दौरान यह बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं, जिनको हम वोट देते हैं और चुनाव जीतने के बाद यह सभी चुनावी वायदे भूल कर अपने असली रंग में आ जाते हैं। मुझे पूरा यकीन है की अगर राजनीतिज्ञ अपने लालच को त्याग देंगे, तो हमारे देश से भ्रष्टाचार की बीमारी दूर हो जाएगी। देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें सरदार पटेल और शास्त्री जैसे ईमानदार नेता को चुनना चाहिए क्योंकि केवल ऐसे नेता ही देश को सही दिशा दे सकते है और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ सकते हैं। केवल राजनीतिज्ञ को ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों को भी भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए एकजुट होना होगा। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 के बड़े नोटों को बंद करके बहुत ही इतिहासिक कदम उठाया, जिसकी सभी तारीफ कर रहे है।
भ्रष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध – Essay on Corruption in Hindi 400 Words
वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के दानव से संपूर्ण समाज त्रस्त है। अधिकांश व्यक्ति अनुचित व्यवहार द्वारा अधिक धन अर्जित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। असंख्य व्यक्ति रिश्वत लेते हैं। अधिकांश नेता चुनाव जीतने के लिए अनैतिक साधनों का प्रयोग करते हैं। व्यापारी लोग भी खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। किसान भी सब्जियों तथा फलों में इंजैक्शन लगाकर अथवा कैमिकल का प्रयोग कर उन्हें दूषित करते हैं तथा महंगे दामों पर बेचते हैं। दूध, घी, मिठाइयों आदि में मिलावट तो सामान्य बात है। न्यायालयों में अनेक न्यायाधीश रिश्वत लेते हैं। यह सब कुछ भ्रष्टाचार के अन्तर्गत ही आता है। वस्तुतः वर्तमान समाज में भ्रष्टाचार मुक्त समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार मिटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।
आज के संदर्भ में दूरदर्शन भ्रष्टाचार फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। विभिन्न चैनलों पर इतने अश्लील कार्यक्रम दिखाए जाते हैं कि टी०वी० के प्रोग्राम भी परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते। किशोरवर्ग तथा युवावर्ग के लिए चरित्रहीनता सम्मान की वस्तु बन गई है। अवैध संबंधों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया जा रहा है। फिल्मों में हिंसा और नग्नता का खुलेआम प्रदर्शन भी समाज की व्यवस्था को अपाहिज बनाने में पूरा योगदान दे रहा है। फैशन के नाम पर नारी शरीर को ‘उत्पाद’ की तरह प्रस्तुत किया जाता है। प्रतिदिन हो रहे फैशन शो हमारी भ्रष्ट होती सामाजिक व्यवस्था का प्रमाण हैं। आजकल पारिवारिक संबंधों में भी भ्रष्टाचार ने विषबीज बो दिए हैं। तथाकथित ‘कज़िन’ (Cousin) तथा ‘अंकल’ किस प्रकार परिवार के बच्चों को शारीरिक शोषण करते हैं, इसका प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। अनेक परिवारों में निकट के रिश्तेदार किशोरियों को अपनी कामपिपासा की पूर्ति का साधन बनाते हुए ज़रा भी हिचकिचाते नहीं।
वर्तमान समाज में लाखों लड़कियाँ ‘कालगर्ल’ का काम करती हैं। लाखों स्त्रियाँ वेश्याएँ हैं। धन कमाने के लिए ये स्त्रियाँ समाज की व्यवस्था को विकृत करने का प्रयास कर रही हैं। समाज में मदिरा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। मदिरा पीकर लोग अनेक प्रकार के अनैतिक कार्य करते हैं। इस प्रकार सामाजिक जीवन अपनी विषबल फैलाता जा रहा है। इसे रोकने के लिए ‘संचार माध्यम’ (मीडिया) बहुत सहायक तथा कठोर कानून भी इस पर रोक लगाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
भ्रष्टाचार पर निबंध Long Essay on Corruption in Hindi 500 Words
मनुष्य के चरित्र और आचरण में गिरावट, उसका पतित हो जाना, कर्तव्य पथ से विमुख हो जाना और समाज विरोधी बन जाना भ्रष्टाचार कहलाता है। आचरण और चरित्र सम्बन्धी हमारी कुछ स्थापित मर्यादाएं हैं। इन्हीं पर हमारा जीवन और समाज टिका हुआ है। इन्हीं के आधार पर हमारी संस्कृति और सभ्यता का विकास हुआ है। भ्रष्ट व्यक्ति समाज के लिए और स्वयं अपने लिये भी हानिकारक होता है। आज के स्वार्थपूर्ण और भौतिकवादी युग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सारा समाज पतित राजनेताओं, मौका-परस्त सरकारी अधिकारियों, पदलोलुप और रिश्वतखोर अफसरों आदि से भरा पड़ा है। जमाखोरों, चोर बाजारियों और मुनाफाखोरों की एक श्रेणी देखी जा सकती है।
भ्रष्टाचार के अनेक रूप, प्रकार और अवस्थाएं हैं। उनको पूरी तरह गिनना या उनका वर्णन करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। भ्रष्टाचार कैंसर या एड्स की तरह है, जो हमारे सम्पूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था को उजाड़ रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में यह आज व्याप्त है। धर्म राजनीति, शिक्षा, व्यापार, सरकारी सेवा, लेन-देन आदि सभी जीवन के कार्य इससे ग्रस्त हैं। धार्मिक नेता और तथाकथित गुरु, मुल्ला-मौलवी आदि अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे साम्प्रदायिक हिंसा, वैमनस्य और घृणा फैलाने से भी नहीं चूकते। धर्म और भगवान के नाम पर लोगों से पैसा एंठकर वे अपनी जेबें भरने में व्यस्त हैं।
लोगों के अंधविश्वासों का वे पूरा लाभ उठा रहे हैं। धर्म जहां जोडने, नैतिकता का विस्तार करने और पारस्परिक सद्भाव का माध्यम होना चाहिये, वहीं आज अशांति, कलह, संघर्ष और पतन का कारण बना हुआ है। व्यापारी मिलावट और जमाखोरी के काले धंधों में पूरी तरह लिप्त हैं। कर की चोरी तो उनके लिए एक सामान्य बात है। राजनीतिक नेताओं तथा दलों को वे चंदा आदि देकर अपनी मनचाही कर रहे हैं। कहीं किसी का डर या भय नहीं है।
कुर्सी के लोभ और राजनीतिक स्वार्थों में अंधे हमारे राजनेताओं और प्रशासकों ने तो सभी सीमाएं तोड़ दी हैं। जो रक्षक होने चाहिये थे, वहीं अब भक्षक बन गये हैं। दल बदलुओं की आज चांदी है। राजनेताओं के संरक्षण में अपराधी फलफूल रहे हैं। धन के बल पर चुनाव जीतकर वे संसद तथा विधान सभाओं में पहुंच रहे हैं। अनेक अपराधी छवि के लोग आज मंत्री बने हुए हैं या कोई अन्य लाभ के महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन हैं। सत्ता और संकीर्ण स्वार्थों में आज जो कुछ हो रहा है, वह सब जानते हैं। इस बेशर्मी और भ्रष्टाचार से लोग परेशान हैं परन्तु कहीं कोई उपचार नज़र नहीं आता। भ्रष्टाचार से शिक्षक और डॉक्टर भी अछूते नहीं हैं।
पैसे के लालच में परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक कर दिये जाते हैं। झूठे प्रमाणपत्र और डिग्रीयां बाँटी जाती हैं और महत्त्वपूर्ण पदों पर लोगों को नियुक्त किया जा रहा है। अध्यापक कक्षा में पढ़ाने के बजाए टयूशन्स में लगा हुआ है। डॉक्टर झूठे प्रमाण पत्र देकर लोगों को अनुचित लाभ प्राप्त करने में सहायता कर रहे हैं। अस्पतालों से दवाइयां तथा दूसरे महत्त्वपूर्ण उपकरण काले बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
नैतिकता, आदर्श, परोपकार, जीवन मूल्य आदि शब्द मात्र रह गये हैं जिनका अस्तित्व, पुस्तकों या शब्दकोषों तक ही सीमित रह गया है। आज सब स्वार्थ की बात करते हैं, सिद्धान्तों या नैतिकता की नहीं । शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, राशन-वितरण, बिजली, कृषि, किसी भी विभाग में चले जाएं भ्रष्टाचार के उदाहरण आपको मिल जायेंगे। असीमित आशा-आकांक्षाएं, भौतिक अंधी दौड़ और पश्चिमी सभ्यता की विवेकहीन नकल ने हमें पागल कर दिया है। हम तुरन्त धन और यश का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं और परिश्रम नहीं करना चाहते। अतः हम भ्रष्ट उपाय अपनाते हैं और दूसरों को भी भ्रष्ट बनने को तैयार कर लेते हैं।
आज हमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण, महात्मा गाँधी, रफी अहमद किदवई, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं की बड़ी आवश्यकता है। उन जैसा त्यागी, तपस्वी, निस्वार्थ समाजसेवी और आदर्शों पर चलने वाला कोई भी नेता आज दिखाई नहीं देता। भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सामाजिक क्रांति और आंदोलन की आज बड़ी आवश्यकता है। सबसे पहली आवश्यकता है कि चुनावों को निष्पक्ष और स्वच्छ बनाया जाए। अपराधियों और भ्रष्ट लोगों को चुनाव लड़ने, मंत्री बनने तथा लाभ का कोई पद न प्राप्त करने दिया जाए। चुनाव आयोग और न्यायालयों को इस कार्य में और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
युवा वर्ग इस मामले में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। युवकों को आगे आकर भ्रष्ट लोगों का पर्दाफाश करना चाहिये। उन्हें प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि वे कभी भी किसी भी अवस्था में न तो रिश्वत देंगे न लेंगे। दहेज लेना और देना भी एक भ्रष्टाचार है। नवयुवक और नवयुवतियां दहेज के बिना विवाह द्वारा एक बहुत अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। युवा वर्ग को भ्रष्ट लोगों के बहिष्कार का आंदोलन प्रारम्भ करना चाहिये।
भ्रष्टाचार को मिटाना असंभव तो नहीं है, परन्तु कठिन अवश्य है। इस पुण्य कार्य के लिए समाज के सभी वर्गों और लोगों को कमर कसनी चाहिये। भ्रष्ट देशों की सूची में भारत का ऊंचा स्थान है। यह हमारे लिए बड़ी शर्म की बात है। नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे अपने आचरण, व्यवहार तथा चरित्र से आदर्श प्रस्तुत करें जिससे कि जनता उनका अनुसरण कर सके। हमारी सभ्यता और संस्कृति हमसे यह मांग करती है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में नैतिकता और कर्तव्य परायणता को सर्वोच्च स्थान दें।
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