Essay on Haryana in Hindi हरियाणा पर निबंध
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Essay on Haryana in Hindi
पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच के भू-भाग को देव-निर्मित ‘ब्रह्मावर्त’ कहा जाता है जिसे आज के हरियाणा के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल इसे नकुल-दिग्विजय के सन्दर्भ में ‘बहुधान्यक’ नाम दिया गया क्योंकि यह भू भाग हरा-भरा और अन्न से परिपूर्ण था। मनुस्मृति में भी इसे हरियाणा नाम दिया गया है।
इस प्रदेश का उल्लेख मुसलमान सुल्तान मुहम्मद बिन के समय के एक शिलालेख में भी हुआ है। यह शिलालेख तेरहवीं शताब्दी का है। आरम्भ में इसे ‘हरियान’ नाम से पुकारा जाता था। हरियाणा शब्द के अर्थ और उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेक विचार हैं। कुछ विद्वानों का विचार है कि हरे भरे घने जंगलों के कारण इसे हरि अरण्य कहा जाता था जो बिगड़ कर हरियाणा बन गया। अन्य लोगों की धारणा है कि यहां हरिया वन था जो एक प्रदेश बनने के कारण हस्यिाणा कहलाया। एक मत यह भी कि यहां हरि (श्री कृष्ण) का आना हुआ अत: यह हरियाणा कहलाया।
हरियाणा प्रान्त के साथ उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा दिल्ली की सीमाएं लगती हैं। यह प्रदेश पहली नवम्बर सन् 1966 को एक स्वतन्त्र प्रदेश बना। इससे पूर्व यह पंजाब का ही भाग था। आर्य सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हरियाणा प्रान्त के कुरुक्षेत्र को धर्म क्षेत्र कहा जाता है जहां महाभारत का युद्ध हुआ था तथा श्री कृष्ण के मुख से गीता-अमृत की वर्षा हुई थी। जब भारत पर विदेशी आक्रमणकारी उत्तरपश्चिम की ओर से आए तो इस प्रान्त को भी शत्रुओं को मुंह तोड़ जवाब देना पड़ा। हूण, कुषाण आदि जातियों को यहां से खदेड़ा गया। थानेसर को भारत के अंतिम सम्राट् हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी बनाया था। सन् 1857 की क्रान्ति के समय प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में यहां के वीर लोगों ने अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ाए थे। इससे कुपित होकर अंग्रेजी सरकार ने इसे अनेक छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया।
भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन से हरियाणा का आकार छोटा हो गया। इस प्रान्त के प्रमुख ज़िले हैं – अम्बाला, रोहतक, करनाल, हिसार, गुड़गाँव, कुरुक्षेत्र, महेन्द्रगढ़ तथा जींद। हरियाणा प्रदेश भी पंजाब की तरह ही कृषि प्रधान प्रदेश है। यह प्रदेश गांवों का प्रदेश है जिसमें भारत की आत्मा बसती है। यहां अधिकतर जाट, गुजर, अहीर तथा राजपूत जातियां बसती हैं। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि और पशु पालन है।
पौराणिक काल से ही हरियाणा की धरती वीरों की जननी रही है। महाभारत के युद्ध के महान् योद्धा द्रोण, भीष्म, भीम, अर्जुन, दुर्योधन, जरासंध जैसे अनेक वीरों की यह जन्मभूमि है। हरियाणा की प्रान्तीय सभ्यता के चिन्ह प्राचीन सभ्यता के अवशेषों में अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। यहां के वीर तुलाराम की सिंह गर्जना से अंग्रेजों के दिल दहल उठते थे। मुगल सम्राट् अकबर को नाकों चने चबवाने वाले वीर हेमू का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है जिसने दिल्ली पर आर्य पताका फहराई थी। पानीपत की लड़ाई इतिहास प्रसिद्ध लड़ाई रही है। भारत पाक युद्ध के समय यहां के वीर सैनिकों ने शत्रु को परास्त किया और वीर चक्र तथा महावीर चक्र प्राप्त किए जो वीरता के लिए विशिष्ट पदक माने जाते हैं। इसी प्रकार हरियाणा पुलिस के वीर कर्मचारियों ने राष्ट्रपति पुलिस पदक तथा राष्ट्रपति जीवन रक्षा पदक प्राप्त कर हरियाणा को विशेष गौरव दिलवाया।
कृषि प्रधान प्रान्त हरियाणा के लोग निरन्तर श्रम की पूजा में विश्वास रखते हैं। अन्न की उपज में आज हरियाणा भारत में अपना प्रमुख स्थान रखता है। यहां के ग्रामीण लोग सरल-सीधे और ईश्वर में आस्था रखने वाले लोग हैं। यहां के सामाजिक जीवन में एक विशेष प्रथा कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जाती है कि पति की मृत्यु होने के बाद स्त्री का उसके देवर के साथ विवाह कर दिया जाता है। यह प्रथा विधवा स्त्री को समाज के अत्याचारों से बचाती है और स्त्री सम्मानपूर्वक जीवन जीती है। पंचायती राज व्यवस्था द्वारा लोग अपने झगड़े आपस में ही निपटा लेते हैं। और न्यायालय के चक्कर नहीं लगाते हैं।
जब से हरियाणा बना हुआ है तब से इस प्रान्त ने कई क्षेत्रों में उन्नति की है। यहां यातायात के साधनों का विकास हुआ है और सुन्दर सड़कें बनाई गयी हैं। सारे गांवों को अब नगरों से जोड़ दिया गया है। परिवहन के राष्ट्रीयकरण से सरकार को आर्थिक रूप से भी लाभ हुआ है।
उद्योग-धन्धों के क्षेत्र में भी हरियाणा प्रगति के पथ पर बढ़ता जा रहा है। फरीदाबाद आज भारत के विशिष्ट औद्योगिक नगरों में से है। इसके अलावा जगाधरी, सोनीपत, नीलोखेड़ी, अम्बाला, गुड़गांव, नारनौल तथा हिसार भी प्रमुख औद्योगिक नगरों में से हैं। यहां के प्रमुख उद्योगों में कागज उद्योग, स्लेट और चीनी मिट्टी के उद्योग, घरेलू उपयोग के सामान का उद्योग, कृषि से संबंधित अनेक उद्योग और कारखाने हैं।
अपना अलग अस्तित्व प्राप्त करने के बाद हरियाणा ने विशेष उन्नति की है। यहां की राजनीति देश की राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। कृषि उद्योग धन्धों का विकास यहां तेजी से हो रहा है तथा यातायात की भी समुचित व्यवस्था है। जिस प्रदेश के लोग परिश्रमी होते हैं वह उन्नति तो करता ही है। आज हरियाणा अपनी प्राचीन संस्कृति और इतिहास को समेटे हुए आधुनिक युग में प्रवेश कर रहा है।
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