Essay on Sab din na hote ek samaan in Hindi
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Essay on Sab din na hote ek samaan in Hindi
विचार – बिंदु – • परमात्मा का खेल • परस्पर विरोधी स्थितियाँ • कभी सुख कभी दुख • कभी कोई उन्नत कभी कोई • न दुख में निराश हों, न सुख में इतराएँ • भारत की गुलामी और उन्नति का उदाहरण।
प्रभु तेरी माया।
कहीं धूप कहीं छाया।
परमात्मा की सृष्टि एक खेल की तरह है। इसमें धूप भी है और छाया भी; लू भी है और जाड़ा भी। पहाड़ भी हैं और खाइयाँ भी। वसंत भी है और पतझड़ भी। जन्म भी है और मृत्यु भी। विजय भी है और पराजय भी। यहाँ डोली भी निकलती है और जनाज़ा भी। ये सब दृश्य संसार में बने ही रहते हैं। अंतर इतना है कि आज रामलाल पहाड़ की ऊँचाइयों पर है तो कल शामलाल होगा। आज जन्मदिन के गाजे-बाजे बज रहे हैं तो कल मृत्यु का विलाप भी उसे सुनना पड़ेगा। समय परिवर्तनशील है। इसलिए दुख के दिनों में अधीर नहीं होना चाहिए। ये तूफान भी एक दिन चले जाएँगे। सुख के दिनों में फूल कर कुप्पा नहीं होना चाहिए।
एक दिन ये सुख-साधन भी नहीं रहेंगे। कभी भारत में अंग्रेजों की तूती बोलती थी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे भारत को निगल लिया था। आज भारत के लक्ष्मी मित्तल और टाटा ब्रिटेन की विशालकाय कंपनियाँ खरीद रहे हैं। यहाँ तो यह कहावत चरितार्थ होती है – कभी नाव जहाज पर तो कभी जहाज़ नाव पर।
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