Essay on Issues and Problems faced by Women in India in Hindi शिक्षित नारी की समस्याएं पर निबंध
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Essay on Issues and Problems faced by Women in India in Hindi
आधुनिक युग में नारी की शिक्षा के साथ अनेक प्रश्न एवं समस्याएं जुड़ने लगीं है। जिन परिवारों में आर्थिक समस्याएं थीं उनमें लड़कियां नौकरी प्राप्त कर अपनी स्थिति को सुधारती हैं। उसे दहेज के कलंक को झेलने के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। अत: उसकी शिक्षा का उद्देश्य आर्थिक स्थिति के अनुरूप ही निर्धारित होने लगा है। यदि सौभाग्य से उसका विवाह सम्पन्न परिवार में हो जाता तो वह यही चाहती है कि जब घर में काम करने वाले नौकर-चाकर हैं तो वह घर की चारदीवारी में बन्द रह कर क्या करेगी ? क्यों न वह नौकरी कर ले?
एक पंथ दो काज। पैसा भी आएगा और शिक्षा का भी सदुपयोग हो जाएगा। इसके विपरीत एक निर्धन की पत्नी सोचती है कि जब घर में एक नौकर रख लेने से वह उसके काम से अधिक धनोपार्जन कर सकती है, तब वह घर में रह कर अपनी शिक्षा का दुरुपयोग क्यों करे ? परन्तु नारी अभी तक पूर्णतया स्वतन्त्र नहीं। उसे अपने पति के अथवा सास-ससुर आदि के विचारों के अनुसार ढलना होता है। अधिकांश लोग आज भी अपनी बहुओं को नौकरी के लिए बाहर भेजना अपने परिवार की नाक काटने के बराबर समझते हैं। ऐसी नारियों को विवशतः उनकी इच्छाओं के अनुसार ढलना पड़ता है। परिणामत: मानसिक असन्तोष उत्पन्न हो जाता है।
प्रत्येक शिक्षित नारी नौकरी की सोचती हैं परन्तु जब पुरुषों में ही बेकारी समाप्त नहीं होती तो नारियों के लिए इतनी नौकरियां कहां ? परिणामतः आज शिक्षित नारी में भी बेकारी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। एक स्थान के लिए सैंकड़ों नारियों के प्रार्थना-पत्र पहुंच जाते हैं। अतः नारियों को ऐसी नौकरियां करने के लिए बाध्य होना पड़ता है जो उनके अनुकूल न हों। नौकरी करने के लिए कई बार नारियों को घरों से बहुत दूर जाना पड़ता है जिससे उनका जीवन तथा सतीत्व भी खतरे में पड़ जाता है। जिस प्रकार पुरुष आज नौकरी प्राप्त करने के लिए बड़ी रिश्वत तक देने के तैयार है, ठीक उसी प्रकार नारी को भी नौकरी के लिए कई बार सतीत्व से भी हाथ धोना पड़ता है।
शिक्षित नारी कभी यह नहीं चाहेगी कि उसका पति उससे कम शिक्षित हो और आज नारी के सामने यही समस्या खड़ी है। उसे उचित वर नहीं मिलता। यही कारण है कि आजकल लड़कियों के माता-पिता अपनी लड़कियों को अधिक शिक्षा देने के लिए हिचकिचाते हैं। ऐसे उदाहरण भी बहुत देखने को मिलते हैं जब शिक्षित लड़कियों को विवश हो कर ऐसे पुरुष को अपना पति चुनना पड़ता है जो शिक्षा की दृष्टि से बहुत पीछे हो। परिणामत: नारियों के मन में असन्तोष की भावनायें जाग जाती हैं जिससे उनका जीवन दु:खपूर्ण बन जाता है।
आधुनिक शिक्षा ने नारी को स्वतन्त्र रहने की भावना पैदा कर दी है। परिणामत: कुछ नारियां यह निश्चय करती हैं कि विवाह नहीं करवाएंगी और वे इस निश्चय पर डट जाती हैं परन्तु इनसे होने वाले दुष्परिणामों से वे परिचित नहीं होतीं। अनेक नारियों को समय निकल जाने पर पश्चाताप करना पड़ता है और वे विवाह की ओर झुकती हैं। कुछ योग्य वर के अभाव में आजीवन अविवाहित रहने के अभिशाप को सहती हैं और कुछ ऐसे वर को प्राप्त करके सन्तोष प्राप्त करती हैं जो योग्य न हों। दोनों ही दृष्टियों से उनका जीवन दु:खमय बन जाता है।
यदि शिक्षित नारी का मानसिक विकास अधिक हो जाता है तो वह मानसिक द्वन्द्व में घिर जाती है। यदि उसके घर के लोग उसके प्रति हमदर्दी नहीं रखते हैं तो वह परेशान रहती है। नौकरी करने वाली नारियों की दशा तो उस समय और भी विकट हो जाती है जब पुरुष उनसे सहयोग नहीं करता तथा घर और बाहर वह मशीन की भांति काम करती है। ऐसी स्थिति में नारी को अनेक प्रकार के तनाव झेलने पड़ते हैं। सत्य तो यह है कि नारी के साथ यदि पुरुष का सहयोग होता है तो वह सब कुछ प्रसन्नता से कर लेती है अन्यथा उसे भी विद्रोह करना पड़ता है जो उचित है।
शिक्षित नारी का उद्देश्य नौकरी करना है और अधिकांश शिक्षित नारियां इस में सफल भी हो जाती हैं। परन्तु उनकी गृहस्थी उनके लिए समस्या बन जाती है। जिन नारियों के घर में उनके बच्चों की देख-भाल करने वाले माता-पिता आदि हैं, उनके लिए यह समस्या उतना विकट रूप धारण नहीं करती जितनी उन औरतों के लिए जिनके बच्चों की देखभाल करने वाला पीछे कोई नहीं। परिणामत: बच्चों पर कोई नियन्त्रण नहीं रहता और वे नौकरों से गन्दी आदतें सीख लेते हैं जिससे उनके जीवन में अनेक ग्रंथियां पड़ जाती हैं जो उनके भावी जीवन को नष्ट कर देती हैं।
शिक्षित नारियों पर अक्सर लांछन लगाए जाते हैं। रूढ़िवादी लोग ऐसा मानते हैं कि यदि नारी घर के निर्वाह के लिए नौकरी करती है तो इससे वह परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति सम्मान की भावना नहीं रखती और यह मानती है कि वही परिवार का पालन पोषण करने वाली है। अत: वह अभिमानी और उच्छृखल हो जाती है जिससे परिवार में तनाव उत्पन्न हो जाता है। नारी की शिक्षा का लक्ष्य अब बदल गया है। आज वह प्रत्येक क्षेत्र में पुरुष का मुकाबला करना चाहती है। इसलिए वह भी योग्य होकर कार्यालय में अनेक पदों पर कार्य करती है और उसे कई समस्याओं से भी जूझना पड़ता है।
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