Essay on Value of Progress in Hindi प्रगति का मूल्य पर निबन्ध
|Essay on Value of Progress in Hindi for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Most students find difficulty in writing
Essay on Value of Progress in Hindi
विचार – बिंदु – • अनंत इच्छाओं से प्रगति संभव • सीमित इच्छाओं से ठहराव • ठहरने वाले का पतन • निरंतर एक लक्ष्य आवश्यक • लक्ष्य मिलने के बाद अगला लक्ष्य आवश्यक।
संसार में प्रगति वही कर सकता है, जिसके पास अनंत इच्छाएँ हैं। जिसकी इच्छाएँ सीमित हैं, उसका एक-न-एक दिन ठहरना निश्चित है। यह भी सत्य है कि जो जरा भी ठहरा, उसका पतन शुरू हुआ। इसलिए यदि पतन से बचना है, अवनति और ठहराव से बचना है तो अपने सामने निरंतर एक लक्ष्य रखो। इसीलिए जयशंकर प्रसाद ने सफलता पाने वाले पथिक से भी यही कहा –
इस पथ का उद्देश्य नहीं है श्रांत भवन में टिक रहना।
किंतु पहुँचना उस सीमा पर, जिसके आगे राह नहीं।
आशय यह है कि एक लक्ष्य को पाने के बाद नए लक्ष्य तय करना – यही प्रगति का मूल लक्ष्य है। इसका अर्थ यह नहीं है कि कभी लक्ष्य-प्राप्ति से संतुष्ट न हों। संतुष्ट हों। अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें। अपनी सफलताओं से आत्मविश्वास प्राप्त करें। परंतु किसी भी उपलब्धि को अपनी अंतिम उपलब्धि न मान लें। संतोष की हर साँस में से एक बड़ी इच्छा को जन्म दें। यही इच्छा जीवन को फिर से गतिशील कर देगी। यह असंतोष ही प्रगति की ओर ले जाने वाला प्रेरक होगा।
More Hindi Essay
Parishram Ka Mahatva essay in Hindi
Thank you for reading. Don’t forget to write your review.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।