Kathni Se Karni Bhali Story in Hindi कथनी से करनी भली पर कहानी
|Read Kathni Se Karni Bhali Story in Hindi. कथनी से करनी भली पर कहानी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए कथनी से करनी भली पर कहानी हिंदी में।
Kathni Se Karni Bhali Story in Hindi
श्रेष्ठ व्यक्ति अपने गुणों की प्रशंसा कभी अपने-आप बोलकर नहीं करते हैं अपितु उनके महान् कार्य ही उनके गुणों की प्रशंसा के प्रमाण होते हैं। केवल बोलने की अपेक्षा कार्य करके दिखाना ही श्रेष्ठ गुण है। मोहन, रमेश तथा महेश की कहानी इस तथ्य पर प्रकाश डालती है।
मोहन, रमेश तथा महेश तीनों सहपाठी थे। मोहन के पिता जी का बहुत बड़ा व्यापार था और उनके धन का प्रभाव मोहन पर भी था। वह अपने विद्यालय में सहपाठियों पर अपने धन का रौब जमाता, परन्तु विद्यार्थी चुप रह जाते। रमेश के पिता जी एक आफिस में साधारण क्लर्क थे और वे अपने घर का खर्च कठिनाई से चलाते थे। रमेश को जितना जेब खर्च मिलता वह चुपचाप उसे बैंक में प्रतिमास जमा करा देता था। अब तक उसके पास दो सौ रुपये जमा हो गए थे। महेश के पिता जी नहीं थे तथा उसकी माता जी दूसरों के घर का काम करके अपना खर्च चलाती। महेश को फीस देने के लिए भी कभी-कभी उन्हें बहुत परेशानी होती। एक बार उनके बीमार होने से महेश अपने स्कूल की फीस न दे पाया। मोहन कई बार सहपाठियों के सामने ही महेश को कहता कि मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूं।
तुम्हारी किताबों का खर्चा दे सकता हूं। लेकिन वह कुछ भी न करता। केवल अपनी डींग मारता। रमेश ने मोहन को बताया कि अब महेश परीक्षा में बैठ नहीं सकेगा, क्योंकि उसने अभी लगभग एक सौ बीस रुपए फीस के जमा करवाने हैं। मोहन ने चतुराई से बात टाली दी कि वह तो अपना जेब खर्च पुरा खर्च कर चुका है और वह अपने पिता से भी कहने में असमर्थ है। रमेश पहले ही जानता था कि मोहन की करनी और कथनी में अन्तर है। वह चुपचाप गया और अपनी पास बुक में से बैंक से पैसे निकाल कर महेश की पूरी फीस जमा करवा दी। रसीद लेकर वह महेश के घर गया और चुपचाप उसके हाथ में रसीद दे दी। महेश की आँखों में आँसू छलछलाने लगे। वह कृतज्ञता भरी नज़रों से रमेश की ओर देखने लगा। रमेश ने उससे कहा कि वह अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छी मेहनत से करे और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। रमेश ने कभी कुछ नहीं कहा, पर कार्य करके दिखा दिया।
Buddhi Badi Ya Bal Story in Hindi
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