Rani Laxmi Bai in Hindi
|Read information about Rani Laxmi Bai in Hindi essay. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जीवन परिचय और निबंध हिंदी में। Rani Laxmi Bai information in Hindi, Rani Laxmi Bai biography in Hindi, Rani Laxmi Bai dialogue in Hindi, कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए सरोजिनी नायडू की जीवनी हिंदी में। About Rani Laxmi Bai history in Hindi in 400 words.
Rani Laxmi Bai in Hindi
यह तो आप सब जानते ही होंगे कि हमारे प्यारे देश हिंदुस्तान पर सैकड़ों साल तक अंग्रेज राज करते रहे। जब उनके अत्याचार हद से बाहर हो गए, तब अलग-अलग समय में अलग-अलग स्थानों पर देशभक्तों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई और आखिरकार हम आज़ादी मिल ही गई। ऐसी ही एक वीरांगना थीं – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई। लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी में हुआ। उनके पिता का नाम मोरोपंत और माँ का नाम भागीरथी बाई था। लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मनु था। जब मनु चार साल की थीं, तब उनकी माँ की मृत्यु हो गई। उनकी परवरिश की पूरी जिम्मेदारी उनके पिता पर आ गई। मोरोपंत ने अपनी बेटी के लालन-पालन में कोई कोर-कसर नहीं रखी। उन्होंने न केवल मनु को पढ़ाया-लिखाया, बल्कि उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानेबाजी भी सिखाई। मनु बचपन से ही निडर और साहसी लड़की थीं। उन्होंने इन विधाओं को खूब मन से सीखा। 1842 में उनकी शादी झाँसी के महाराजा गंगाधर राव से हो गई और वे मनु से लक्ष्मीबाई बन गईं। 1851 में लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन चार महीने बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। इस दुर्घटना के बाद उन्होंने एक लड़का गोद लिया, जिसका नाम दामोदार राव था। 21 नवंबर, 1853 को महाराजा का भी निधन हो गया। 18 वर्ष की मनु दुनिया में अकेली रह गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
उन दिनों लॉर्ड डलहौजी भारत का गवर्नर जनरल था। उसने कहा कि राजा गंगाधर राव की अपनी कोई संतान नहीं है, इसलिए झाँसी को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया जाएगा। अंग्रेजों ने दामोदर राव और रानी लक्ष्मीबाई को महाराजा का वारिस मानने से सीधे मना कर दिया। मार्च, 1854 में उन्होंने लक्ष्मीबाई को हर साल 60,000 रुपए की पेंशन देने की घोषणा की और उनसे झाँसी का किला छोड़ देने को कहा। लक्ष्मीबाई देशभक्त थीं और यह उन्हें कतई मंजूर नहीं था। उन्होंने देशभक्त नागरिकों की एक नई फौज खड़ी की। रानी के देशभक्त और स्वामिभक्त सैनिकों में खास गुलाम खान, दोस्त खान, खुदा बक्श, मोतीबाई आदि थे। मार्च, 1858 में अंग्रेजों ने झाँसी पर हमला किया। दो हफ्ते तक लड़ाई चलती रही। लक्ष्मीबाई ने अपनी पूरी सेना के साथ अंग्रेजों का जमकर मुकाबला किया। आखिर अंग्रेजों की लंबी फौज, और आधुनिक हथियारों के आगे उनकी सेना टिक न पाई। लेकिन रानी ने तब भी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने नन्हे बेटे दामोदर को अपनी पीठ पर बाँधा और घोड़े पर बैठ कालपी भाग निकलीं। आखिरकार, ग्वालियर में उनके और अंग्रेजों के बीच एक बार फिर युद्ध हुआ, जिसमें वे शहीद हो गई। यह 18 जून, 1858 का दिन था। 22 वर्ष की उम्र में ही शहीद होकर वे देशभक्तों के लिए ऐसी प्रेरणा बनीं, जो हमेशा उन्हें सच्चाई और आजादी के लिए लड़ने की हिम्मत देती रहीं।
More essay in Hindi
Lata Mangeshkar Biography in Hindi
History of Sarojini Naidu in Hindi
Subhadra Kumari Chauhan in Hindi
Thank you for reading Rani Laxmi Bai in Hindi language. Give your feedback on this biography.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।