Essay on India In Hindi भारत पर निबंध
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भारत पर निबंध Essay on India In Hindi
Essay on India In Hindi 200 words
भारत पर निबंध
विचार-बिंदु – • प्रस्तावना – प्राचीन सभ्य देशों में अग्रगण्य • अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य • गौरवशाली इतिहास • सभी धर्मों और संस्कृतियों की भूमि • उपसंहार (अद्भुत है मेरा देश)।
भारत का नाम विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में गौरव से लिया जाता है। प्रकृति ने भारत की देह का निर्माण एक संदर देवी के रूप में किया है। हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ उसका सुंदर मुकुट हैं। अटक से कटक तक फैली उसकी विस्तत बाहें हैं। कन्याकुमारी उस देवी के चरण हैं। गंगा-यमुना की धाराएँ उस देवी के वक्ष से निकलने वाला अमृत है। भारत का इतिहास अत्यंत गौरवशाली है। इसके ज्ञान के कारण ‘जगद्गुरु’ तथा धन-वैभव के कारण ‘सोने की चिडिया’ कहा जाता था।
भारत में जितने खनिज भंडार हैं, उतने अन्य किसी देश में नहीं। इस धरती ने विश्व को सत्य, अहिंसा, धर्म और सर्वधर्मसमभाव का संदेश दिया। भारत में जैन, बौद्ध, हिंदू जैसे विशाल धर्मो ने जन्म लिया। हमने आजादी की लड़ाई भी अहिंसा के अस्त्र से जीती। आज भी अगर विश्व-भर को शांति चाहिए तो उसे भारत की शरण में आना होगा। भारतवर्ष सभी धमों और संस्कृतियों का संगमस्थल है। यहाँ गिरजे भी हैं तो गुरूद्वारे भी, मंदिर भी है तो मसजिदें भी। सचमुच हमारा भारत अद्भुत है। इसकी महिमा तथा गरिमा अनूठी है।
Essay on India In Hindi 225 words
प्रगति की ओर भारत के कदम
विचार–बिंदु – • भारत का सूर्योदय • अमरीका भारत की आर्थिक प्रगति से चिंतित • कंप्यूटर–सॉफ्टवेयर में भारत का दबदबा • आउटसोर्सिंग में भारत अग्रणी • भारत के उद्योग–धंधे विकास की ओर।
आज भारत का सूर्योदय–काल है। गुलामी की जंजीरों को काटने के बाद वह प्रगति के रथ पर आरूढ़ हो चुका है। आज अमरीका को किसी से खतरा है तो चीन और भारत से। भारत विश्व का तीसरा बड़ा देश है जो विज्ञान–तकनीक और धन–संपत्ति कमाने में बढ़–चढ़कर लगा हुआ है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में भारत का पूरे विश्व पर दबदबा कायम है। हमारी कंप्यूटर कंपनियाँ पूरे संसार को कंप्यूटरीकृत करने में लगी हुई हैं। हर वर्ष लाखों कंप्यूटर–इंजीनियर अरबों–खरबों रुपयों की धन–संपत्ति कमाकर भारत को समृद्ध बना रहे हैं। अब अमरीका, इंग्लैंड आदि देशों को अंग्रेज़ी पढ़ाने से लेकर, खाता–बही बनाने की सेवाएँ भारतवासी दे रहे हैं। उन्नत देशों के लोगों में हड़कंप मच गया है कि आने वाले सालों में सारी सेवाएँ भारतीय नागरिक ले जाएँगे। वहाँ बेरोजगारी का भूत मँडराएगा और भारत अपनी बौद्धिक कुशलता पर इतराएगा। अब भारत की कंपनियाँ बहुत शक्तिशाली बनती जा रही हैं। संसार की सबसे बड़ी स्टील कंपनी का मालिक भारतीय उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल है। रतन टाटा ने ब्रिटेन की प्रमुख स्टील कंपनी को खरीदकर अंग्रेज़ों को दिखा दिया है कि अब भारत शक्ति–स्रोत बन चुका है।
Essay on India in Hindi 250 Words
भारत का प्राकृतिक सौंदर्य
विचार-बिंदु – • प्राकृतिक सौंदर्य का आशय • भारत के पर्वत • भारत के समुद्र तट • भारत की नदियाँ • भारत की हरियाली • भारत के रेगिस्तान • विविध मौसम।
प्राकृतिक सौंदर्य का आशय है – प्रकृति द्वारा दिया गया सौंदर्य । प्रकृति ने भारत को सबसे बड़ा वरदान दिया हिमालय पर्वत। इसकी चोटियाँ अछूती हैं। इसकी श्वेत बर्फ सूरज की धूप में चाँदी के मुकुट के समान चमकती है। लाखों पर्यटक इसके सौंदर्य को निहारने के लिए दूर-दूर से आते हैं। भारत में एक नहीं, अनेक मनोरम पर्वत हैं। काश्मीर, जम्मू, शिमला, मसूरी, नैनीताल, कौसानी, मनाली, ऊटी, शिलाँग, गोहाटी, आबू आदि पर्वत-स्थल विशेष रूप से सुंदर हैं।
भारत की सीमाएँ तीन ओर से समुद्र-तट से घिरी हैं। इनकी शोभा सूर्योदय और सूर्यास्त के समय देखते ही बनती है। भारत नदियों का देश है। यहाँ की सबसे पवित्र नदी गंगा है। यमुना, नर्मदा, कावेरी, सिंधु, सतलुज, ब्यास आदि अनेक नदियाँ यहाँ के जन-जन की प्यास को तृप्त करती हैं और अपने सुंदर रूप से प्रसन्न करती हैं। भारत के मैदानी भाग बारहों मास हरियाली से लदे रहते हैं। किसानों की हरी-भरी फसलें हों या पेड़ों की हरी पत्तियाँ – सबमें जबरदस्त सम्मोहन-शक्ति है। रेगिस्तान का अपना सौंदर्य है। भारत विशाल देश है। यहाँ हर प्रकार का मौसम अपनी छटा बिखेरता है। यहाँ वसंत और वर्षा के मौसम अत्यंत सुहावने लगते हैं। इस प्रकार प्रकृति ने भारत को सब प्रकार का आस्वाद और वैभव दिया है।
Essay on India In Hindi 400 words
भारत पर निबंध
हमारे देश का नाम भारत है जो एक बहुत ही विशाल देश है। भारत भौगोलिक रुप से एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। भारत की राष्ट्रीय भाषा हिन्दी है, जहाँ लगभग 14 अन्य भाषाओं को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त है। अगर क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से बात करें तो हमारा देश विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या के हिसाब से हम “चीन” के बाद दूसरे स्थान पर हैं, हमारे देश की जनसंख्या लगभग 1 अरब 21 करोड़ है। भारत विश्व के विकासशील देशों की श्रेणी में आता है जो बहुत ही तेज गति से विकासवाद है, जो विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा होने के लिए 21 वी सदी में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
सूर्यवंशी राजा “भरत” के नाम से हमारा देश का नाम “भारत पड़ा”। भरत “दुष्यंत और शकुंतला” के पुत्र थे। भारत के बाद हमारे देश का नाम “हिन्द, हिंदुस्तान और इंडिया” के नामों से भी जाना जाता है। हमारा देश की पवित्र भूमि पर हिंदू संस्कृति फली-फूली और वेदों की ऋचाएँ लिखी गई। पवित्र भूमि पर भगवान कृष्ण, राम, गौतम बुद्ध, महावीर, नानक इसी भूमि पर अवतरित हुए। भारत देश में धर्म ने ऊंचाइयों को छुआ है, जिसने पूरे विश्व को शांति, सत्य और अहिंसा का उपदेश दिया। हमारा देश धार्मिक विविधता वाला देश है जहा हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, मुस्लिम आदि धर्मों को एक सामान दृष्टि से देखा जाता है।
भारत बहुत ही खूबसूरत देश है जो अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए जाना जाता है। ताजमहल भारत का एक अनमोल स्मारक और प्यार का प्रतीक है। हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति पूरे विश्व में विख्यात है, जिस कारन लाखों की संख्या में विदेशी नागरिक भारत को ओर अच्छे तरीके से जानने और घूमने के लिए आते है।
सनं 1947 से पहले हम अंग्रेज़ो के गुलाम थे, पर हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और समर्पण ने हमे अंग्रेज़ो से आज़ादी दिलाई। हमे अंग्रेज़ो से आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिली, जिसे हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता आ रहा है । पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। महान हिमालय से रक्षित तथा पवित्र गंगा से सिंचित हमारा भारत एक स्वतंत्र आत्मनिर्भर देश है। हमारा देश प्राकृतिक रुप से सभी दिशाओं से सुरक्षित है क्योकि यह तीन तरफ से तीन महासागरों से घिरा हुआ है। भारत आज के युग का एक बहुत शक्तिशाली देश है।
Essay on India In Hindi 400 words
अनेकता में एकता का देश भारत पर निबंध
विश्व के कुछ ही ऐसे देश होंगे जो अनेकता में एकता की भारत की अक्ष्तिीय विशिष्टता वाले स्वरूप के सामने टिक सकें । सचमुच विविधता में एकता का रंग संजोए भारत एक अति प्राचीन देश है। इसका इतिहास हमें 5000 ई.पू. से ही प्राप्त होने लगता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि जिस समय विश्व के अन्य हिस्सों में आदिमता और पशुता का ही निवास था, उस समय भारत देश के निवासी रचनात्मक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रभावशाली क्रियान्वयन करने लगे थे। भारत एक धर्म-प्राण और सांस्कृतिक महत्ता रखने वाले देश के रूप में जाना जाता है। भारत का सांस्कृतिक गौरव विश्व विख्यात है। संस्कृति के क्षेत्र में भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाला, विश्व का कोई दूसरा देश नहीं हो सकता। भारत की सांस्कृतिक परम्परा अति दीर्घ और वैश्विक औदात्य से परिपूर्ण मानों एक शाश्वत परम्परा है।
भारत का सांस्कृतिक गौरव भारतीय साहित्य में उजागर होता है। अनेकानेक कवियों ने इसकी स्वच्छ एवं पावन धारा का गुणगान एवं महिमावर्णन अपने-अपने कलात्मक-प्रकार्यों में किया है। आदिकवि बाल्मीकि ने भी भारतवर्ष निवासियों की सांस्कृतिक-चेतना का अति विशद वर्णन रामायण में किया है। कालिदास, तुलसी, कबीर, सूरदास, दयानन्द, विवेकानंद, महात्मा गाँधी आदि अनेक महान विभूतियां इस पावन धरती पर समय-समय पर अवतरित होते रहे हैं। उन्होंने भारत को धर्म, जाति आदि विभेदों में नहीं बढ़ने दिया अपितु प्रत्येक मनुष्य को समानता और मानवता की आधारशिला पर ही अवलंबित किया और मानवता को ही एक मात्र सामाजिक-दर्शन माना।
भारत एक ऐसा देश है जिसमें भिन्न-भिन्न धर्मों, जातियों, नस्लों और सम्प्रदायों के लोग एक साथ निवास करते हैं। यह न केवल आज के हमारे आधुनिक समय के बारे में ही सत्य है अपितु पुराने समय की भी सच्चाई है। आर्य, नाग, हूण आदि अनेक जातियां इस देश में रहती चली आईं हैं। आज हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, यहूदी आदि अनेक धर्म-सम्प्रदाय समान-भाव से भारतीय समाज में प्रचलित हैं। यही नहीं, हज़ारों जातियों नस्लों और रूप-रंग के लोग इस समाज में एक साथ रहते हैं। हांलाकि, कुछ समय से साम्प्रदायिक मनोवृत्ति के लोग इस सद्भाव और साम्प्रदायिक सौहार्द को खण्डित करने की चेष्टा कर रहें हैं। यह भारतीय-समाज की अपनी अंतनिर्हित शक्ति ही है कि कभी साम्प्रदायिक अथवा धार्मिक-संकीर्णता यहां बस न सकी है।
हमने एक लम्बे समय तक ब्रिटिश शासन की पराधीनता के विरूद्ध संघर्ष किया था। अंग्रेजों के खिलाफ़ उमड़े इस मुक्ति-संघर्ष में सभी धर्मों, सम्प्रदायों और जातियों के लोगों ने समान भाव से अपनी भागीदारी निभाई। देश के दुश्मनों से लड़ते समय हमारी धर्मिक अथवा जातीय अनेकता कभी भी बाधक नहीं बन सकी। हालांकि, अंग्रेजों ने इस धार्मिक विविधता में फूट डालने और सांप्रदायिक वैमनस्य उत्पन्न करने के अनेक प्रयास किए किन्तु, वे कभी भी सफल नहीं हो सके। आज़ादी के बाद जब भारतीय-संविधान निर्मित और व्यवस्थित हुआ उसमें स्पष्ट शब्दों में यह व्यवस्था की गई कि इस देश में निवास करने वाले किसी भी नागरिक के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव, धर्म, जाति अथवा नस्ल के आधार पर नहीं किया जाएगा। संविधान का यह प्रावधान व्यावहारिक रूप से हमारे समाज में सिर्फ इसीलिए लागू किया जा सका क्योंकि भारतीय समाज अपने मूल चरित्र में गैर-साम्प्रदायिक समाज है। यहां किसी भी प्रकार की संकीर्णता कभी भी ठहर नहीं सकी है। इसका कारण है: इस देश की मानवतावादी सांस्कृतिक-परम्परा और विचारधारा। भारतीय समाज अपने वास्तविक स्वरूप में मानवीय-अन्तर्वस्तु से परिपूर्ण है।
जैसा कि हम यह जानते हैं कि सभी मनुष्य समान हैं। मनुष्य-मनुष्य में धर्म जाति आदि के आधार पर जिस भेदभाव की कल्पना की जाती है वह संकीर्ण मानसिकता का परिणाम है। हमें गर्व है कि भारतीय समाज अनेकता एवं विविधता का देश है। सच पूछा जाए तो यह भारतीय समाज की सच्ची शक्ति ‘अनेकता में एकता’ की भावना में ही निहित है।
Essay on India In Hindi 500 words
भारत – आर्थिक महाशक्ति के रूप में
पिछले कुछ वर्षों में भारत की आर्थिक स्थिति जिस तरह से मजबूत हुई है, उसे देखकर कहना न होगा कि आने वाले कुछ ही समय में भारत विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा होगा। सच तो यह है कि भारत के आर्थिक विकास की गति को देखकर कुछ पश्चिमी देश अभी से पेशोपेश में पड़ गये हैं।
पश्चिम अब उन गुत्थियों को सुलझाने में लगा है जिनके आधार पर भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। भारत की इस तेज रफ्तार तरक्की के चर्चे अब खास आयोजनों के अलावा साधारण रेस्तराओं और पबों तक पहुंच चुके हैं। ब्रितानी मीडिया और नीति निर्धारक अब इस बात पर माथापच्ची करने लगे हैं कि क्या वे उन हालातों के लिए तैयार हैं जब आने वाले समय में एशिया की उभरती आर्थिक महाशक्ति भारत विश्व की नुमाइंदगी कर रहा होगा।’
हाल ही में लंदन के एक समारोह में एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने चिंता का इजहार करते हुए कहा कि ब्रिटेन उन हालात के लिए तैयार नहीं है – जब आर्थिक, राजनीतिक शक्ति का एक मजबूत केंद्र एशिया होगा। यूरोपीय सुधार केंद्र के निदेशक, चार्ल्स ग्रांट ने, ‘गार्जियन’ में लिखे अपने लेख में इस बात को गंभीरता से उठाया है। ग्रांट के मुताबिक इतिहास में कुछ भी स्थाई नहीं है, यहां तक कि अमेरिका का एकछत्र राज भी नहीं। उनका मानना है कि भारत और चीन के विकास की गति से साफ है कि आने वाले दशकों में अमेरिकी प्रभाव वाले एक-ध्रुवीय विश्व होगा और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत उसकी नुमाइंदगी कर रहा होगा। अनेक विश्लेषक, भारत-अमेरिकी संबंधों में आ रहे बदलाव को इसी नजरिए से देख रहे हैं। पिछले दिनों ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने ‘इंडिया एंड ग्लोबलाइजेशन’ में उन कारकों का अध्ययन और विश्लेषण करने की कोशिश की जिनकी बदौलत भारत की अर्थव्यवस्था चीन को भी पीछे छोड़ सकती है। कहा गया है कि भारत के पास तकनीकी कुशलता वाले लाखों पेशेवर और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले युवाओं की शक्ति है। भारत की यही युवा-शक्ति उसे चीन से अलग खड़ी करती है। लंदन के तीन बड़े अखबारों ने पिछले कुछ दिनों में भारतीय अर्थव्यवस्था पर जितना अध्ययन-विश्लेषण किया है, उतना भारत संबंधी किसी अन्य विषय पर पिछले कुछ महीनों में नही की गई।
इन विषयों पर अब भारतीय छात्रों को अपने देश की शान में कसीदे पढ़ने की जरूरत पड़ती है। यहां अध्ययन कर रहे भारतीय छात्रों को गोरे छात्रों द्वारा भारत के विषय में उठाए सवालों और फिर खुद उनके ही द्वारा दिए गए जवाब की पुष्टि भर करनी होती है। लेकिन भारतीय छात्र उस समय अपना दिल मसोस कर रह जाते हैं जब भारत की इस चौंकानेवाली तरक्की का असर आम लोग महसूस तक नहीं कर पाते हैं।
इसमें संदेह नहीं कि आने वाला समय भारत के लिए अत्यंत ही सुनहरा और समृद्धशाली होगा। साथ ही, इसमें भी संदेह नही कि यदि भारत अपनी आर्थिक किवास की गति को कायम रख सका, तो जल्दी ही वह आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा होगा।
Essay on India In Hindi 800 words
भारत पर निबंध
भारत की भौगोलिक स्थिति की अपनी विशेषता है। यह देश बहुत बड़ा है। कश्मीर से कन्या कुमारी तक फैला हुआ है। इस की जनसंख्या संसार के देशों में दूसरे नम्बर पर है। इस समय भारत की आबादी 100 करोड़ के लगभग है। सारा भारत 27 प्रान्तों में और 7 केन्द्रीय शासित प्रदेशों में बंटा हुआ है। भारत देश बहुभाषी है। 14 भाषायें तो संविधान में स्वीकार की हुई हैं और इनके अतिरिक्त अन्य भाषाएं भी हैं जो बोली जाती हैं। यह राष्ट्र सब से बड़ा प्रजातन्त्र राष्ट्र है इसमें लोकसभा के 545 सदस्य हैं और दो हज़ार से ऊपर विधान सभाओं के सदस्य हैं। हमारे देश में गणतन्त्र के आधार पर शासन होता है। भारत की भूमि हर तरह की काली, चिकनी और हरी भरी है। इसी तरह यहां के लोग भी विभिन्न तरह के हैं। भारत भौगोलिक दृष्टि से इतना परिपूर्ण है कि अन्य लोगों को आश्चर्य होता है।
इसके स्तर में हिमालय का पर्वत मुकुट है जिसकी पर्वत श्रृंखलाएं आकाश को छूना चाहती हैं। ऐवरेस्ट की ऊंची चोटी विश्व के पर्वतारोहियों का तीर्थ है। इसी प्रकार गंगा और यमुना, सतलुज और ब्यास नदियों की जल धारा, दक्षिण भारत के पठार, मैदान, रेगिस्तान और घने हरे-भरे जंगल, जंगल में उछलते-कूदते वन्यजीव, इस देश की भौगोलिक परिधि को अनेक रूप प्रदान करते हैं।
इकबाल के शब्दों में :
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।
हमें बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा॥
पृथ्वी का स्वर्ग कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसी प्रकार प्रकृति ने अपनी तूलिका से सम्पूर्ण भारत को सौन्दर्य से मण्डित कर दिया है। पर्वतराज हिमालय देश का भव्य हिमकिरीट है। इस देश में ऋतुएं मानो अपनी-अपनी निधि बिखेरती हों। बसंत में मानो सारा देश दुल्हन की भांति खिल उठता है। पुष्प, हरियाली और सौन्दर्य मानो चारों ओर बिखर जाता है। वर्षा ऋतु की उमड़ती-घुमड़ती घटाएं, वर्षा की बौछार, अपना अलग ही सौंदर्य प्रदर्शित करती है। ये छ: ऋतुएं बारी-बारी आकर अपना रंग दिखाती हैं। ऐसा कोई देश नहीं जहां ऋतुओं का इतना सुनियोजित रूप देखने को मिले।
भारत की जितनी नदियां हैं उनकी शायद गिनती भी नहीं हो सकती। इन नदियों के कारण ही भारत की भूमि सदा हरी-भरी रहती है। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, कृष्णा, गण्डक, जेहलम, चिनाव, रावी, ब्यास, ताप्ती, महानदी, इस तरह देश में नदियों का जाल बिछा हुआ है। जिनका जल ठण्डा, मीठा और स्वादिष्ट है। भारत के पर्वत इतने बड़े-बड़े हैं कि उनकी चोटियों को शत्रु पार नहीं कर सकते। हिमालय के अतिरिक्त सतपुडा पर्वत, विन्ध्याचल पर्वत, अरावली पर्वत आदि बहुत बड़े-बड़े पर्वत हैं जिनकी चोटियां दुर्लभ हैं। भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य ने इसे और भी सुन्दर बनाया हुआ है।
इतिहास में एक युग वह भी था जब अखण्ड भारत की सीमा में बर्मा भी शामिल था। इसी भारत से बर्मा अलग हुआ, इसी भारत में से ही पाकिस्तान बना। सन् 1930 में भारत का क्षेत्र बहुत विशाल था। हर तरह की भाषा बोलने वाले, हर तरह के रंगों वाले, हर तरह के आचार-विचार और वेषभूषा वाले व्यक्ति भारतवर्ष में मिलेंगे। यदि सारे भारत का कोई दौरा करे तो वह भारत के प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर चकित रह जाएगा। भारत में ऐसी भूमि भी है यहां मुश्किल से पांच इंच वर्षा होती है और ऐसी भूमि भी है जहां 500 इंच वर्षा होती है। फूलों की बहार, पशु – पक्षियों का परिवार, वृक्षों का भण्डार, जल-राशि का आगार, सभ्य मानव का संसार, प्राकृति सौन्दर्य यहां पर विद्यमान हैं। तात्पर्य यह कि सब चीजें एक साथ देखनी हों तो भारत में शरण लीजिए।
देखने को भारत में अनेकता है। बोलचाल में, खान-पान में, वेषभूषा में विविधता पाई जाती है। यदि कोई यहां पर आकर देखे तो यह सोचेगा कि क्या ये सब एक ही देश के नागरिक हैं, शायद उसे विश्वास न हो, क्योंकि इसमें जातियां अनेक हैं, विश्वास भी अनेक हैं परन्तु फिर भी देश-प्रेम एक ऐसी चीज है जिसने सबको एक सूत्र में पिरोया हुआ है। इस तरह हम अनेक होते हुए भी एक हैं।
इस भूमि में राम, कृष्ण, गाँधी, गौतम, नानक, गुरु गोबिन्द सिंह, विवेकानन्द, दयानन्द, महावीर स्वामी आदि अवतारों, गुरुओं ने जन्म लिया। इसके इतिहास में चन्द्रगुप्त, चाणक्य और अशोक जैसे अनेकों व्यक्तित्व हुए हैं। सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, आजाद, अब्दुल कलाम, पण्डित नेहरू जैसे आजादी के परवाने इस देश के लिए जिए और मरे हैं।
इस देश में पंजाबी, गुजराती, राजस्थानी, तेलगू, असमिया, बंगाली, मद्रासी, हिन्दी भाषा-भाषी लोग हैं। इसके उत्सव और त्योहार, तीर्थ और पूजा स्थल, मन्दिर और मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे इसकी एकता के सूत्र में माला के दानों की तरह एक होते हैं। इसकी सभ्यता और संस्कृति ने बाहरी आक्रमणों को झेला है लेकिन विजय श्री भी इनको प्राप्त हुई है।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत ने अनेक तूफान और संकट झेले हैं, लेकिन इसकी महानता इसी बात से प्रकट हुई है कि जाति, धर्म और साम्प्रदायिकता का जहर इसे तोड़ नहीं पाया।
जिस प्रकार से हमारा देश भारत आगे बढ़ रहा है, हमे पूरा यकीन है की मेरा देश फिर से अपने प्राचीन गौरव को हासिल कर सकेगा और एक दिन विश्वगुरू बनेगा।
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