History of Konark Sun Temple in Hindi
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Konark Sun Temple in Hindi
कल रात मैं कहानियों की एक किताब पढ़ रही थी, तभी लाइट चली गई। कहानियाँ इतनी मजेदार थीं कि मन हुआ कि काश! अगर अभी दिन होता, तो आराम से बरामदे में बैठकर किताब पूरी पढ़ डालती। जब मैं स्कूल में पढ़ती थी, तब परीक्षा के दिनों में ऐसा कई बार किया करती थी। शुक्र है सूर्य भगवान् का कि वे हमें इतनी रोशनी देते हैं। यही वजह है कि हर भारतीय के मन में उनके प्रति बहुत श्रद्धा है। यहाँ तक कि कई जगह तो उनके बहुत सुंदर मंदिर तक बनाए गए हैं। इन्हीं में से एक है – कोणार्क का सूर्य मंदिर। यह उड़ीसा राज्य के पुरी जिले में स्थित है। इसे अंग्रेजी में ‘ब्लैक पगोड़ा’ भी कहते हैं। सन् 1236-1264 में इसे गंग वंश के राजा नृसिंहदेव ने बनवाया था। यह मंदिर सूर्य यानी अर्क देव का था, जिन्हें वहाँ के लोग बिरंचि–नारायण कहते थे। यह जिस क्षेत्र में बना था, उसे अर्क-क्षेत्र या पद्म–क्षेत्र कहा जाता था। इस मंदिर की इमारत जितनी सुंदर है, उतना ही सुंदर है इसकी दीवारों पर नक्काशी का काम।
यह लाल बलुआ और काले ग्रेनाइट पत्थर से बना है और भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यह मंदिर सूर्य देव के रथ जैसा दिखाई देता है, जिसे बारह जोड़ी चक्रों वाले सात घोड़े खींच रहे हैं। हालाँकि अब इसका काफी हिस्सा ढह चुका है और एक ही घोड़ा बचा है। इसके बारह चक्र साल के बारह महीनों के प्रतीक हैं। हर चक्र आठ आरों से मिलकर बना है, जो दिन के आठ पहरों को दर्शाते हैं। कलिंग शैली में बने इस मंदिर में सूर्य देव की तीन मूर्तियाँ हैं, जो बचपन, मध्य और प्रौढ़ अवस्था के अनुसार अलग-अलग ऊँचाई की हैं।
यह पूर्व–पश्चिम दिशा में बना है। मुख्य मंदिर तीन मंडपों में बना है, जिनमें से दो मंडप ढह चुके हैं। पूरे मंदिर में जहाँ-तहाँ पशु-पक्षियों, बेल-बूटों, देवताओं और मानवीय चित्रों की महीन नक्काशी की गई है। मंदिर में प्रवेश करने पर आपको दो सिंह और हाथी लड़ाई की मुद्रा में दिखाई देंगे, जबकि दक्षिणी हिस्से में दो सुंदर घोड़े बने हैं। यहाँ भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग का बनवाया एक बगीचा भी है। इन्हें उड़ीसा सरकार ने अपने राजचिह्न के रूप में स्वीकार किया है। दिसंबर के महीने में यहाँ कोणार्क नृत्योत्सव मनाया जाता है, जबकि माघ महीने की सातवीं तिथि को माघ सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त लोग सूर्योदय से पहले समुद्र में स्नान करते हैं और फिर कोणार्क मंदिर में सूर्य भगवान् की पूजा करते हैं। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
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