Paropkar Essay in Hindi परोपकार पर निबंध
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Paropkar Essay in Hindi
विचार-बिंदु – परोपकार का अर्थ • परोपकार का महत्त्व • परोपकार से प्राप्त अलौकिक सुख • परोपकार के विविध रूप और उदाहरण • परोपकार में ही जीवन की सार्थकता।
परोपकार का शाब्दिक अर्थ है – दूसरों का भला। दूसरों की भलाई के बारे में सोचना तथा उसके लिए कार्य करना महान गुण है। यदि सभी अपने गुणों को अपनी मुट्टियों में कैद कर लें तो यह सृष्टि-चक्र पल-भर के लिए भी न चले। वृक्ष अपने लिए नहीं, औरों के लिए फल धारण करते हैं। नदियाँ भी अपना जल स्वयं नहीं पीतीं। परोपकारी मनुष्य संपत्ति का संचय भी औरों के कल्याण के लिए करते हैं। मानव-जीवन भी एक-दूसरे के सहयोग पर निर्भर है। परोपकार का सुख लौकिक नहीं, अलौकिक है।
जब कोई व्यक्ति निस्वार्थ भाव से किसी घायल की सेवा करता है तो उस क्षण वह मनुष्य नहीं, दीनदयालु के पद पर पहुँच जाता है। वह दिव्य सुख प्राप्त करता है। उस सुख की तुलना में धन-दौलत कुछ भी नहीं है। अपने प्रियजनों के लिए कुछ करना अलग बात है। परंतु अपने-पराए सबके लिए कर्म करना सच्चा परोपकार है। भारत में परोपकारी महापुरुषों की कमी नहीं है। यहाँ दधीचि जैसे ऋषि हुए जिन्होंने अपनी जाति के लिए अपने शरीर की हड्डियाँ दान में दे दीं । बुद्ध, महावीर, अशोक, गाँधी, अरविंद जैसे महापुरुषों के जीवन परोपकार के कारण ही महान बन सके हैं। परोपकारी व्यक्ति सदा प्रसन्न, निर्मल और हँसमुख रहता है। वह पूजा के योग्य हो जाता है।
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