Essay on Road Accident in Hindi सड़क दुर्घटना पर निबंध
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Essay on Road Accident in Hindi
Road Accident Essay in Hindi 1000 Words
सड़कों का आवाजाई के लिए प्रयोग बहुत लोकप्रिय है। रेलों के साथ-साथ सड़क मार्गों से यात्रा और सामान की ढुलाई आदि सारे संसार में की जाती है। यही कारण है कि हमारे देश में सड़कों का बड़ी तेजी से निर्माण और विस्तार हो रहा है। देश के विकास और औद्योगिक तरक्की के लिए यह आवश्यक है। प्रत्येक गाँव, कस्बे और शहर का आपस में सड़कों से जुड़ा रहना विकास की पहली कड़ी कही जा सकती है। सड़कों द्वारा आवागमन में बड़ी सुविधा, सहजता और आराम रहता है। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि भारत में सड़कों का रख-रखाव ठीक नहीं है। इनकी दुर्दशा निराशा का एक बड़ा कारण है। वाहनों की संख्या तो दिन दुगनी और रात चौगुनी बढ़ रही है परन्तु उसी अनुपात में सड़कों का विस्तार नहीं हो रहा और न देख-रेख ही हो रही है। परिणामत: सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
हमारे देश में लगभग 50,000 से अधिक व्यक्ति प्रतिवर्ष सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु को प्राप्त होते हैं और इससे भी अधिक पंगु या अपाहिज हो जाते हैं। यह मृत्यु दर अमेरिका की मृत्यु दर से 25 गुणा अधिक है। सड़कों पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है और उसे हटाने या कम करने के लिए उपाय नहीं किये जा रहे हैं। औसतन हमारे यहां सड़कों की विकास दर 8-10 प्रतिशत है और वाहनों की संख्या 540 लाख से भी अधिक। दिल्ली में वाहनों की संख्या बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है। यहां प्रत्येक 5 व्यक्तियों के पीछे एक वाहन है। सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण वाहन चालकों की लापरवाही है। वे सड़क के नियमों का पालन नहीं करते। बिना पूरे और अच्छे प्रशिक्षण के ही लोगों को वाहन चलाने के लिए लाइसैंस दे दिये जाते हैं। उन्हें सड़कों के नियमों का उचित ज्ञान नहीं होता और न वाहन चलाने का व्यावहारिक अनुभव।
लोग सुरक्षा नियमों की परवाह किये बिना मनमाने तौर पर अपने वाहन चलाते हैं। चौराहों पर लगी प्रकाश-बत्तियों की ओर वे ध्यान नहीं देते। अनुचित ढंग से दूसरे वाहनों को ओवरटेक करना, अंधाधुंध सीमा के बाहर जाकर तेज गति से वाहन चलाना और अपने वाहनों को ओवरलोड करना आम बातें हैं। इसके अतिरिक्त हमारी सड़कों पर लगभग 40 प्रकार के वाहन एक साथ चलते हैं जिनमें बहुत धीमी गति वाले वाहन जैसे बैलगाड़ी, ऊंटगाड़ी, साइकिल, रिक्शा और बोझ ढोने वाले पशु आदि भी हैं। बसों में सवारियां जरूरत से अधिक लदी रहती हैं। लोग बसों की छतों पर भी यात्रा करते देखे जा सकते हैं। लटककर यात्रा करना भी सामान्य सी बात है। दो पहिया स्कूटर पर कभी-कभी तो पूरे परिवार को यात्रा करते देखा जा सकता है। परिणाम यह है कि आये दिन दुर्घटनाएं होती हैं और लोग असमय ही मृत्यु के शिकार बन जाते हैं। यातायात पुलिस और दूसरे अधिकारी भ्रष्ट हैं। पैसे लेकर वाहन-चालक को लाइसेंस दिये जाते हैं। नकली लाइसेंसों की भी भरमार है। यातायात के नियमों के उल्लंघन करने वालों को रिश्वत लेकर छोड़ दिया जाता है।
वाहनों की खराब हालत भी चिंता का विषय है। वे बहुत पुराने और खराब हालत में होते हैं। लगभग 50 प्रतिशत वाहन या तो पुराने हैं या खराब वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इन वाहनों से सड़कों को भी बड़ी हानि पहुंचती है तथा दुर्घटनाओं की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती है। रेलवे क्रॉसिंग पर किसी फाटक और आदमी के न होने से भी दुर्घटनाएं घटती हैं। सैंकड़ों व्यक्ति इस तरह की रेल दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष मर रहे हैं।
समाचार-पत्र सड़क दुर्घटनाओं के दु:खद समाचारों से भरे रहते हैं लेकिन अधिकारी-गण इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। सड़क संबंधी कई प्रतिकरणों का होना भी इस अव्यवस्था का एक बड़ा कारण है। सड़क कोई बनाता है, तो उनका रख-रखाव कोई दूसरी संस्था करती है। लाइसैंस एक तीसरी संस्था देती है। इनमें आपस में कोई समन्वय और संतुलन नहीं है। सड़कों पर गड्ढे, बरसात में सड़कों पर पानी भरे रहना, ऊंची-नीची होना, उचित प्रकाश की व्यवस्था न होना, चौराहों पर लाल बत्तियों का न होना आदि कई प्रकार की गंभीर समस्याएं हमारे सामने हैं।
सड़कों के किनारे दुकानों, खानपान के रेस्टोरेंटों, वर्कशाप आदि का होना फुटपाथ खाली न रखना और वाहनों को मनमाने ढंग से यहां-वहां खड़ा कर देना स्थिति को और भी भयावह बना देते हैं। वाहनों की मुरम्मत करने वाली वर्कशाप के लोगों ने तो अनुशासनहीनता की हद ही कर रखी है। पानी के निकास के लिये नालियों, पुलियों आदि का न होना भी सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि का एक कारण है।
ड्राईवर या तो अनपढ़ होते हैं या कम पढ़े-लिखे होते हैं। उन्हें यातायात के नियमों का उचित ज्ञान नहीं होता। वे नशे की हालत में वाहन चलाते हैं और अधिक पैसा कमाने के लालच में अपनी शक्ति से अधिक समय और दूरी तक अपने वाहन चलाते हैं। समय पर आराम नहीं करना, अपने स्वास्थ्य का ध्यान न रखना आदि दुर्गुण इन ड्राइवरों में आम पाये जाते हैं। परिणामत: जरा सा ध्यान चूका या नींद की झपकी आई कि दुर्घटना घटी। ट्रक ड्राइवरों में शराब, गांजा, भांग जैसे नशीले पदार्थों का सेवन एक सामान्य बात है। अपनी थकान मिटाने के लिए वे नशों का सहारा लेते हैं और फिर दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि इन समस्याओं पर उचित और पूरा ध्यान दिया जाए और इनके रोकने के लिए प्रभावशाली प्रयत्न किये जायें। सड़क सुरक्षा वाहन-चालन जैसे विषय स्कूल में पढ़ाये जाने चाहिये और उन्हें बचपन में ही यातायात के नियमों से अवगत करवा देना चाहिये। यातायात के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिये। जो वाहन चालक सड़क-यातायात के नियमों का उल्लंघन करें, उन्हें कड़ी सजा दी जानी चाहिये।
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