Indian farmers suicide essay in Hindi
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Indian farmers suicide essay in Hindi
भारतीय कृषि किसानों की आत्महत्या पर निबंध, लेख, समस्या, समाधान
कृषि हमेशा से ही भारत में प्राथमिक क्षेत्र रहा है। भारत एक कृषि अर्थव्यवस्था है, जिसका अर्थ है, भारतीय अर्थव्यवस्था का कृषि पूर्व-प्रमुख क्षेत्र है। आज भी भारत की लगभग 70% जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर करती है। भारत में माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं, फिर भी अधिकांश भारतीय कृषि पर ही निर्भर हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए हर योजना का लक्ष्य कृषि विकास पर होता है, जो कि विकास दर को प्राप्त करने के लिए उचित है। पहली पंचवर्षीय योजना के बाद से, भारत का ध्यान कृषि पर ज्यादा रहा है पर सोचने वाली बात यह है कि योजना के कई वर्षो के बीत जाने के बाद भी भारतीय कृषि कहां खड़ी है? क्योकि इसे पहले से और भी मजबूत होना चाहिए था, इन्ही करने से आज भारत का किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। आत्महत्या के मामले अब हर वर्ष बढ़ते ही जा रहे है, जो बहुत ही दुःख की बात है।
अनियमित मौसम की स्थिति (सूखे और बाढ़ से फसलों को नुकसान पहुंचना), ऋण बोझ, परिवार के मुद्दों, व्यक्तिगत मुद्दे तथा अप्रिय सरकार की नीतियों में बदलावों के कारण ही भारत का किसान आत्महत्या करने हो मजबूर है। पूरे देश के मुकाबले महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में आत्महत्या के मामले अपेक्षाकृत अधिक हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत के किसानो की आत्महत्या के मामले किसी भी अन्य व्यवसाय से अधिक हैं, जो बहुत की दुखद है क्योकि जो देश को भोजन प्रदान करते है, उनकी खुद की स्तिथि कमजोर है। यह भी सोचने वाली बात है कि अगर देश का किसान ही नहीं रहा तो देश के नागरिक भूखे ही मर जायेंगे या भारी कीमत चुकाकर किसी अन्य देश से खाना आयात करना पड़ेगा। अभी से ही सरकार को इस विषय को गंभीरता से देखना चाहिए और जल्दी से जल्दी किसानो की समस्याओ को सुलझाना चाहिए।
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