मैराथन दौड़ फिडिप्पिडिस Marathon Pheidippides in Hindi
|Marathon Pheidippides in Hindi language in 800 words. मैराथन दौड़ फिडिप्पिडिस कोण है।
Marathon Pheidippides in Hindi
अपने देश की स्वतन्त्रता के लिए अपने प्राणों तक को न्योछावर करने वाले उस महा बलिदानी दौड़ाक फिडिप्पिडिस का नाम यूनानी इतिहास में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में अमर है। उनका जन्म 530 ईसा पूर्व में हुआ। यूनानी लोग अपनी वीरता एवं बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे। सन् 490 में ईरान का सम्राट दारा उनसे किसी बात से ख़फा हो गया और उसने चढ़ाई करने की तैयारी कर ली। ईरान से यूनान जाते हुए रास्ते में एथेन्स नामक राज्य पड़ता था। यूनान पर आक्रमण से पहले उसे एथेन्स को जीतना जरुरी था। इसलिए वह अपनी सेना के साथ समुद्र पार करके एथेन्स की धरती मैराथन पर पहुँच गया। एथेन्स की जनता दारा की इतनी बड़ी सेना देखकर चिन्ता में डूब गई।
स्पार्टा यूनान का एक सबल राज्य था जिसके जैसे योद्धा कहीं और न थे। एथेन्स से दक्षिण में लगभग दो सौ बीस (220) किलोमीटर दूरी पर था। स्पार्टा एथेन्स से स्पार्टा का रास्ता पहाड़ी था। जमीन ऊबड़खाबड़, समय बहुत कम होने के कारण वहाँ पहुँचना संभव न था। एथेन्स वालों ने स्पार्टा से मदद माँगने का विचार बनाया क्योंकि उन्हें विश्वास था कि स्पार्टा वाले संदेश सुनते ही मदद के लिए आ जाएंगे। किन्तु स्पार्टा पहुँचने का साधन केवल पैदल ही था। यह काम फिडिप्पिडिस को ही सौंपा गया क्योंकि वह न केवल बहादुर था बल्कि उस वर्ष की ओलम्पिक की दौड़ों में पूरे यूनान में प्रथम आए थे।
उन्होंने भी देश को परतन्त्रता (गुलामी) की जंजीर से बचाने हेतु ये चुनौती भरा काम स्वीकार किया। रास्ते में आने वाली बाधाओं और कष्टों, भूख, प्यास सबको सहते हुए वह अड़तालीस घंटों अर्थात दो दिन और दो रातें लगातार भागते हुए वह स्पार्टा पहुँचकर संदेश दिया।
स्पार्टा वालों ने जल्द ही पहुँचने का आश्वासन दिया। थोड़े से विश्राम के बाद वह देश भक्त वीर संदेश लेकर लौट पड़ा। स्पार्टा का संदेश पाकर एथेन्स के वीर उत्साहित हो दारा की सेना को रोकने के लिए मैराथन की तरफ चल पड़े। उनमें फिडिप्पिडिस जिन के पाँवों में छाले पड़ चुके थे, शरीर थक कर चूर हो गए थे, फिर भी अपना भाला और ढाल लेकर युद्ध में शामिल हो गए। घमासान युद्ध होने लगा। स्पार्ट की सेना पहुँचने से पहले ही स्पार्टा की नैतिक मदद एवं आश्वासन के सहारे ही एथेन्स के वीरों ने दारा को पराजय का मुँह दिखा दिया।
मैराथन से एथेन्स की दूरी पैंतीस किलोमीटर थी। फिडिप्पिडिस को फिर से जीत का संदेश देने के लिए एथेन्स भेजा गया। वे इस ख़ुशी के समाचार को पहुँचाने के लिए खूब तेज़ दौड़े। एथेन्स नगर के फाटक बन्द थे उन्होंने आवाज़ दी, “एथेन्स की विजय हुई है। फाटक खोलो खुशियाँ मनाओ, हम जीत गए हैं ईरानी हार गए हैं। यूनानी सदा स्वतन्त्र रहेंगे।” एथेन्स की जनता ने उनकी आवाज़ पहचानकर फाटक खोल दिया। एथेन्स का वह वीर सपूत उपरोक्त वाक्य कहते हुए ऐसा गिरा कि फिर कभी न उठ सका। उनका देहावसान 490 ईसा पूर्व हुआ।
आज भी ओलम्पिक में सबसे लम्बी दौड़ को मैराथन की दौड़ कहते हैं। हालांकि 1896 ई. से पहले इसकी दूरी निश्चित नहीं थी। उसके बाद इसकी दूरी 42.195 किलोमीटर (26 मील और 385 गज़) तय की गई है जोकि सड़क पर दौड़ी जाती है। दौड़ाक को एथेन्स के नाम से एथलीट और खेलों को एथलैटिक्स कहा जाता है।
19वीं सदी में संचालकों द्वारा यूनान की मशहूर दौड़ को मैराथन दौड़ का नाम दिया गया। पियरे डी कॉबरटिन के भरसक प्रयत्नों से पहली आधुनिक ओलम्पिक खेल में 10 अप्रैल 1896 को शामिल किया गया। सन् 1984 में होने वाली ओलम्पिक खेलों में पहली बार महिला मैराथन दौड़ को भी शामिल किया गया।
यूनान में ही ओलम्पिक नामक पर्वत की तलहटी से शुरू हुई ये खेलकूद प्रतियोगिता प्रत्येक चार वर्ष बाद अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर करवाई जाती है। इसके अन्तर्गत अनेक छोटी व बड़ी दौड़े करवाई जाती हैं, जिसमें 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर आदि शामिल हैं।
आज प्रत्येक अच्छे कार्य को प्रोत्साहन देने के लिए मैराथन (बहुत लम्बी) दौड़ करवाई जाती है। विश्व में प्रत्येक वर्ष 500 मैराथन आयोजित किये जाते हैं। जिसमें से कुछेक मुकाबले के तौर पर और कुछेक अच्छे कार्यों को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित की जाती है। उदाहरणस्वरूप कैंसर पीड़ितों के लिए, विकलांगों के लिए, अँधों के लिए, स्वच्छ शहर, प्रदूषण रहित शहर आदि के लिए जागरूकता मैराथन दौड़ के आयोजन द्वारा की जाती है।
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इस प्रकार एथेन्स का वे वीर योद्धा, धावक फिडिप्पिडिस आज भी मैराथन दौड़ के रूप में हमारे बीच अमर हैं।
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