मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर कहानी Mann Ki Jeet Hindi Story
|Read Mann Ki Jeet Hindi Story. मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर कहानी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर कहानी हिंदी में।
Mann Ki Jeet Hindi Story
Mann Ki Jeet Hindi Story मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर कहानी
निराश मन सफलता से दूर होता जाता है तथा उत्साह और आशा से भरा मन अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त करता है। दूध की बाल्टी में गिरे मेंढ़को की कहानी इस तथ्य को प्रमाणित करती है।
एक बार दो मेंढ़क तालाब के सूख जाने पर पानी की ढूंढ में भटकने लगे। भटकते-भटकते वे संयोवश एक हलवाई की दुकान पर पहुंचे जहाँ वे एक बाल्टी में गिर पड़े। इस बाल्टी में दूध भरा हुआ था। दोनों बाहर निकलने का रास्ता ढूँढने लगे और चारों और तैरते रहे लेकिन वे किसी भी प्रकार बाहर न निकल सके। इस से निराश होकर एक मेंढ़क सोचने लगा कि यहाँ से बाहर निकलना अब सम्भव नहीं है। अतः किसी भी प्रकार का यत्न करना व्यर्थ ही है। प्रातः काल जब हवलाई आएगा और देखेगा तो हमें मार डालेगा। इस प्रकार अब मौत निश्चित है। हारकर उसने तैरना ही छोड़ दिया और वह दूध में डूब कर मर गया।
दूसरा मेंढ़क नहीं हारा। यद्यपि वह थक भी गया था, तथापि वह तैरता ही रहा और सारी बाल्टी में चक्कर काटता रहा। उसके इस प्रकार इधर-उधर तैरने से दूध मथने लगा और मक्खन बनने लगा। अन्त में मक्खन का एक ढेला बन गया। अब वह मेंढ़क उस पर चढ़ा और वहां से छलांग लगाकर बाल्टी से बाहर आ गया। वह तुरन्त ही वहां से भाग गया और अपनी जान बचाने में सफल हो गया। इस प्रकार उसकी मानसिक शक्ति ने उसकी जान बचा दी।
शिक्षा – मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
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