Essay on Education in Hindi शिक्षा पर निबंध
|Write an essay on education in Hindi/ Shiksha par Nibandh. शिक्षा पर निबंध। Now learn education and moral values in this essay. Students can learn how to write essay on education in Hindi 1000 words. Now, learn essay on
Essay on Education in Hindi
जब हम शिक्षा की बात करते हैं तो सामान्य अर्थों में यह समझा जाता है कि इसमें हमें वस्तुगत ज्ञान प्राप्त होता है तथा जिसके बलबूते पर कोई रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। ऐसी शिक्षा से व्यक्ति समाज में आदरणीय बनता है। समाज और देश के लिए इस ज्ञान का महत्त्व भी है क्योंकि शिक्षित राष्ट्र ही अपने भविष्य को संवारने में सक्षम हो सकता है। आज कोई भी राष्ट्र विज्ञान और तकनीक की महत्ता को अस्वीकार नहीं कर सकता। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका उपयोग है। वैज्ञानिक विधि का प्रयोग कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में करके ही हमारे देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति लाई जा सकी है। अत: वस्तुपरक शिक्षा हर क्षेत्र में उपयोगी है।
जीवन में केवल पदार्थ ही महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। पदार्थों का अध्ययन भी आवश्यक है। राष्ट्र की भौतिक दशा सुधारने के लिए तो जीवन मूल्यों का उपयोग कर हम उन्नति की सही राह चुन सकते हैं। हम जानते हैं कि भारत में लोगों के बीच फैला भ्रष्टाचार किस तरह से विकास की धार को भोथरा किए हुए है। हम देखते हैं कि मूल्यों में ह्रास होने से समाज में हर प्रकार के अपराध बढ़ रहे हैं। हम यह भी देखते हैं कि मूल्यविहीन समाज में असंतोष फैल रहा है। बेकारी के बढ़ने से युवकों के सामने असंतोष जैसी कई प्रकार की चुनौतियाँ खड़ी दिखाई देती हैं। छोटे से बड़े नौकरशाह निकम्मेपन और भ्रष्टाचार के अंधकूप में डुबकियाँ लगा रहे हैं, उन्हें समाज या राष्ट्र की कोई परवाह नहीं है।
इन परिस्थितियों में आत्ममंथन आवश्यक हो जाता है। क्या हमारी शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है ? यदि शिक्षा व्यवस्था त्रुटिहीन है तो निश्चित ही व्यक्तियों में दोष है ? आखिर कहीं न कहीं तो शीर्षासन चल ही रहा है जो गलत को सही और सही को गलत ठहराने पर आमादा है। यदि शिक्षा प्रणाली पर गहराई से दृष्टिपात करें तो सरसरी तौर पर ही इसकी कमियां परिलक्षित हो जाएंगी। हमारे देश के आधे से अधिक शिक्षित व्यक्तियों के सामने कोई लक्ष्य नहीं है उनके सामने अंधेरा ही अंधेरा है। जिसने अपने जीवन के पंद्रह बेशकीमती वर्ष शिक्षा में लगा दिए, जिसने इतना समय किसी कार्य के प्रति समर्पित कर दिया, उसके दो हाथों को कोई काम नहीं है। पन्द्रह वर्षों के श्रम का कोई प्रतिफल नहीं तो ऐसी शिक्षा बेकार है। यह ठीक है कि कुछ नौजवान सफल हो गए और उनके भाग्य ने साथ दे दिया लेकिन बाकी लोगों का क्या होगा जिन्हें बचपन से सिखाया गया था कि पढोगे तो शेष जीवन सुखी हो जाएगा। इससे तो कहीं अच्छा था कि वह पांचवीं पास कर चटाई बुनना सीख लेता, घड़े बनाना सीख लेता, कृषि की बारीकियाँ समझ लेता अथवा ऐसा कोई गुर सीख लेता जिससे जीवन-यापन में उसे सुविधा होती। यदि कोई खेल ही खेलता, भारत नाट्यम ही सीख लेता, वायलिन बजाना सीख लेता तो भी कुछ सार्थकता होती, इन क्षेत्रों में बड़ा सम्मान भी है और धन भी है।
तो कहा जा सकता है कि यदि दुनियावी दृष्टिकोण से ही देखा जाए, यदि पूर्णतया भौतिकवादी बनकर ही सोचा जाए तो हमारी शिक्षा प्रणाली की बुनियाद ही गलत है। इसमें कोई संदेह नहीं कि अक्षर ज्ञान जरूरी है। चौदह वर्ष तक की शिक्षा जरूरी है ताकि बालक जीवन के हर क्षेत्र की मोटी-मोटी बातों को समझ सके। परन्तु कालेज की डिग्री उतने ही लोगों को दी जानी चाहिए जितने लोग डिग्री लेकर आसानी से रोजगार प्राप्त कर सकें। केवल थोड़े से मेधावी लोगों को ऊंची शिक्षा दी जानी चाहिए तथा अन्य छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा दी जाए तो बेकारी की समस्या हमारे देश से कुछ वर्षों में ही विदा हो जाएगी। गुरुदेव रवींद्रनाथ जैसे विचारकों ने हमारी शिक्षा प्रणाली की खामियों को समझकर इन्हीं कारणों से एक अलग ढंग की शिक्षा की वकालत की थी।
यदि शिक्षा व्यवस्था में सचमुच सुधार लाना हो तो शिक्षा में नैतिक मूल्यों का समावेश जरूरी है क्योंकि कोई कार्य यदि सुस्पष्ट नीति के बिना किया जाए तो वह सफल नहीं हो सकता। नीति से ही नैतिक शब्द बना है जिसका अर्थ है सोच-समझकर बनाए गए नियम का सिद्धांत। लेकिन आज की शिक्षा में नैतिक मूल्यों का कोई समावेश नहीं है क्योंकि यह दिशाहीन है। आज की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है – पढ़-लिखकर धन कमाना। चाहे धन कैसे भी आता हो, इसकी परवाह न की जाए। यही कारण है कि शिक्षित वर्ग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सबसे आगे है।
शिक्षा प्राप्ति की एक सुविचारित नीति होनी चाहिए। छात्रों को शुरू से ही यह जानकारी देनी चाहिए कि जीवन में आगे चलकर तुम्हें किन समस्याओं से जूझना होगा। छात्रों को पता होना चाहिए कि जीने के मार्ग अनेक हैं तथा उस मार्ग को ही चुनना श्रेयस्कर है जो व्यक्ति विशेष के स्वभाव के अनुकूल हो। नैतिक शिक्षा की बातों में सत्य, क्षमा, दया, ईमानदारी, अहिंसा आदि बताने से कुछ खास हासिल नहीं होता यदि हम इन ऊँची-ऊँची बातों को जीवन में उतारने का बालको को अवसर न प्रदान करें। बालकों की सहज बुद्धि में प्रयोगात्मक सच्चाइयां अधिक सहजता से प्रवेश करती हैं। कोरे उपदेश उन्हें प्रभावित कर सकते तो आज समाज में इतनी बेईमानी और इतना भ्रष्टाचार न फैला होता।
क्या भारत में शिक्षा निःशुल्क होनी चाहिए ? इसके पक्ष और विपक्ष में अपने सुझाव दीजिए
भारत जैसे विकासशील और गतिशील देश के विकास और सुधार के लिए लोगों को शिक्षित करना अति आवश्यक है। शिक्षा के साधनों के विकास के साथसाथ यदि भारत में नि: शुल्क शिक्षा का प्रबन्ध हो जाए तो ये कहां तक उचित है।
पक्ष में
- नि: शुल्क शिक्षा से भारत में साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा। प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त होगा। भारत में शिक्षितों की संख्या में वृद्धि होगी।
- शिक्षा द्वारा लोगों का जीवन स्तर भी ऊँचा हो जाएगा। भारतीय समाज में प्रचलित अनेक रूढ़ियां व कुरीतियां शीघ्र ही समाप्त हो जाएंगी। लोग उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होंगे और देश का विकास अपने आप होगा।
- अमीरों द्वारा गरीबों पर जो अत्याचार किये जाते हैं, उनकी रोकथाम हो जाएगी, क्योंकि नि: शुल्क शिक्षा को प्रत्येक वर्ग ग्रहण करेगा। जिससे प्रत्येक वर्ग के शिक्षित हो जाने पर किसी प्रकार का शोषण सम्भव नहीं होगा।
विपक्ष में
- अनेक व्यक्ति नि:शुल्क शिक्षा का दुरूपयोग करेंगे। इससे बहुत से लोग केवल अपना समय व्यतीत करने के लिए शिक्षा-संसथानों में भीड़ पैदा करेंगे। निःशुल्क शिक्षा प्रत्येक को नहीं बल्कि शिक्षा का प्रबन्ध उन लोगों के लिए करना चाहिए जो वास्तव में शिक्षा में रूचि रखते हैं तथा रोजगार की जरूरत को पूरा करने की समर्थता रखते हो।
- भारत सरकार पर शिक्षा के सम्बन्ध में पड़ने वाला आर्थिक बोझ कई गुणा बढ़ जाएगा। अत: सुरक्षा, विकास आदि कार्यक्रमों में भारी कटौती करनी पड़ेगी।
- नि:शुल्क शिक्षा से सरकारी आयकोष में कमी आ जाएगी, क्योंकि शिक्षा के साधनों को बढ़ाने के लिए सरकार खर्च करेगी तो उसके बदले में होने वाली आय से वंचित रह जाएगी। शिक्षित बेरोजगारी भी बढ़ जाएगी, जबकि यह पहले ही देश के लिए एक गम्भीर समस्या है।
अत: नि:शुल्क शिक्षा के अच्छे परिणामों के साथ-साथ दुष्परिणाम भी उत्पन्न होंगे।
हम आशा करते हैं कि आप इस पत्र शिक्षा पर निबंध को पसंद करेंगे। Essay on Education in Hindi language.
Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।