Essay on National Song of India in Hindi
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Essay on National Song of India in Hindi
राष्ट्रीय गीत : वंदे मातरम्
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥
बच्चो! आपने ‘वंदे मातरम्’ गीत रेडियो तथा टेलीविजन पर कई बार सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह गीत किसने लिखा और सबसे पहले इसे किसने गाया था? यह गीत लिखा था – बाँग्ला के प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने और इसे सबसे पहले 1896 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाया था। वंदे मातरम् हमारा राष्ट्रीय गीत है। यह बाँग्ला और मिली – जुली संस्कृत में लिखा गया था। बाद में श्री अरविंदो ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया। यूँ तो पूरा गीत 26 पंक्तियों का है, लेकिन इसकी शुरुआती 7 पंक्तियाँ ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार की गई हैं।
इस गीत में भारतमाता को नमन किया गया है। आजादी के संघर्ष के दौरान इस गीत ने देशभक्तों में जोश भरने का काम किया। यह इतना लोकप्रिय हो गया कि अंग्रेजों ने इसके गाए जाने पर रोक लगा दी और ऐसा करने वालों को जेल में डाला जाने लगा।
इस गीत के लिखे जाने की कहानी भी दिलचस्प है। कहते हैं कि एक दिन बंकिम बाबू कोलकाता से कुछ दूर अपने गाँव में बैठे थे। उनका मन बहुत बेचैन था, क्योंकि उन दिनों अंग्रेज़ भारतीयों को अपना राष्ट्रीय गान ‘गॉड सेव द क्वीन’ गाने पर मजबूर कर रहे थे। बैठे-बैठे ही बंकिम बाबू के मन में वंदे मातरम् के बोल गूंजने लगे और उन्होंने यह गीत लिख डाला।
हम भारतीयों के लिए गर्व की बात यह है कि यह गीत आज भी इतना लोकप्रिय है कि कुछ समय पहले बीबीसी की विश्व रेडियो सेवा ने घोषित किया कि यह ऐसा दूसरा गीत है, जिसे सुनने की माँग सबसे ज्यादा श्रोता करते हैं।
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