Essay on Ram Navami in Hindi रामनवमी पर निबंध
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रामनवमी पर निबंध Essay on Ram Navami in Hindi
भारत के लोगों ने प्रत्येक उस जीवंत तथ्य और तत्त्व को नतमस्तक हो कर मान-सम्मान प्रदान किया है, जिसने किसी भी प्रकार से मानवता के कल्याण के लिए कोई महत्त्वपूर्ण और नया कार्य किया हो। फिर श्रीराम कोई साधारण मानव नहीं थे, वह तो महामानव, मर्यादा पुरुषोत्तम थे। इसलिए उनके पुण्य एवं महान् स्मरणीय कृतित्व एवं व्यक्तित्व के प्रति अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के लिए इस देश का जन-मानस यदि प्रारंभ से ही रामनवमी के नाम से उनका जन्मदिन एक पर्व एवं उत्सव के रूप में मनाता आ रहा है, तो इसमें अचरज की कोई बात नहीं।
इस देश में अधिकांशत: सभी महापुरुषों के जन्मदिन,त्योहार और उत्सव आदि तारीखों नहीं अपितु तिथियों के हिसाब से मनाने का रिवाज रहा है। इस वजह से यह कह पाना मुश्किल है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म देशी अथवा अंग्रेजी महीनों के हिसाब से ठीक किस तारीख को हुआ था; पर तिथियों की गणना के हिसाब से जन्म का दिन निश्चित रूप से निर्धारित है। नक्षत्र-तिथि-गणना और भारतीय मास के हिसाब से भगवान श्रीराम का जन्म वैशाख महीने में पड़ने वाले शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसी वजह से वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली इस तिथि को ‘रामनवमीं कहें कर अभिहित किया जाता और इस दिन अधिकांशतः सारे भारत एवं विश्व में जहाँ कहीं भी हिन्दू निवास करते हैं, वेहाँ-वहाँ हर जगह राम जन्म का उत्सव बड़े भक्तिभाव उत्साह और निष्ठी से मनाया जाता है। अंग्रेजी महीनों के हिसाब से यह दिन प्राय: अप्रैल महीने में ही पड़ता है। भगवान् श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन महान् सांस्कृतिक एवं अन्य सभी प्रकार के आदर्शों को साकार करने में व्यतीत हुआ, वह आजीवन अनेकविध मर्यादाएँ भी प्रतिष्ठापित करते रहे।
उनका जीवन घर-परिवार, धर्म, समाज, राजनीति आदि का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत करने वाला भी है। इसीलिए उनके जीवन को एक आदर्श जीवन माना जाता है। व्यक्ति को घर और परिवार में कैसे रहना चाहिए, घर और परिवार की मर्यादा की रक्षा के लिए कोई व्यक्ति क्या कुछ और कितना बड़ा त्याग कर सकता है, समष्टि-हित पर व्यष्टि अथवा व्यक्ति-हित को किस सरलता से न्यौछावर किया जा सकता है, समाज का हित साधन करने के लिए व्यक्ति को कैसे-कैसे मित्र बनाने और राजनीतिक समझौते करने चाहिए- जैसी सभी बातों की शिक्षा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से ली जा सकती है। उनका समस्त जीवन व्यक्ति हितों से ऊपर उठकर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के उच्च मानों-मूल्यों की संवर्द्धना एवं रक्षा के लिए समर्पित हो गया। ‘रामनवमी’ का दिन हम ऐसे ही महापुरुष के जन्मोत्सव को महान सामाजिक-धार्मिक एवं उदात्त मानवीय पर्व के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाया करते हैं। ऐसा कर के एक प्रकार से हम इस बात का व्रत भी लेते हैं कि हम भरसक उन आदर्शों पर चलते रहने का प्रयास करते रहेंगे कि जो इस मर्यादा पुरुषोत्तम और महामानव ने निबाहे, बताए और हमारे सामने प्रतिष्ठापित किए थे।
रामनवमी के दिन धार्मिक तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति के लोग प्रात:काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो भगवान् श्रीराम का आरती-वंदन, भजन-पूजन तो किया ही करते हैं, कई जगहों पर प्रभात फेरियाँ निकाल कर भजन-कीर्तन करने की प्रथा भी पाई जाती है। रामनवमी की तिथि आने से कई दिन पूर्व से ही भगवान् श्रीराम के मंदिरों में तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। मंदिरों को खूब सजाया-संवारा जाने लगता है। वहाँ एक भव्य झूला तैयार करने और जन्म के समय शंख-घड़ियाल-नाद के मध्य उसे झुलाने का चलन भी है। कई लोग इस दिन व्रतोपवास भी किया करते हैं। संपूर्ण दिन व्रत का पालन कर जन्म-उपरांत के समय ही फलाहार कर व्रत का उपारण किया जाता है। इस दिन मंदिरों में सामूहिक स्तर पर भजन-पूजन, आरती और कीर्तन भी किया जाता है। सामाजिक स्तर पर श्रीराम के जीवन से जुड़ी दिव्य झांकियाँ निकालने की प्रथा भी है और शोभा-यात्रा भी निकाली जाती है। राम-जीवन से जुड़े तीर्थ-स्थलों पर इस तरह के सभी आयोजन बड़े विस्तृत एवं भव्य स्तर पर किए जाते हैं। अनेक स्थानों पर ‘श्रीरामचरितमानस’ के अखंड पाठ का आयोजन भी किया जाता है। राम-कथा के मर्मज्ञ विद्वान अपने भव्य प्रवचनों के माध्यम से राम-जीवन और कार्यों की सूक्ष्म व्याख्या कर श्रोताओं और रामभक्तों को पुण्य-लाभ प्रदान करते हैं।
श्रीराम अपनी समग्रता में वास्तव में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक, अग्रदूत एवं परिचायक तो हैं ही, ऊर्जास्विता एवं उदात्त मानवीय गौरव-गरिमा के सूत्रधार भी हैं। इसी वजह से वे पूज्यनीय रहे और रहेंगे। उनका जन्मदिन ‘रामनवमी’ के पर्व के रूप में मनाकर हर भारतीय अपने आप को धन्य मानता है। यह तथ्य विशेष ध्यातव्य है कि फिजी, मारिशस आदि जिन विदेशों में भारतीय अधिक संख्या में रहा करते हैं वहाँ ‘रामनवमी’ जैसे उत्सव और भी अधिक उत्साह एवं उमंग से मनाया जाता है। वहाँ के निवासी भारतीय राम नाम को अपने जीवन का आधार तो मानते ही हैं, यह भी मानते और स्वीकार करते हैं, कि इस नाम के द्वारा ही वास्तव में वे अभी तक अपने पूर्वजों की भूमि के साथ जुड़े रह पाए हैं। ऐसे राम का ‘रामनवमी’ के रूप में जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मना कर भारतीय जन मानव का, अपने को धन्य मानना, उचित ही कहा जाएगा।
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