Story on Self Dependent in Hindi
|Read a story on Self Dependent in Hindi. स्वावलम्बन की भावना पर कहानी कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए स्वावलम्बन की भावना पर कहानी हिंदी में। Story on Self Dependent in Hindi.
Story on Self Dependent in Hindi
जीवन में वही व्यक्ति सफल होता है तथा महान् बनता है जो व्यक्ति अपने काम के लिए दूसरों पर आश्रित नहीं होता है अपितु अपने हाथों से अपना काम कर सकता है। प्रस्तुत कहानी का यही उद्देश्य है।
एक बार एक स्टेशन पर गाड़ी आकर रुकी तो उसमें से यात्रियों की भीड़ भी उतरने लगी। एक नवयुवक जो सूट-बूट पहने हुए था तथा उसके हाथ में एक छोटा सा सूटकेस था, भी गाड़ी से उतरा। वह युवक उस सूटकेस को किसी कुली के पास देना चाहता था। इसलिए वह ‘कुली, कुली’ पुकारने लगा। लेकिन जब कुली नहीं आया तो वह निराश हो गया। इतने में धोती कुर्ता पहने एक व्यक्ति उसके पास आया। उसने उस व्यक्ति से उसका सूटकेस ले जाने के लिए कहा। वह व्यक्ति उसका सूटकेस लेकर चल पड़ा। जब वह घर पहुंच गया तो उसने उस व्यक्ति को मज़दूरी देनी चाही लेकिन उसने मज़दूरी लेने से इन्कार कर दिया। दूसरे दिन वह युवक अपने विद्यालय में ईश्वर चन्द्र विद्या सागर का भाषण सुनने के लिए गया।
उसने देखा कि स्टेज पर वही व्यक्ति जिसने स्टेशन से उसका सूटकेस उठाया था, भाषण दे रहा है तथा लोग ध्यानपूर्वक सुन रहे हैं। वह युवक भी उसके भाषण से अत्यन्त प्रभावित हुआ। वह ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के पास गया और उनसे अपने व्यवहार के लिए क्षमा माँगने लगा। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने उसे क्षमा किया तथा भविष्य में अपना काम स्वयं करने की प्रेरणा दी। युवक ने भी उनके सम्मुख शपथ ली कि वह भी भविष्य में स्वावलम्बी बनेगा।
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