Essay on If I was Prime Minister in Hindi यदि मैं प्रधानमंत्री होता
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If I was Prime Minister in Hindi
समाचार पत्र उठाते ही अक्सर आपको प्रधानमंत्री के दर्शन हो जाते हैं। रेडियो या टी- वी चलाइए – प्रधानमंत्री का भाषण, देश के नाम संदेश, किसी समसामयिक समस्या पर चर्चा या उनका साक्षात्कार चल रहा होगा। प्रधानमंत्री यानी जिसके कंधे पर देश का भार होता है। जो शासन का मुखिया होता है और जिस पर पूरे राष्ट्र के कल्याण का दायित्व होता है। प्रधानमंत्री जनता का सर्वप्रमुख नेता होता है।
प्रधानमंत्री का पद जितना बड़ा है, उसका उत्तरदायित्व भी उतना ही बड़ा होता है। आखिर इतना बड़ा देश और इतनी बड़ी समस्याएं। कैसे निभा पाते होंगे ये सब। किस मिट्टी के बने होते हैं ये प्रधानमंत्री। न दिन को चैन न रात को नींद। मेरे मस्तिष्क में अकसर इस तरह की उधेड़ बुन चली रहती हैं। इसी उधेड़-बुन में न जाने कब मेरे मन में इस महत्त्वाकांक्षा ने जन्म ले लिया कि काश ! मैं भी देश का प्रधानमंत्री होता। मैं प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने लगा।
विश्व के जाने-माने प्रधानमंत्रियों के चेहरे इतिहास की पुस्तक से निकलकर मेरी आंखों के सामने घूमने लगे – चर्चिल, नेहरू, भंडार नाइके, मार्गरेट थैचर, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और न जाने कौन-कौन। इतिहास साक्षी है कि इन्होंने कितने बड़े-बड़े काम किए थे। मैंने सोच लिया है कि यदि प्रधानमंत्री बना तो सबसे पहले ऐसे वातावरण का निर्माण करूँगा जिसमें आम आदमी उतनी ही आसानी से मुझ तक पहुँच सके, जितनी आसानी से नेहरू जी तक पहुँचा जा सकता था। हमारा देश विभिन्नताओं का देश है। इसके बावजूद हमारी सभ्यता एवं संस्कृति सदा से समन्वयवादी रही है। आज समाज में अलगाववाद, सम्प्रदायवाद और आतंकवाद का जो जहर फैल रहा है उसका मुख्य कारण है कि मनुष्य झूठे आडंबरों को ही धर्म मानकर उसके नाम पर घृणा और हिंसा को जन्म दे रहा है। आवश्यकता है उसे उसके प्राचीन मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं से पुन: परिचित कराने की। इसका सबसे उत्तम साधन शिक्षा ही है। अत: मैं निश्चित ही शिक्षा को अनिवार्य और मूल्यपरक बनाऊँगा।
हमारे देश का युवावर्ग भी अनेक समस्याओं का शिकार हो रहा है। बढ़ते भ्रष्टाचार, बेकारी और पश्चिमी सभ्यता के भौतिकवादी दृष्टिकोण के प्रभाव ने उसकी प्रतिभा और क्षमता को धूमिल कर दिया है। इस दिशा में मैं सर्वप्रथम अपना ध्यान प्रतिभा पलायन को रोकने पर दूंगा। मेरी सरकार देश में कार्य के ऐसे अधिक से अधिक अवसर जुटाने का प्रयास करेगी जिससे युवा वर्ग में बढ़ते असंतोष को कम किया जा सके और देश को उनकी प्रतिभा तथा क्षमता का पूरा लाभ मिल सके।
हमारे देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। मैं जानता और समझता हूँ कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश के प्रत्येक व्यक्ति की सभी आवश्यकताएँ पूरी करना एक कठिन कार्य है। किंतु यह भी हमारे लिए लज्जाजनक है कि आज भी लोग गरीबी और भूख से मरते हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे देश में अनाज की कमी है, बस उसका उचित और ठीक ढंग से बंटवारा नहीं हो पा रहा। मेरी सरकार इस दिशा में पूरा प्रयास करेगी कि कम-से-कम प्रत्येक व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं अवश्य पूरी हो सकें।
जनसंचार के बढ़ते साधनों ने संसार के देशों के बीच की दूरियां कम कर दी हैं। आज प्रत्येक देश को उन्नति और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है और वे एक दूसरे से मैत्रीपूर्ण संबंध बनाना चाहते हैं। हम भी सभी देशों से शांतिपूर्वक मैत्री संबंध रखना चाहते हैं। किंतु यदि कोई देश हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है या हमारी सीमाओं को लाँघने का प्रयास करता है तो वह हमें कदापि सहन नहीं होगा। मेरी सरकार इस ओर पूर्ण रूप से सचेत रहेगी कि कोई विदेशी ताकत हमारी सीमाओं में घुसने न पाए।
भारत प्राचीन काल से ‘जिओ और जीने दो’ में विश्वास रखता आया है। किंतु जो लोग आतंकवाद के माध्यम से देश को कमजोर बनाने व अलगाववादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे, मेरी सरकार उन्हें बलपूर्वक समाप्त करने से पीछे नहीं हटेगी।
उद्योग तथा व्यापार देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। देश को आर्थिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था के रहते हुए भी में और मेरी सरकार गैर-सरकारी क्षेत्रों को बढ़ावा देने का प्रयास करेगी।
मेरे प्रधानमंत्री होने पर मेरा भारत एक बार पुन: सोने की चिड़िया कहलाएगा। चारों ओर खुशहाली और समृद्धि, आपसी प्रेम, भाईचारे और सहयोग का राज्य होगा। मानव का धर्म होगा – मानव सेवा। भारत की प्राचीनकाल से चली आ रही विश्व के आध्यात्मिक गुरु की छवि पुन: निखर उठेगी। काश! मुझे प्रधानमंत्री बनने का एक अवसर मिले।
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