Jagdish Chandra Bose in Hindi जगदीश चंद्र बोस जीवनी, जीवन परिचय, निबंध
|History of Jagdish Chandra Bose in Hindi. जगदीश चंद्र बोस की जीवनी। Read about Jagdish Chandra Bose biography in Hindi – Essay and History कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए जगदीश चंद्र बोस की जीवन परिचय हिंदी में। Information about Jagdish Chandra Bose in Hindi along with history in Hindi. Learn Jagdish Chandra Bose information in Hindi in more than 400 words.
Biography of Jagdish Chandra Bose in Hindi
जब हम किसी बगीचे में जाते हैं, तो वहाँ रंग-बिरंगे, सुंदर-सुंदर फूल दिखाई देते हैं। कितनी ही बार हम उन्हें तोड़ लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके फूल तोड़ लेने के बाद उस पेड़ या पौधे का क्या हाल होता है? पौधे के जिस हिस्से से आप फूल तोड़ते हैं, कुछ समय बाद वह मुरझा जाता है। यहाँ तक कि जब आप फूल या पत्तियाँ तोड़ने के इरादे से किसी पौधे के पास जाते हैं, तो वह डर के मारे थर-थर काँपने लगता है। ठीक वैसे ही जैसे अगर हमें पता हो कि हमारी किसी गलती पर मम्मी या पापा हमें डाँटने वाले हैं, तो हम डर जाते हैं। यानी पौधे भी हमारी ही तरह खुशी और डर महसूस करते हैं। यह एक बहुत खास बात है, जिसे हम सभी को जानना चाहिए। और यह बात पूरी दुनिया को बताने वाले महान् वैज्ञानिक थे – सर जगदीशचंद्र बसु।
सर बसु का जन्म 30 नवंबर, 1858 को मेमनसिंह में हुआ, जो अब बाँग्लादेश में है। उनके पिता भगवानचंद्र बसु डिप्टी मजिस्ट्रेट थे। जगदीशचंद्र बसु ने शुरुआती पढ़ाई अपने गाँव में ही बाँग्ला माध्यम से की। बाद में उन्हें अंग्रेजी सीखने कोलकाता भेजा गया और वहाँ उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज भेजा गया। जब वे भारत लौटे तो उनके पास विज्ञान स्नातक और प्राकृतिक विज्ञान ट्राइपोस की डिग्रियाँ थीं।
उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में विज्ञान पढ़ाना शुरू कर दिया। उन दिनों हमारे देश पर अंग्रेजों का राज था और वे भारतीय प्राध्यापकों को अंग्रेज़ प्राध्यापकों से आधा वेतन देते थे। सर बसु बहुत स्वाभिमानी थे। उन्हें यह सब मंजूर नहीं था, इसलिए वे कॉलेज में पढ़ाते रहे, लेकिन उन्होंने वेतन लेने से इंकार कर दिया। आखिर अंग्रेज सरकार को बसु के स्वाभिमान के आगे झुकना पड़ा और तीन साल बाद उन्हें अंग्रेज़ प्राध्यापकों के बराबर वेतन दिया जाने लगा। सत्येंद्रनाथ बसु और मेघनाद साहा जैसे बसु के छात्र आगे जाकर उन्हीं की तरह बड़े वैज्ञानिक बने। बसु ने कॉलेज के एक छोटे से हिस्से में ही अपनी प्रयोगशाला बना ली और अपवर्तन–विवर्तन आदि पर प्रयोग किए। 1895 में मार्कोनी के अपने इस आविष्कार को पेटेंट करवाने से एक साल पहले ही सर बसु ने इसे लोगों के सामने दिखाया था। उन्होंने ‘कोहिरर’ नामक धातु का एक उपकरण बनाकर और उस पर प्रयोग कर यह सिद्ध किया कि धातुओं में भी पौधों की तरह ही भावनाएँ होती हैं। न केवल उन्होंने अपने प्रयोगों से लोगों को पौधों के दर्द और डर का अहसास करवाया, बल्कि कोलकाता में केवल पौधों के अध्ययन के लिए एक इंस्टीट्यूट भी खोला, जहाँ बहुत-से प्रयोग और शोध किए जाते हैं। 23 नवंबर, 1937 को उनका निधन हो गया।
Biography in Hindi
Essay on Indira Gandhi in Hindi
Biography of Dr Bhimrao Ambedkar in Hindi
Essay on Mahavir Prasad Dwivedi in Hindi
Thank you for reading Jagdish Chandra Bose in Hindi language. Give your feedback on this biography.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।