Short Essay on Football in Hindi फुटबॉल पर निबंध
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Short Essay on Football in Hindi 300 Words
फुटबॉल पूरे विश्व में खेले जाने वाला सबसे लोकप्रिय खेल है। फुटबॉल लोगो के ध्यान को राहत पाने के लिए मदद करता है और सभी खिलाड़ियों को अपनी टीम के साथ कार्य करना सिखाता है। यह पेरो द्वारा खेले जाने वाला खेल खिलाड़ियों और प्रन्शंसको में तंदरुस्ती लाता है। इस खेल को पेरो के साथ गेंद को ठोकर मार कर खेला जाता है, इसलिए इसका नाम फुट (पैर) बाल (गेंद), यानि की फूटबाल है। फुटबॉल खिलाड़ियों को स्वस्थ और अनुशाषित रखता है।
फुटबॉल खेल नियमित रूप से खेलने पर यह खिलाड़ियों को बहुत लाभ प्रदान करता है। फुटबॉल सभी आयु वर्ग के लिए लाभदायक है। फुटबॉल के कुछ महत्वपूर्ण लाभ कुछ इस प्रकार है – मानसिक और शारीरिक ताकत प्रदान करना, खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भरना, समयनिष्चित और अनुशाषित बनाना, हृदय के स्वास्थ्य में सुधार, टीम में काम करने को प्रेरित करना और तंदरुस्ती के कौशल सत्तर को सुधरता है।
फुटबॉल को एक प्राचीन ग्रीक खेल हर्पास्टॉन के रुप में माना जाता है। जिसे रोम के लोग ब्रिटैन ले गए और फुटबॉल खेल की उत्पत्ति बाहरवीं सदी के बाद इंग्लैंड देश में हुई। इंग्लैंड में इसकी शुरुआत 1863 में हुई थी। फूटबाल खेल सन् 1800 में अग्रणी खेल बन गया, जिसके बाद इसे स्कूल और कॉलेजो में खेला जाने लगा।
फुटबॉल के 90 मिनट गेम में 45-45 मिनट के दो अंतराल होते है। दो टीमों में 11-11 खिलाडी होते है, जो पेरो से फुटबॉल को ठोकर मरते हुए गोआल करने की कोशिश करते है। यदि किसी टीम में 7 खिलाड़ी से कम खिलाड़ी है तो इस खेल को शुरु नहीं कर सकते हैं। दोनों टीमों में 1-1 गोलकीपर होता हे, जो फुटबॉल को अपने हाथो से रोक सकता है। जो टीम 90 मिनट में ज्यादा गोआल करती है, वह जीत जाती है। फुटबॉल को दो लम्बी रेखाओ – स्पर्श लाइन और गोल लाइन में खेला जाता है। खेल के नियमों को सुनिश्चित करने के लिए फुटबॉल गेम में एक रेफरी और दो सहायक रेफरी होते है।
अंत : फुटबॉल पूरी दुनिया में खेले जाने वाला लोकप्रिय खेल है। यह खेल आसानी से एक फुटबॉल और कुछ दोस्तों के साथ कही भी खेला जा सकता है। फुटबॉल का भारत में विशेषरुप से बंगाल में बहुत महत्व है।
Essay on Football in Hindi 1000 Words
रूपरेखा : फुटबॉल एक लोकप्रिय खेल, फुटबॉल के मैदान का आकार, दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम में हुए डूरंड फाइनल का वर्णन, दोनों टीमों का आकर्षक प्रदर्शन, उपसंहार।
हॉकी, क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल आजकल के प्रमुख खेल हैं। इनमें फुटबॉल का खेल सबसे सस्ता और लोकप्रिय है। इसके लिए केवल एक गेंद और समतल मैदान चाहिए। गाँव के छोटे-छोटे विदयालयों से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक इस खेल की प्रतियोगिताएँ चलती रहती हैं।
फटबॉल के लिए 103.5 मीटर लंबा और 67.5 मीटर चौड़ा समतल और आयताकार मैदान आवश्यक होता है। मैदान के दोनों सिरों पर बीचो-बीच दो खंभे गाड़कर दोनों ओर गोल बना दिए जाते हैं। गेंद को पैर से ठोकर लगाकर गोल के बीच से निकालना ही खिलाड़ियों का उददेश रहता है। इसी को गोल करना कहते हैं। हर टीम में एक खिलाड़ी गोल-रक्षक होता है।
भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित डूरंड फुटबॉल प्रतियोगिता एक महत्त्वपूर्ण प्रतियोगिता मानी जाती है। एक दिन हम डूरंड प्रतियोगिता के अंतर्गत फुटबॉल का मैच देखने गए। डूरंड कप के फाइनल में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल की टीमें दिल्ली के अंबेडकर स्टेडियम में खेल थीं। हज़ारों की संख्या में दर्शक बैठे थे। दोनों टीमों के कप्तान मैदान के बीच खड़े थे। इधर रेफरी ने सीटी बजाई और उधर एक खिलाड़ी ने गेंद में किक लगाई। देखते-ही-देखते खेल में गति आ गई। खिलाड़ियों के पैर से लगकर गेंद कभी इस ओर उछलती थी, कभी उस ओर। कभी खिलाड़ियों के पैरों के बीच चक्कर काटती तो कभी आकाश चूमने लगती। जब एक ओर की अग्रिम पंक्ति लहर की तरह तीव्रगति से आगे बढ़ती तो दूसरी टीम की रक्षा पंक्ति चट्टान की तरह आगे आकर प्रवाह को रोक देती। दिसंबर का महीना होने पर भी सभी खिलाड़ी पसीने से तर थे। दोनों टीमों के खेल को देखकर सभी दर्शक मंत्रमुग्ध थे।
खेल अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। तभी मोहन बागान के एक खिलाड़ी का हाथ गेंद से छू गया। रेफ़री ने सीटी बजा दी। फुटबॉल के खेल में हाथ से गेंद छूना, किसी खिलाड़ी को धक्का देना, पकड़ना, ठोकर मारना या खेल में किसी प्रकार का व्यवधान पहुँचाना नियम-विरुद्ध माना जाता है। खेल क्षण भर के लिए रुक गया। रेफ़री ने गेंद को एक स्थान पर रखा और ईस्ट बंगाल को किक मारने का आदेश दिया। ईस्ट बंगाल के एक खिलाड़ी ने ज़ोर से किक लगाई कि गेंद दूसरी ओर गोलरक्षक सीमा के पास जा गिरी। सभी खिलाड़ी जी जान से गोल करने पर तुल पड़े। लेकिन गोलरक्षक इतना सतर्क था कि खिलाड़ियों के सभी प्रयत्न विफल रहे। इसी बीच रेफ़री ने सीटी बजाकर मध्यावकाश की घोषणा कर दी। खेल रुक गया। सभी खिलाड़ी मैदान से बाहर आ गए।
मध्यावकाश के बाद खेल फिर आरंभ हुआ। गेंद बीच में रखी गई। इस बार ईस्ट बंगाल के अंतिम पंक्ति के खिलाड़ी जान की बाज़ी लगाकर खेलने लगे। पाँच मिनट के अंदर ही वे मोहन बागान की रक्षापंक्ति को चीर कर आगे बढ़े और गोलरक्षक के सभी प्रयत्न विफल करते हुए वे गोल करने में सफल हो गए। हज़ारों की संख्या में बैठे दर्शकों ने एक साथ खड़े होकर खिलाड़ियों का अभिनंदन किया। ईस्ट बंगाल के सभी खिलाड़ी खुशी से नाच उठे। कई वर्षों के बाद उन्हें मोहन बागान पर पहले गोल करने का अवसर प्राप्त हुआ था।
खेल फिर आरंभ हुआ। ईस्ट बंगाल के खिलाड़ी उत्साहित और मोहन बागान के खिलाड़ी आवेश से भरे हुए थे। मोहन बागान की अग्रिम पंक्ति के खिलाड़ी बड़ी तेज़ी के साथ बॉल को आगे ले जाने का प्रयत्न कर रहे थे। ईस्ट बंगाल के खिलाड़ी अब सुरक्षात्मक ढंग से खेल रहे थे। लेकिन वे मोहन बागान के आक्रामक खेल का मुकाबला नहीं कर पा रहे थे। इसी समय मोहन बागान के एक खिलाड़ी ने सिर से गेंद मारकर गोल में डालने का प्रयत्न किया, किंतु ईस्ट बंगाल के गोलरक्षक ने बड़ी फुरती से उछलकर गेंद को लपक लिया और उसे दूर फेक दिया। रेफ़री के आदेश पर गेंद पैनल्टी पर रखी गई। गोलरक्षक के अतिरिक्त ईस्ट बंगाल के सभी खिलाड़ी वहाँ से हट गए। मोहन बागान के खिलाड़ी ने इतने ज़ोर से किक मारी कि गेंद गोलरक्षक के हाथ से लगती हुई जाल में जा लगी। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस विजय का स्वागत किया। मोहन बागान के खिलाड़ी इस बराबरी पर आनंद से उछलने कूदने लगे।
खेल का समय समाप्त हो चुका था। रेफ़री ने लंबी सीटी बजाकर खेल समाप्त होने की घोषणा की। दोनों टीमें जहाँ अपने-अपने खेलों पर प्रसन्न थीं, वहीं दर्शक दोनों टीमों के उत्साह पूर्ण कोशल-प्रदर्शन की प्रशंसा कर रहे थे।
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Good
I like this essay
Thank you for comment..
In football on ball there is no matra