Mittal Steel Industries and Biography of Lakshmi Mittal in Hindi लक्ष्मी मित्तल
|क्या आप ने मित्तल स्टील इंडस्ट्रीज के बारे मई सुना है। आज हम लक्ष्मी मित्तल की जीवनी के बारे में पढ़ेंगे। Today we are going to talk about the biography of Lakshmi Mittal in
Biography of Lakshmi Mittal in Hindi
मित्तल स्टील का वर्चस्व
व्यवसाय के क्षेत्र में भारतीयों बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। खासतौर से इस्पात उद्योग में भारतीय व्यवसायियों की पकड़ काफी मजबूत है।
एक समय था, जब सन् 1999 में यूरोप में कम्पनियों के विलय और अधिग्रहण की जबरदस्त धूम थी। ब्रिटेन की अखंडित कम्पनी कोनिनक्लाइक गोवेंस के साथ विलीन होकर ‘कोरस स्टील’ नाम की एक नई वृहद इकाई बनाने के दौर से गुजर रही थी। यूसीनर की स्थापना 1948 में हुई, लेकिन वह अपना वंशक्रम 18 वीं सदी का होने का दावा करती है। 1999 में अपनी प्रतिस्पर्धी सोसिलर के साथ विलय के बाद इसका फिर से निजीकरण हुआ। इसके तीन वर्ष बाद 2002 में स्पेन की एसरालिया (1902 में जन्मीं) और लग्ज़मबर्ग की आर बेड (1882 में स्थापित) के साथ हुए रणनीतिक गठजोड़ के बाद ‘आर्सेलर’ के रुप में उसका उदय हुआ। यूरोप को यह विशालकाय कम्पनी सालाना 470 लाख टन इस्पात युरोपीय संघ के देशों में उत्पादन करती है। 60 देशों में फैले इसके कर्मचारियों की संख्या 94,000 है।
आज आर्सेलर का दावा है कि यूरोप की हर दूसरी कार में उसका इस्पात लगा है। कारोबार और उत्पादकता के हिसाब से यह दुनिया की बड़ी कम्पनियों में से एक है। 2004 में आर्सेलर ने 30 अरब यूरो यानी 35 अरब डॉलर का कारोबार किया। इसी वजह से मित्तल स्टील के प्रमुख ने हाल ही में, जब आर्सेलर के शेयरों को 23 यूरो की बजाए 29 यूरो में सौदा करने को सलाह दी, तब उनका माथा ठन्क गया। उन्होंने कहा कि 75 फीसदी विलय अंत में असफल हो जाते हैं।
इसके बाद 26 जनवरी को आर्सेलर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास मित्तल का फोन आया और उन्होंने कहा कि वे आर्सेलर के शेयर खरीदने के लिए खुली बोली लगाने जा रहे है।
भारत में जन्मे प्रभावशाली उद्योगपति मित्तल का काम करने का तरीका शायद यही है। संभव है, इसी तर्ज पर काम करते हुए मित्तल ने 14 वर्ष की अवधि में अपना विशाल उद्योग साम्राज्य स्थापित किया है, जहां से अब तीन महाद्वीपों के लिए 420 लाख टन इस्पात का लदान होता है। अधिग्रहण की प्रक्रिया में बड़े कदम के रूप में मित्तल ने पिछली बार 2004 में अमेरिका के इंटरनेशनल स्टील ग्रुप (आईएसजी) का अधिग्रहण किया, जिससे उनकी इस्पात उत्पादन क्षमता 600 लाख टन हो गई और वे दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक बन गये। आईएसजी अपने आप में एक विशाल इस्पात उद्योग था, जो अमेरिका की तीन इस्पात मिलों एल-टी-वी, एक्मे स्टील और बैथलहम स्टील के विलय से बना था।
मित्तल स्टील के प्रमुख ने आर्सेलर के शेयर धारकों के सामने 5 आर्सेलर शेयरों के बदले मित्तल स्टील के 4 शेयर और 35।25 यूरो देने का प्रस्ताव पेश करते हुए आर्सेलर के साथ ही सारी दुनिया को हिला दिया। 2005 के दौरान इस्पात की कीमतों में मंदी की वजह से नरम पड़ी दुनिया भर की इस्पात कम्पनियों के शेयरों में उछाल आ गया। यूरोप और न्यूयॉर्क में आर्सेलर शेयरों के दाम 40 फीसदी बढ़ गये । यही स्थिति ऑस्ट्रेलिया में ब्लूस्कोप, जापान में निप्पॉन स्टील, लंदन में कोरस स्टील और थायसेन के साथ-साथ दलाल स्ट्रीट में टाटा स्टील, भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) और मुकुंद स्टील की भी रही। केवल इस्पात इंडस्ट्रीज के दाम नहीं बढ़े, जिसका नियंत्रण मित्तल स्टील के प्रमुख के दो छोटे भाइयों के हाथ में हैं।
बड़ी-बड़ी इस्पात कंपनियों के अधिग्रहण की वजह से मित्तल अखबारों की सुर्खियों में छाये रहे। दरअसल, मित्तल की ओर से आर्सेलर के लिए की गई 22 पॉइंट 8 डॉलर की पेशकश से इस्पात उद्योग का सबसे बड़ा और सनसनीखेज विलय होगा, जिससे इनकी इस्पात उत्पादन क्षमता पाँच महाद्वीपों में 1000 लाख टन हो जायेगी। आर्सेलर के निदेशक मंडल ने हालांकि मित्तल की बोली को खारिज कर दिया है और इसे प्रतिकूल तथा आर्सेलर के शेयर धारकों के लिए हानिकारक’ बताया है। हकीकत यह है कि 27 जनवरी को मित्तल ने जो तीर छोड़ा है, वह आर्सेलर के शेयर धारकों के हाथ में है। 86 पॉइंट 5 फीसदी शेयर धारक यूरोप और अमेरिका में फैले हुए हैं और लक्ज़बर्ग, न्यूयार्क, पेरिस, मैड्रिड, बार्सिलोना, बफालो और वैलेंसिया के शेयर बाजारों में इनका कारोबार होता है। डोल के अनुसार, आर्सेलर का स्वरूप मित्तल स्टील के ठीक विपरीत है, क्योंकि मित्तल स्टील की 88 फीसदी हिस्सेदारी मित्तल परिवार के पास है।
इस्पात उद्योग के लिए यूरोप, की परिभाषा मित्तल स्टील के प्रमुख की सोच से भिन्न है। 1970 और 1980 के दशक में अन्य भारतीय इस्पात उत्पादकों की तरह मित्तल ने पुराने सोवियत ब्लॉक (पोलैंड, कजाकस्तान, रोमानिया) और मेक्सिको की सरकारों द्वारा विनिवेश की जाने वाली पुरानी इस्पात मिलें खरीदी। इसके बाद मित्तल ने निजी क्षेत्र अमेरिका और युरोप की इस्पात मिलें खरीदी। मित्तल ने 1998 में अमेरिका में इनलैंड स्टील और जिंदल स्टीनलेस ने बैथलेहम स्टील को खरीदा, जिससे वे आइएएजी का विलय कर सकें। मित्तल इन अधिग्रहणों के जरिए अपने कारोबार और विपणन के लिए बाजार के विस्तार के साथ लौह अयस्क और कोयले की उन खदानों को भी प्राप्त करने में सफल हुए, जो इन संयत्रों के पास थे। इसी प्रतिबद्धता के साथ मित्तल झारखंड में एक इस्पात संयंत्र लगा रहे हैं, जिससे एशिया के लौह-अयस्क भंडार और इस क्षेत्र के बाजार में उनकी स्थिति मजबूत हो। चीन और मध्य एशिया में मित्तल पहले से मौजूद हैं।
आने वाले समय में भारतीय व्यवसायियों के वर्चस्व में निश्चित रूप से वृद्धि होगी और वे उस तरफ बहुत तेजी के साथ अग्रसर भी हैं। मित्तल और आर्सेलर द्वारा दुनिया के सबसे बड़े इस्पात साम्राज्य का निर्माण इस पर निर्भर करेगा कि दोनों कम्पनियां किस तरह से आर्सेलर के शेयर धारकों को लुभाती हैं।
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