Kalpana Chawla Biography in Hindi कल्पना चावला की जीवनी
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Kalpana Chawla Biography in Hindi
अंतरिक्षविज्ञानी कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं। कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई, 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था। उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से वैमानिक अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1982 में वे अमेरिका चली गईं और टेक्सास विश्वविद्यालय, आर्लिंगटन से वैमानिक अभियांत्रिकी में ही विज्ञान निष्णात की उपाधि प्राप्त की। 1983 में उनकी मुलाकात उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक जीन पियरे हैरीसन से हुई। कुछ समय तक अच्छे मित्र रहने के बाद उन्होंने शादी कर ली और अमेरिका में ही रहने लगे।
इसके बाद 1988 में कल्पना ने कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर से इसी क्षेत्र में विद्यावाचस्पति की डिग्री प्राप्त की। उन्हें हवाई जहाजों, ग्लाइडरों और व्यावसायिक उड़ान के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्जा हासिल था। उन्हें एक और अधिक इंजन वाले हवाई जहाजों के लिए व्यावसायिक विमानचालक का लाइसेंस भी प्राप्त था। 1988 के अंत में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करना शुरू किया। वहाँ उन्होंने वी/एसटीओएल में सीएफडी पर शोध कार्य किया। मार्च, 1995 कल्पना के करिअर में बेहद महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। इस वर्ष वे नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और 1998 में अपनी पहली उड़ान के लिए चुनी गईं। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर, 1997 को छह यात्रियों वाले अंतरिक्ष दल के एक यात्री के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-87 से शुरू हुआ। वे अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरी भारतीय व्यक्ति थीं। उनसे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी।
16 जुलाई, 2003 को कल्पना एसटीएस-107 मिशन के तहत कोलंबिया अंतरिक्ष यान पर अपने साथियों के साथ एक बार फिर अंतरिक्ष में गईं। इसका उद्देश्य पृथ्वी और, अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास और अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य और सुरक्षा का अध्ययन करना था, लेकिन वे इस यात्रा से वापस न लौट पाईं। 1 फरवरी, 2003 को धरती पर वापस लौटते समय कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्त हो गया और सितारों के सपने देखने वाली कल्पना सितारों में ही विलीन हो गईं, लेकिन धरती पर वे अपनी ऐसी छाप छोड़ गईं, जिसे कभी नहीं मिटाया जा सकेगा। मृत्यु के बाद उन्हें कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक, नासा अंतरिक्ष उडान पदक, नासा विशिष्ट सेवापदक आदि से नवाजा गया। भले ही आज कल्पना हमारे बीच न हों, लेकिन उनके हौसलों की उड़ान हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।
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