Essay on Capital Punishment in Hindi मृत्युदंड पर निबंध
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Essay on Capital Punishment in Hindi
क्या मौत की सजा समाप्त कर देनी चाहिए ? इसके पक्ष और विपक्ष में अपने विचार दीजिए।
पक्ष में विचार
1. सरकार को किसी की जान लेने का अधिकार नहीं है। मनुष्य भगवान् द्वारा बनाया हुआ एक सामाजिक प्राणी है। भगवान् द्वारा मनुष्य के शरीर में सांस फूंक दिए जाने से मनुष्य की कार्यप्रणाली ठीक प्रकार चलती है। यह सब प्रकृति की देन है इसलिए सरकार को किसी की जान लेने का कोई अधिकार नहीं है।
2. मौत की सजा से पापी मरता है, पाप नहीं। अपराधी को उसके जघन्य पाप की सजा ‘सजा-ए-मौत’ से अपराध को खत्म नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि वह पाप को खत्म करे न कि पापी को।
3. यदि अपराधी को सजा देनी है तो इससे पहले उसको सुधरने का एक मौका अवश्य देना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक अपराधी को अपराध करने के बाद अफसोस जरूर होता है। अत: वह पश्चाताप करना चाहता है।
4. मौत की सजा से बढ़कर सख्त सजा कोई नहीं है। अपराधी वास्तव में कई बार बेकसूर होता है और बाद में वह निरपराध घोषित हो जाता है तो उसको बिना कारण ही जान से हाथ धोना पड़ता है। अत: सरकार को मौत की सजा की बजाए कोई वैकल्पिक सजा देनी चाहिए।
विपक्ष में विचार
1. अपराधी को सजा न दी जाए तो उसको और अधिक अपराध करने की आदत पड़ जाती है। उसको तथा औरों को कानून के डर का अहसास करवाने के लिए सजा देना बहुत आवश्यक है।
2. यदि अपराधी कोई गम्भीर अपराध करता है तो उसको उस भयानक और खतरनाक अपराध की सजा देना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि गम्भीर अपराध की सजा भी गम्भीर होनी चाहिए।
3. मौत से बड़ी सजा कोई नहीं है क्योंकि संगीन और खतरनाक अपराध की सजा मौत है। इसलिए बदमाश लोगों, विशेषकर पेशेवर अपराधियों को, यह सजा देनी ही पड़ती है, ताकि कमजोर लोगों के दिल में इसका विश्वास हो जाए कि उनका जीवन सुरक्षित है।
4. लोगों के दिल में यह विश्वास बैठाने के लिए कि कानून भी कोई चीज है, ऐसी सजा को लागू करना जरूरी हो जाता है। अतः इस प्रकार की सजा अपराधी को अवश्य दी जानी चाहिए।
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