Story on Salary in Hindi तनख़्वाह पर कहानी
|Read story on Salary in Hindi. तनख़्वाह पर कहानी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए तनख़्वाह पर कहानी हिंदी में।
Story on Salary in Hindi
Story on Salary in Hindi – तनख़्वाह पर कहानी
सुनो पंडितजी से बेटे की शादी का मुहूर्त निकलवाया है। एक तो 20 नवंबर का है और दूसरा 9 दिसंबर का। पत्नी ने बाहर से आते ही पति को बताया तो पति ने भी हिसाब लगाया कि 9 दिसंबर को रविवार है। फिर वह पत्नी से बोला – ‘9 दिसंबर ठीक रहेगा क्योंकि उस दिन रविवार है और हमारे परिवार में अधिकतर सदस्य नौकरीपेशा हैं। उन्हें छुट्टी नहीं लेनी पड़ेगी।’
‘हमें उनकी छुट्टी से क्या आप यह देखो, अगर 20 नवंबर को शादी होगी तो शादी के थोड़े दिन बाद ही जब बहू वापस नौकरी पर जाएगी तो नवंबर की तनख्वाह तो ले आएगी। दिसंबर में शादी करेंगे तो वह पिछली तनख्वाह पहले ही ख़र्च कर चुकी होगी। बहू 30 हजार कमा रही है, ऐसे कैसे जाने दें हाथ से।’ पत्नी ने हिसाब लगाया।
पत्नी की समझदारी पर पति बहुत खुश हुआ और बेटे का विवाह नवंबर में हो गया। शादी के दस दिन पश्चात् ही सास ने बहू को नौकरी पर भेज दिया। 3-4 दिन वे इंतजार करती रहीं कि बहू आएगी और उनके हाथ में तनख़्वाह थमाएगी। आखिर पांचवे दिन उन्होंने पूछ ही लिया- ‘बहू, पिछले महीने की तनख्वाह नहीं मिली क्या?’
‘नही, मम्मी जी।’ बहू बोली। ‘क्यों?’ सास ने हैरानी से पूछा।
बहू ने शांति से जवाब दिया, मम्मीजी, आप तो अच्छी तरह जानती हैं कि मैंने इस नौकरी के लिए काफ़ी पढ़ाई की है। आपके बेटे ने भी पढ़ाई की है और बेटी भी पढ़ रही है, इसलिए आप जानती होंगी कि पढ़ाई में काफ़ी धन ख़र्च होता है। इसी कारण मेरे पापा मेरे विवाह के लिए कुछ भी धन जोड़ नहीं पाए। मैंने एक साल की नौकरी में जो कुछ जुटाया था उससे ही विवाह का इंतजाम पूरा होना था। लेकिन आपने विवाह के कुछ ही दिन पहले गाड़ी की मांग रख दी जिसके लिए हमें लोन लेना पड़ा। अब पहले मैं अपना लोन चुकाऊंगी उसके पश्चात् ही तनख़्वाह घर आनी शुरू होगी।’ इतना कहकर बहू अपने कमरे में चली गई।
सास हक्की-बक्की-सी अपने बच्चों की पढ़ाई के ख़र्च याद करती रह गई।
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