Essay on Nainital in Hindi नैनीताल पर निबंध
|Read an essay on Nainital in
Essay on Nainital in Hindi
गर्मी की छटटियों में हमारा परिवार कहीं-न-कहीं सैर के लिए निकल जाता है। इस बार हमने सोचा कि किसी ठंडे पहाड़ी स्थान पर घूमने जाया जाए। काफी सोच-विचार के बाद हमने तय किया कि इस बार हम नैनीताल जाएँगे। हम दिल्ली से रेलगाड़ी द्वारा काठगोदाम पहुँचे। वहाँ से नैनीताल जाने वाली बस मिल गई। टिकट लेकर हम बस में बैठ गए।
से रेलगाड़ी द्वारा काठगोदाम पहुँचे। वहाँ से नैनीताल जाने वाली बस मिल गई। टिकट लेकर हम बस में बैठ गए।
काठगोदाम से ही पहाड़ की चढ़ाई आरंभ हो गई। सामने ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ दिखाई दे रही थीं। चक्करदार सड़क पर बस कभी इधर, कभी उधर झुकती हुई धीरे-धीरे चल रही थी। सामने चढ़ाई ही चढ़ाई थी और अगल-बगल में पहाड़ों का अटूट सिलसिला था। गहरी खाइयाँ कभी बाईं ओर दिखाई देतीं तो कभी दाईं ओर खिड़की से नीचे देखते ही मैं सहम जाती। मेरी बहन को तो बीच-बीच में चक्कर आता और वह आँखें बंद कर लेती। इन खाइयों में ऊँचे-ऊँचे देवदार, चीड़ आदि के वृक्ष थे।
जब हम नैनील पहुँचे तो हमें मैदान और पहाड़ का फ़र्क साफ़ महसूस हुआ। वहाँ गर्मी का नामोनिशान तक न था। ठंडी हवा, आसमान में छाए बादल तथा नैनीताल का सुंदर नजारा देख हम सब बहुत प्रसन्न थे। हम सीधे एक होटल में गए और चाय-नाश्ता किया। उसके बाद हम घूमने निकले। सबसे पहले हम नैनी झील देखने गए। वहाँ छोटी-छोटी रंगीन नावें तैर रही थीं। लोग नावों में बैठकर झील की सैर का आनंद ले रहे थे। नैनीताल की यह झील चारों ओर से हरी-भरी पहाडियों से घिरी है। इन पहाड़ियों पर हर-हर वृक्ष ताल की सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे। चारों ओर हरियाली से घिरा ताल का जल भी हरी लगता है। हम लोगों ने भी नाव में बैठकर झील की सैर की। इस झील के किनारे-किनारे एक सड़क है। इस माल रोड कहते हैं। इस सड़क से होकर हम सात ताल देखने निकले। यहाँ ऊँची पहाड़ियों से गरुड़ के आकार का एक ताल है, जिसके चारों ओर लीची और खूबानी के वृक्ष हैं। इससे कुछ दूर हम तल्लीताल, मल्लीताल व भीमताल भी देखने गए। इन तालों के किनारे कमल के फूल लगे हैं। गुलाबी कमल अत्यंत मोहक प्रतीत होते हैं। भीमताल का जल साफ़ है। आकाश की छाया से जल नीला दिखाई पड़ता है।
अगले दिन सूरज निकलने से पहले ही हम ‘स्नोव्यू’ देखने गए। यह जगह काफ़ी ऊँचाई पर है। यहाँ एक दूरबीन रखी है जिससे दूर की चोटियों की बर्फ़ साफ़-साफ़ दिखाई पड़ती है। वहाँ से हम ‘चाइना पीक’ नामक चोटी को देखने गए। चाइना पीक नैनीताल की सबसे ऊँची चोटी है। इस चोटी पर लोग खच्चर और घोड़ों पर बैठकर जाते हैं।
शाम को हम लोग नैना देवी के मंदिर गए। यह मंदिर झील के किनारे है। इस मंदिर के बारे में यहाँ के लोगों की मान्यता है कि राजा दक्ष के यज्ञ में अपमानित होने पर सती ने हवन कुंड में अपने प्राण त्याग दिए थे। भगवान शिव उनका मृत शरीर उठाकर हिमालय पर्वत ले जा रहे थे। मार्ग में इसी स्थान पर सती की आँखें गिर गई थीं। इसी कारण यहाँ नैना देवी का मंदिर बनाया गया। इसी के नाम पर ताल और शहर का नाम ‘नैनी’ रखा गया। यहाँ से लौटते समय हम हनुमान गढ़ी गए।
हनुमान गढ़ी एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ की गहरी खाइयाँ हृदय को दहला देती हैं। हनुमान तथा राम मंदिर के दर्शन कर सबने प्रकृति के सुंदर दृश्यों को देखा। इन ऊँची पहाड़ियों पर से सूर्यास्त अनुपम लग रहा था। दूर पहाड़ियों के पीछे ढलता सूरज मानो जल्दी में भाग रहा था। सारा गगन लाल हो गया। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक था।
हम तीन दिन तक नैनीताल में रहे और वहाँ के अन्य दर्शनीय स्थानों को देखा। फिर हम अपने घर लौट आए। नैनीताल की यादें हमारे मन में अब भी ताजा हैं। जब-तब हम अलबम निकालकर अपनी यादों को तरोताजा कर लेते हैं।
Essay on Himachal Pradesh in Hindi
Essay on Sound Pollution in Hindi
Essay on Experimentalism in Hindi
Thank you for reading. Leave a feedback on essay on Nainital in Hindi.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।