Maharishi Valmiki in Hindi
|Maharishi Valmiki in
मेरी दादीजी के पास एक मोटी-सी किताब थी, जिसे वे रोज सुबह-सुबह पढ़ा करती थीं। एक दिन उन्होंने मुझे बताया कि वह किताब रामायण है और उसमें भगवान् राम और देवी सीता के जीवन की कहानी है। भगवान् राम और सीता के बारे में कौन नहीं जानता ? शायद आपकी दादी जी या नानीजी भी रामायण का पाठ किया करती हों। पर क्या आप जानते हैं कि घर-घर पूजे जाने वाले भगवान् श्रीराम पर रामायण किसने लिखी ? रामायण महर्षि वाल्मीकि ने लिखी थी। वाल्मीकि की रामायण संस्कृत में लिखी ऐसी पहली लंबी कविता है, इसलिए इसे महाकाव्य कहा जाता है। वाल्मीकि को आदिकवि यानी पहला कवि कहा जाता है। रामायण गाने में बहुत मधुर लगती है। पहले महर्षि वाल्मीकि को नमन किया जाता है और उसके बाद रामायण पढ़ना शुरू किया जाता है।
खुद महर्षि वाल्मीकि और उनके रामायण लिखने की कहानी बहुत दिलचस्प है। कहते हैं कि उनका जन्म महर्षि वरुण के घर में हुआ था, लेकिन बचपन में ही उन्हें एक शिकारी ने चुरा लिया। उसके बाद से वे शिकारी के साथ ही उसका पुत्र बनकर रहने लगे। उनका नाम रत्नाकर रखा गया। जब उनकी शादी और बच्चे हो गए, तब उन्हें अपना परिवार पालने की चिंता हुई। वे डाकू बन गए और जंगल से गुजरने वाले लोगों को लूट-मारकर अपने परिवार का पेट पालने लगे।
एक दिन जब उन्होंने महर्षि नारद को लूटना चाहा तो नारद ने उनसे कहा कि जिस परिवार के लिए तुम इतना पाप कर रहे हो, क्या वे तुम्हारे साथ इन पापों का फल भुगतने को तैयार हैं? जब रत्नाकर ने अपने घर वालों से इस बारे में पूछा, तब सभी ने मना कर दिया। उसी दिन से डाकू रत्नाकर ईश्वर की तपस्या में लीन हो गए। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने से उनके शरीर को दीमक ने अपनी बाँबी बनाकर ढक लिया। बाँबी को वाल्मीक भी कहते हैं, इसलिए जब वे तपस्या कर उठे तो सब उन्हें वाल्मीकि नाम से पुकारने लगे और आगे जाकर वे इसी नाम से जाने गए।
इसके बाद ही उन्होंने रामायण लिखी। रामायण में सात अध्याय हैं, जो सात काण्डों के नाम से जाने जाते हैं। काफी समय बाद तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में रामचरितमानस लिखी, जिसे तुलसी रामायण कहते हैं, जबकि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण वाल्मीकि रामायण के नाम से जानी जाती है।
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