Pariksha Me Asafal Mitra Ko Patra परीक्षा में असफल होने पर मित्र को पत्र लिखिए
|Pariksha Me Asafal Mitra Ko Patra in Hindi. परीक्षा में असफल होने पर मित्र को पत्र लिखिए। Write a letter to a friend showing sympathy for his failure in the examination.
Pariksha Me Asafal Mitra Ko Patra in Hindi
Pariksha Me Asafal Mitra Ko Patra
Sample Letter 1
परीक्षा-भवन
….. नगरे,
8 अगस्त, 19….
प्रिय कोमल,
नमस्ते।
आज ही आपकी माता जी का पत्र आया जिससे मालूम हुआ कि आप दसवीं की परीक्षा में इस बार उत्तीर्ण नहीं हुए। इस कारण आप बहुत उदास हैं और प्राय: रोते रहते हैं। अनुत्तीर्ण होने का समाचार पढ़ कर दुःख तो मुझे भी बहुत हुआ। सोचो कि रोने और उदास रहने से अब हो भी क्या सकता है। यह भी सोचो कि परीक्षा से कुछ समय पहले आप अस्वस्थ भी कितने रहे। ऐसी स्थिति में आपका स्वास्थ्य ज़रूरी है। अगर स्वस्थ रहोगे तभी परिश्रम कर सकोगे और कठिन परिश्रम करने पर आप अगले वर्ष बहुत ही अच्छे अंक पा सकोगे। हिम्मत हारने की कोई आवश्यकता नहीं। मेहनत करने से क्या नहीं हो सकता है।
कहा गया है –
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जावत ते, सिल पर परे निसान।
अगर छोटे-छोटे तन्तुओं से बनी रस्सी अभ्यास द्वारा पत्थर पर निशान बना सकती है। तो दिमाग रखने वाला मनुष्य अभ्यास से, कड़ी मेहनत से क्या नहीं कर सकता ? जीत-हार तो चलती ही रहती है। वैसे यदि इस वर्ष आप पास हो भी जाते तो तृतीय-श्रेणी में पास होते और इस से तो भला यही है कि अब की बार डट कर मेहनत करो।
अत: मेरी तो राय यह है कि नये सिरे से पुस्तकें उठाओ और अगली परीक्षा में कुछ कर दिखाने की भावना से पढ़ाई में डट जाओ, जिससे तुम्हारा एक साल व्यर्थ जाने का दुःख भी जाता रहे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरा पत्र पाते ही आप पढ़ाई में जुट जाओगे। भगवान अवश्य आपका भविष्य उज्ज्वल करेगा। मेरे पत्र का उत्तर शीघ्र देना। माता-पिता को चरण-वन्दना। सभी भाई बहनों को नमस्ते।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
क, ख, ग
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Pariksha Me Asafal Mitra Ko Patra
Sample Letter 2
आप दिसपुर के नवज्योति विद्यालय के भागीरथी छात्रावास में कमरा नं 13 में रहने वाले नरेश हो। आपका मित्र संजय नवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया है। उसे एक संवेदना-पत्र लिखो।
नरेश
13, भागीरथी छात्रावास
नवज्योति विद्यालय
दिसपुर
27-3-2008
प्रिय मित्र संजय
मधुर स्मृति!
मुझे कल आनंद का पत्र मिला। उसने अपना तथा अन्य साथियों का परीक्षा परिणाम लिखा है। मुझे यह पढ़कर अत्यंत दुख हुआ कि तुम इस वर्ष नवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हो। इस बारे में तो मैं सोच भी नहीं सकता।
संजय, तुम ऐसे तो न थे। आठवीं में तो तुम्हारे 65% अंक थे। अवश्य परीक्षा के दिनों में तुम्हारे साथ कोई परेशानी हो गई होगी। मुझे यह सोचकर ही झटका लगा कि तुम उसी कक्षा में रह गए हो। खैर, जो हुआ, सो हुआ। बीती ताही बिसार दे, आगे की सुध ले। अब इस बार इतनी मेहनत करो कि यह गलती वरदान बन जाए। तुम्हारा दिमाग अच्छा है। अतः तुम 90% अंक लेने का लक्ष्य बनाकर चलो। अगर तुम ऐसा कर पाए, तो सचमुच यह अभिशाप भी वरदान की तरह फलेगा।
दुख के इस अवसर पर तम्हारा यह मित्र हर क्षण तुम्हारे साथ है। मेरे योग्य कोई सेवा-सहयोग हो तो लिखना न भूलना।
तुम्हारा मित्र
नरेश
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