Biography of Prakash Padukone in Hindi प्रकाश पादुकोण की जीवनी
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Biography of Prakash Padukone in Hindi
खेलों का शौक रखने वाला शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जिसने प्रकाश पादुकोण का नाम न सुना हो। वे न केवल एक मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, बल्कि यह कहना भी कतई गलत नहीं होगा कि भारत में उन जैसा बैडमिंटन खिलाड़ी अभी तक कोई नहीं हुआ। प्रकाश का जन्म कर्नाटक के बैंगलोर शहर में 10 जून, 1955 में हुआ। उनके पिता रमेश पादुकोण कई वर्षों तक मैसूर बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव रहे। प्रकाश की बचपन से ही बैडमिंटन में खूब दिलचस्पी थी।
दो साल तक उन्होंने खेल से जुड़ी अपनी हर कमज़ोरी पर काम किया और 1964 में यह प्रतियोगिता जीत ली। 1970 में उन्होंने राष्ट्रीय जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती। इसी साल उन्होंने इंडोनेशिया के महान् बैडमिंटन खिलाड़ी रूडी हैरटोनो को खेलते हुए देखा। रूडी का खेल ऊर्जा और आक्रामकता से भरपूर था। प्रकाश उनके खेल से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भी अपने खेल का तरीका बदलने का निश्चय कर लिया। इससे पहले वे संयत होकर खेलते थे, लेकिन अब वे बहुत आक्रामक तरीके से खेलने लगे।
16 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय जूनियर और राष्ट्रीय सीनियर दोनों ही चैंपियनशिप जीत पूरे देश को हैरत में डाल दिया। उन्होंने 9 साल तक लगातार राष्ट्रीय सीनियर चैंपियनशिप जीत वो रिकॉर्ड कायम किया, जिसे आज तक कोई भी तोड़ना तो दूर रहा, उसकी बराबरी तक नहीं कर पाया। अपनी पहली राष्ट्रीय सीनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने के बाद ही प्रकाश को थॉमस कप चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया था। 1974 में उन्होंने तेहरान एशियन खेलों में कांस्य पदक जीता। 1978 में उन्होंने एडमंटन कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपना पहला बड़ा अंतर्राष्ट्रीय टाइटल जीता। इसके बाद तो बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताएँ जीतने का यह सिलसिला आगे ही बढ़ता रहा।
अगले दो सालों में उन्होंने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप, डेनिश ओपन और स्वीडिश ओपन चैंपियनशिप जैसी बड़ी प्रतियोगिताएँ जीतीं। ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले वे पहले भारतीय बने। यह प्रतियोगिता जीत वे विश्व के पहली वरीयता वाले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए। स्वीडिश ओपन प्रतियोगिता के एक दौर में उन्होंने अपने आदर्श रूडी को हराया। अगले साल 1981 में मलेशिया में अल्बा प्रतियोगिता जीत वे विश्वकप टाइटल जीतने वाले पहले भारतीय बने। 1983 में कोपनहेगन में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने बेहतरीन खेल के लिए प्रकाश पादुकोण को अर्जुन पुरस्कार और पदमश्री जैसे सम्मानों से सम्मानित किया गया।
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