Essay on India and Pakistan in Hindi भारत और पाकिस्तान पर निबंध
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Essay on Relation Between India and Pakistan in Hindi
भारत पाकिस्तान संबंध पर निबंध
किसी कवि की यह प्रसिद्ध पंक्ति- ‘ह’ से ‘हिन्दु’, ‘म’ से ‘मुस्लिम’ और हम से बना है हिन्दुस्तान। ‘हम’ से बना हुआ यह हिन्दुस्तान सन् 1947 में दो टुकड़ों में बँट गया। हिन्दुस्तान का यह बंटवारा सिर्फ एक देश का बँटवारा नहीं था, अपितु दो सम्मिलित जातीयताओं, संस्कृतियों, परम्पराओं का भी विभाजन था। इस दारुण विभाजन ने हमारे सामूहिक आत्मबल को छिन्न-भिन्न कर दिया। जो भाग्य में लिखा हुआ था और अंग्रेज शासकों की कुटिलताओं की स्वाभाविक परिणाम था, वह किसी भी प्रकार से रोका नहीं जा सका और वह आज एक कड़वे सच के रूप में हमारे सामने विद्यमान है।
जिस समय भारत का विभाजन हुआ, उस समय लगभग सारा देश साम्प्रदायिकता की भयंकर आग में जल रहा था जिसकी लपटें चारों ओर फैल रही थी। गाँधीजी ने अपनी पूरी शक्ति से इस सांप्रदायिकता का विरोध किया और देश को दो टुकड़ों में विभाजित होने से रोकने का हर संभव प्रयास किया। किन्तु उनकी सदिच्छा साकार नहीं हो सकी और देश सदा-सदा के लिए विभाजन की त्रासदी झेलने के लिए अभिशप्त हो गया।
जिस दिन से यह त्रासद घटना घटी उसी दिन से आज तक भारत-पाक संबंध सामान्य नहीं हो सके हैं। अनेक दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ, अनावश्यक युद्ध और उसके बाद निरंतर घटने वाली आतंकवादी घटनाएँ – यह सब उसी दुर्भाग्यपूर्ण देश-विभाजन के दूरगामी परिणाम थे। आज भी पाकिस्तान की राजनैतिक-सत्ता, दोनों देशों के मध्य उसी पुराने दर्द और तनाव को बनाएं रखना चाहती है। यह वहाँ के संकीर्ण सम्प्रदायवादियों तुच्छ स्वार्थों को पूरा करती है। अपने तुच्छ स्वार्थों को पूरा करना ही इन संप्रदायवादियों मूल उद्देश्य रहा है। इसे पाकिस्तान का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की वहाँ की मुख्यधारा में ऐसे ही लोगों को बाहुल्य रहा है जो आज भी बना हुआ है।
भारत की विदेश नीति परस्पर समानता और बंधुत्व की ओर उन्मुख रही है। पाकिस्तान को इससे बाहर नहीं रखा गया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ सदा समान स्तर के संबंध बनाने की चेष्टा की। अभी हाल में बस-सेवा चालू की गई। यह एक महत्वपूर्ण सकारात्मक कदम था। इसका भी अभी तक कोई प्रभावशाली देखने में नहीं आया है। इसी प्रकार के और भी सद्भाव-पूर्ण प्रयास भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ किये गए, किन्तु लाहौर बस सेवा के आरम्भ होने के तुरंत बाद पाकिस्तान की तरफ से इसका धन्यवाद ‘करगिल युद्ध’ के रूप में दिया गया। भारत-पाकिस्तान का संबंध पूरी तरह सहज और सामान्य नहीं बन सका है।
भारत के प्रति पाकिस्तान के द्वेषपूर्ण रवैए की झलक हमें पाक-समर्थित आतंकवादी गतिविधियों में भी दिखलायी पड़ती है। आतंकवाद आज स्वयं इतना जहरीला और शक्तिशाली हो चुका है कि वह सिर्फ अपने दुश्मनों को ही नहीं निशाना बनाता अपितु अपने आश्रयदाताओं को भी उसी भांति डसता है। आज पाकिस्तानी समाज की हालात बद से बदतर होती चली जा रही है। अपने पड़ोसी देश के साथ उसकी नीति शत्रुतापूर्ण बनी हुई है।
भारत और पाकिस्तान आज भले ही पड़ोसी देश हैं किन्तु गुज़रे समय में वे एक ही थे। आज जिस गति से वैश्विक-स्थितियाँ और परिस्थितियाँ परिवर्तित हो रही हैं, उसे देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि अगर दोनों देशों ने अपनी विदेशी नीतियों में एक-दूसरे को महत्व देना आरम्भ नहीं किया तो इसके दूरगामी परिणाम और भयानक होगें। भारत ने इसे देखते हुए अपने रवैये को सदा ही उदार रखा है और पाकिस्तान को इस ओर जल्दी ही सोचना होगा। भारत आज एशियाई देशों में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभर रहा है। अत: उसके साथ समाजिकआर्थिक संबंध पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि विभाजन की पीड़ा और स्मृतियां इतनी कर और दुर्दान्त रही हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण सद्भाव की स्थिति तैयार करने में बहुत समय लगेगा। इस त्रासद तनाव को भविष्य के लिए हमें आज नहीं तो कल भूलना ही होगा। आज दोनों देशों के बीच संबंधों की एक नयी शुरूआत की आवश्यकता है। आशा है कि इस दिशा में दोनों देशों की सरकारें जल्दी ही सोचेंगी और दोनों देशों के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक संबंध सुदृढ़ हो सकेंगे।
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