Gurpurab Essay in Hindi Happy Gurpurab Wishes and Images
|Gurpurab Essay in Hindi, Wishes, and Images. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और विद्यार्थियों के लिए गुरुपर्व पर निबंध हिंदी में। गुरुपर्व पर निबंध। What is Gurpurab? We have written an essay on Gurpurab in Hindi. Now you can take an example to write Gurpurab essay in Hindi in a better way. We have added Essay on Gurpurab in Hindi in 300 and 400 words. Now you can learn Gurpurab essay in Hindi language along with Gurpurab Wishes and Gurpurab Images.
Gurpurab Essay in Hindi 300 Words
दुनिया में जब-जब पाप और अन्याय बढ़ा है, तब-तब ऐसे संत और महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने लोगों को सही-गलत का भेद समझाकर सही रास्ते, पर जाने की शिक्षा दी। ऐसे ही एक संत थे, गुरु नानक साहिब। उन्होंने भटके हुए लोगों को सही राह सुझाई और ज्ञान का प्रकाश फैलाया, इसलिए उनके जन्मदिन को प्रकाशोत्सव या गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है।
सिखों के दस गुरुओं में पहले गुरु नानक साहिब का जन्म लाहौर के तलवंडी में सन् 1469 को हुआ था। जब उन्होंने देखा कि समाज में बहुत-सी कुरीतियाँ फैली हुई हैं और लोगों में प्रेम कम होता जा रहा है, उन्होंने एक ईश्वर की बात कही। लोगों को समझाया कि ईश्वर की सच्ची सेवा उसके बंदों से प्रेम करने और उनके दुःख में सहायता करने में है। उन्होंने सभी को शांति और प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने बार-बार लोगों को समझाया कि ईश्वर सबसे बराबर प्रेम करते हैं, इसलिए कोई छोटा या बड़ा नहीं, बल्कि सभी समान हैं। गुरु नानक साहिब और उनके उपदेशों को सम्मान देने के लिए ही उनके जन्मदिन को गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है।
मुख्य त्योहार के तीन दिन पहले से ही अखंड पाठ शुरू हो जाता है। इसमें पवित्र पुस्तक ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ का पूरा पाठ बिना रुके किया जाता है। मुख्य कार्यक्रम के दिन गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजाया जाता है और एक बेड़े पर रखकर शोभायात्रा के रूप में पूरे गाँव-शहर में घुमाया जाता है। शोभायात्रा में पंज प्यारे प्रतिनिधित्व करते हुए आगे-आगे चलते हैं। पूरी शोभायात्रा में भक्त लोग गुरुवाणी का पाठ करते हैं और भजन गाते हैं। आखिर में शोभायात्रा गुरुद्वारे जाती है, जहाँ लोग एक-दूसरे को गुरु पर्व की बधाई देते हैं और सामूहिक भोजन, लंगर के लिए इकट्ठा होते हैं।
Gurpurab Essay in Hindi 400 Words
भूमिका
सिक्ख पंथ में 10 गुरु हुए हैं। इन सब के जन्मदिवस को गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक गुरुपर्व सभी धर्मों के लोगों द्वारा प्रेम और श्रद्धा से मनाया जाता है।
प्रभात फेरियों का आयोजन
गुरुपर्व से कुछ दिन पहले ही गुरुद्वारों से प्रभात फेरियों का आयोजन शुरु हो जाता है। जिनमें श्रद्धालु ढोलक और चिमटे बजाते- शब्द उच्चारण करते हुए गली-गली जाते हैं। श्रद्धालुगण प्रभात फेरी को अपने-अपने घरों में आमंत्रित करते हैं और जत्थे द्वारा घर की सुख-शांति एवम् समृद्धि की अरदास का जाती है। प्रभात फेरी के साथ आई संगत को चाय-दूध नाश्ता आदि का प्रसाद बाँटा जाता है। जहाँ-जहाँ से भी प्रभात फेरी गुजरती जाती है, श्रद्धालु साथ जुड़ते जाते हैं। गुरुपर्व तक ऐसा ही क्रम चलता है ।
नगर कीर्तन
गुरुपर्व से एक दिन पहले नगर-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते है | नगर कीर्तन की अगवाई ‘निशान साहिब’ पकड़े हुए पाँच प्यारो द्वारा की जाती है। नगर-कीर्तन में “श्री गुरु ग्रंथ साहिब” जी की पालकी को सजाया जाता है। नगर कीर्तन में गतका खेलने वाले अपनी वीरता और कला का जौहर दिखाते हैं। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाता है।
लंगर
जहाँ-जहाँ से भी नगर-कीर्तन गुजरता है वहां श्रद्धालुओं द्वारा संगत के लिए चाय पानी, चने, फल, कड़ाह-प्रसाद आदि अनेक प्रकार की खाने की चीजों के लंगर लगाए जाते हैं। इस तरह नगर कीर्तन विभिन्न स्थानों से होते हुए गुरुद्वारा साहिब में सम्पन्न होते हैं। इन दिनों गुरुद्वारों के बाहर सिक्ख इतिहास से संबंधित पुस्तकों की प्रर्दशनियाँ भी लगाई जाती हैं।
गुरुपर्व की तैयारियाँ
पर्व से पहले गुरुद्वारों की साफ-सफाई और सजावट की जाती है। फूलों तथा बिजली की लड़ियों से गुरुद्वारों को अंदर और बाहर से सजाया जाता है। पर्व से दो दिन पहले श्री अखण्ड पाठ साहिब का आरम्भ किया जाता है और गुरुपर्व वाले दिन भोग डाला जाता है।
गुरुपर्व मनाना
गुरुपर्व वाले दिन अखण्ड पाठ के भोग डाले जाते हैं। गुरुपर्व वाले दिन ‘ श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ की उपस्थिति में दीवान सजाए जाते हैं। रागी जत्थों द्वारा कीर्तन किया जाता है। कीर्तन के वाद अरदास करके गुरु का लंगर संगत को छकाया जाता है। जिसमें लोग छोटे-बड़े, अमीर-गरीब बिना जाति-पाति के भेदभाव के एक साथ पंगत में बैठकर लंगर छकते हैं। रात को गुरुद्वारों, घरों और बाजारों में दीपमाला की जाती है। अमृतसर में दरबार साहिब की आतिशबाजी देखने योग्य होती है।
उपसंहार
दस गुरुओं के उपदेश पर चलकर हम अपना जीवन सफल बनाना चाहिए। ऊँच-नीच के भेदभाव तथा व्यर्थ के आडम्बरों का त्याग करके अच्छी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
Gurpurab Images
Gurpurab Wishes
वाहे गुरु का आशीष सदा
मिले ऐसी कामना है हमारी
गुरु की कृपा से आएगी
घर घर में ख़ुशहाली
गुरपुरब की हार्दिक बधाई
खुशियाँ और आपका जनम जनम का साथ हो
हर किसी की जुबान पर आपकी हसी की बात हो
जीवन में कभी कोई मुसीबत आए भी
तो आपके सर पर गुरु नानक का हाथ हो
हैप्पी गुरपुरब
नानक नाम चर्दी कला,
तेरे भने सरबत दा भला,
धन धन साहिब श्री गुरु नानक देव जी दे आगन,
गुरपुरब दी आप सुब नु लाख लाख बधाई…!!
दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए
बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है
गुरपुरब के शुभ दिन की खूब शुभकामनाएं..!!!
सतगुरु सब दे काज संवारे
आप सब को गुरपुरब की
हार्दिक बधाइयां
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