Essay on Delhi Metro in Hindi दिल्ली मेट्रो पर निबंध
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Essay on Delhi Metro in Hindi
दिल्ली मेट्रो रेलः उपलब्धि – शहर आज मानव-समाज के केन्द्र में आ गये हैं। हर आदमी शहर की ओर निकलने की कोशिश कर रहा है और निकल भी रहा है। इससे शहरों में जनसंख्या बेतरतीब रूप से बढ़ती जा रही है। लाखों-करोड़ों की आबादी शहरों में निवास कर रही है। इससे शहरों में अनेक प्रकार की समस्याएं जन्म लेती हैं। साथ ही यातायात के साधनों की बढ़ती खरीद-फरोख्ख इन शहरों को और भी विकराल बना देती है। ऐसे में लोगों के चलने-फिरने की समस्या भी खड़ी हो जाती है। किन्तु, इसके समाधान के रूप में ऐसा नहीं कहा जा सकता कि शहरों में लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, अपतुि इसके लिए एक कारगर रणनीति ग्रहण की जानी चाहिए। दिल्ली देश की राजधानी है। इसके प्रति लोगों के मन में एक सहज आकर्षण प्राय: रहता ही है। हर आदमी यहाँ आकर निवास करना चाहता है। हुआ भी कुछ ऐसा ही है।
पिछले कुछ दशकों में, दिल्ली की आबादी में जिस बेतहासा रूप से बढोत्तरी देखी गयी। है, वह सरकार और प्रशासन की नींद हराम कर देने वाली कही जा सकती है। यहाँ इसका सबसे जबरदस्त प्रभाव जिस एक चीज पर पड़ा वह थी यहाँ यातायात व्यवस्था। तेजी से बढ़ती आबादी से दिल्ली की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी। सरकार को इस विकराल स्थिति को ध्यान में रखते हुए, इसके पुन: व्यवस्थापन पर विचार करना पड़ा। इसके लिए सरकार ने तीन प्रकार की कार्य योजनाओं को मूर्तरूप देने की चेष्टा की। प्रथम, सड़कों का विस्तार करना, दूसरा फ्लाईओवर निर्मित करना और तीसरा दिल्ली में मेट्रो रेल की सुविधा आरम्भ करना। इन तीनों योजनाओं को सरकार बड़ी ही शिद्दत से क्रियान्वित कर रही है, इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता।
दिल्ली की बहुतांश आबादी बसों में यात्रा करती हैं। इससे सरकार को इस व्यवस्था को और भी व्रिस्तृत करना पड़ा है। किन्तु इसे इतना प्रभावशाली नहीं कहा जा सकता जितना कि ‘मेट्रो-रेल’ परियोजना को। इस विशिष्ट परियोजना को कार्यरूप प्रदान करने के लिए सरकार ने ‘दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड’ की निर्माण की। इस परियोजना का मॉडल हांगकांग से लिया गया। इस परियोजना में इसी कारण विदेशी निवेश का स्वीकार्य भी किया गया।
अभी तक ‘मेट्रो-रेल’ परियोजना के पहले चार चरण पूरे हो चुके हैं। इस परियोजना का प्रथम चरण 24 दिसम्बर, 2003 को पूरा हुआ जब शाहदरा से कश्मीरी गेट तक की मेट्रो रेल सफलता पूर्वक चलाई गयी। इस परियोजना के अन्तर्गत करीब 6000 करोड़ रूपये का व्यय सरकारी तौर पर किया गया। कई हजार मजदरों और विशेषज्ञों की सहायता से यह कार्य यद्धस्तर पर किया गया। इसकी सफलता आज स्वयं सिद्ध है।
इसके दूसरे चरण में शाहदरा से रिठाला तक 41 किमी। का मार्ग तैयार किया गया। यह चरण 31 मार्च 2004 को सम्पन्न हुआ। इसके कुल 18 स्टेशन निश्चित किये गये जिनमें शाहदरा, वेलकम, सीलमपुर, शास्त्री-पार्क, कश्मीरी गेट, तीस हजारी, पुलबंगश, प्रतापनगर, इन्द्रलोक, कन्हैयानगर, केशवपुरम और नेताजी सुभाष पैलेस आदि प्रमुख हैं। । मेट्रो का तीसरा चरण भी पूरा किया जा चुका है। इसमें प्रमुखत: द्वारका और उत्तमनगर को संबद्ध किया गया है।
मेट्रो के माध्यम से यात्रा करने वाले वाले यात्रियों की संख्या आज लाखों में पहुँच चुकी है। यह राजस्व का एक बड़ा स्रोत बनकर उभरी है। इससे सर्वाधिक फायदा लोगों के समय का हुआ है। इसकी अति तीव्र गति मिनटों में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचा देती है।
मेट्रो स्टेशन की सुविधाएं आश्चर्य चकित करने वाली कही जा सकती हैं। यह सुविधा पूर्णत: कम्प्युटरीकृत सुविधा है। यहाँ प्रत्येक कार्य यांत्रिक ढंग से सुचारू रूप से किया जाता है। यहाँ लोगों की समस्त प्रकार की यात्राकालीन सुविधाओं का पूरा ध्यान यहाँ रखा गया है।
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