Lalach Buri Bala Hai Story in Hindi लालच बुरी बला है पर कहानी
|Read a Lalach Buri Bala Hai Story in Hindi. लालच बुरी बला है पर कहानी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लालच बुरी बला है पर कहानी हिंदी में। Lalach Buri Bala Hai Story in Hindi.
Lalach Buri Bala Hai Story in Hindi
सन्तोष को परम सुख कहा गया है। जो व्यक्ति अंगुली पकड़ कर कलाई पकड़ने की कोशिश करता है उसे दु:ख उठाने पड़ते हैं क्योंकि लालच असन्तोष को ही जन्म देता है और दुःख का कारण भी बन जाता है। निम्न कहानी इस तथ्य पर प्रकाश डालती है।
किसी गांव में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह खेती-बाड़ी का काम किया करता था। अपनी खेती में वह बहुत परिश्रम करता था। फिर भी जितना लाभ होना चाहिए उतना न हो पाता ; इसीलिए उसका जीवन निर्धनावस्था में ही गुजरने लगा।
एक बार गर्मियों के दिन थे। ब्राह्मण विश्राम करने के लिए किसी वृक्ष की छाया में बैठा हुआ था कि उसने फन फैलाए हुए एक सांप को देखा। ब्राह्मण के मन में आया की यह मेरे खेत का देवता है। इसकी मैंने पूजा नहीं की। इसीलिए मेरा खेत अच्छी तरह फूलता-फलता नहीं ? यह सोचकर उसने एक बर्तन में दूध डाला और उसे सांप के आगे रखते हुए कहा-“क्षेत्र के देवता, दूध ग्रहण करो और प्रसन्न हो जाओ। मैंने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा ; इसलिए तुम्हारी पूजा नहीं कर सका, क्षमा प्रार्थी हूं। यह कह कर वह दूध का बर्तन वहीं रख आया।
दूसरे दिन हरिदत्त ब्राह्मण ने देखा कि सांप ने दूध पी लिया और उस बर्तन में एक सोने की मोहर डाल दी है। तब वह ब्राह्मण प्रतिदिन सांझ के समय अपने क्षेत्र-देवता सांप के आगे दूध का बर्तन रखता और दूसरे दिन प्रातः काल एक मोहर ले लेता। ऐसे ही उसके बहुत दिन बीत गए।
एक बार कार्यवश ब्राह्मण हरिदत्त को किसी दूसरे गांव में जाना पड़ा। उसने अपने पुत्र को सांप को दूध पिलाने के लिए नियुक्त कर दिया और स्वयं गांव चला गया। ब्राह्मण-पुत्र ने भी पिता की तरह सांझ को दूध का बर्तन रखा और दूसरे दिन प्रात: काल बर्तन में पड़ी हुई मोहर पाई। ब्राह्मण का पुत्र सोचने लगा कि इस सांप की बांबी सोने की मोहरों से भरी हुई होगी। यह प्रतिदिन दूध पी कर एक मोहर देता है। क्यों न इस से सारी मोहरें एक साथ ले ली जाएं। यह सोच कर लोभ में भर कर उसने सांप के सिर पर जोर से एक डण्डा मारा। आयु शेष होने का कारण सांप बच गया, पर उसने ब्राह्मण पुत्र को ऐसा डंसा कि वह तत्काल मर गया। सभी ग्रामवासी यही कहने लगे कि इसने लोभ में आकर सांप को मारने की चेष्टा की, उसी का यह परिणाम है। ब्राह्मण ने भी जब अपने पुत्र के इस निन्दनीय कृत्य को सुना तो उस ने पुत्र शोक से रोते हुए कहा – लोभ का फल बुरा होता है।
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