Nipah Virus Essay in Hindi | निपा वायरस संक्रमण पर निबंध
|Nipah Virus Essay in Hindi. निपा वायरस पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और विद्यार्थियों के लिए निपा वायरस पर निबंध हिंदी में। Lean more information about Nipah Virus in Hindi. निपा वायरस संक्रमण पर निबंध।
Nipah Virus Essay in Hindi 500 Words
परिचय
निपाह वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था, वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला। उस वक्त इस बीमारी के वाहक सूअर थे और आज इस बीमारी के वाहक चमगादड़ हैं। इसके बाद से इन वायरस के केस साउथ एशिया (भारत, बांग्लादेश, मलेशिया और सिंगापुर) में देखे गए। भारत में ‘निपाह वायरस’ का पहला मामला वर्ष 2001 के जनवरी और फरवरी माह में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में दर्ज किया गया था। इस दौरान 66 लोग निपाह वायरस से संक्रमित हुए थे। इनमें से उचित इलाज न मिलने की वजह से 45 लोगों की मौत हो गई थी।
मुख्य भाग
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह वायरस एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्य स्रोत चमगादड़ है जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में निपाह वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में मामले सामने आने के बाद देश में है खतरे की घंटी बज चुकी । यह बीमारी लाइलाज है। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है।
निपाह वायरस कैसे फैलता है:
• वायरस लोगों के स्राव और विसर्जन के साथ निकट संपर्क के माध्यम से संक्रमण हो सकता है।
• मानव से मानव को सीधे संपर्क से फैलता है।
• संक्रमित चमगादड़ द्वारा आधे खाए गए फल खाने और संक्रमित जानवरों के कम पके हुए मांस भी वायरस को फैला सकते हैं।
• ताड़ और खजूर रस भी संक्रमण का कारण बन सकता है अगर किसी संक्रमित चमगादड़ ने उसको आधा खाया हो।
निपाह वायरस के लक्षण
‘निपाह वायरस’की चपेट में आने वाले इंसान को तेज बुखार, दिमाग या सिर में तेज जलन, दिमाग में सूजन और दर्द ,मानसिक श्रम, सांस लेने में परेशानी होती है। संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है, इसके बाद इंसान की मौत हो जाती है। ये वायरस एन्सेफलाइटिस सिडोंम के जरिए बहुत तेजी से फैलता है। डाक्टरों ने इसे घातक इंसेफ्लाइटिस या दिमागी बुखार कहा है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक ‘निपाह वायरस’ काइंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग को नुकसान पहुंचता है।
निष्कर्ष
‘निपाह वायरस’ का इलाज खोजा नहीं जा सका है, इस रोग से ग्रस्त लोगों का इलाज मात्र रोकथाम है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए, जब भी बाहर से कोई फल लेकर आए उसे अच्छे से गर्म पानी में धोकर खाएं।
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