Essay on Tanav Se Ghira Mahanagar Ka Jeevan
|Essay on Tanav Se Ghira Mahanagar Ka Jeevan for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Most students find difficulty in writing
Essay on Tanav Se Ghira Mahanagar Ka Jeevan
विचार – बिंदु – • महानगरों का जीवन • प्रगति और उन्नति की अंधी दौड़ • आकांक्षाओं का असीमित विस्तार • मानवीय संबंधों का ह्रास • तेज जीवन-शैली • कृत्रिम खान-पान • तनाव ही तनाव • तनाव से बचने के उपाय।
महानगरों की जीवन-शैली तृष्णा से भरी है। महानगर में रहने वाला हर प्राणी लाखों-करोड़ों कमाकर भी बेचैन है। वह हाँफते-हाँफते पूरा जीवन काट देता है। महानगरों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि उनकी आत्मीयता खो गई है, अपनापन नष्ट हो गया है। उसका जीवन-रस सूख गया है। यहाँ का जीवन बहुत तीव्र हो गया है। यहाँ का वासी एक दिन में अनेक काम लपेटे रहता है। वह आजीविका के लिए एक नहीं, अनेक काम करता है। इसलिए उसके कदम ही नहीं, दिल भी तेजी से धड़कता है। इसलिए अधिकांश जन हृदय के रक्त-दबाव के मरीज हैं। यहाँ या तो दिल के दौरे से मौतें होती हैं या दुर्घटनाओं से। स्वाभाविक मौतें कम होने लगी हैं। यहाँ खान-पान की संरक्षित बासी चीजें मिलती हैं।
पैटीज, पेस्ट्री, बर्गर, पीजा और कोल्ड ड्रिंक्स पी-पीकर यहाँ के लोग मोटापे और शिथिलता के शिकार होते जा रहे हैं। अधिकांश लोग विविध बीमारियों से ग्रस्त हैं। महानगरों का जीवन तनाव की लंबी कहानी है। यहाँ 95% अंक प्राप्त करने वाला छात्र भी तनावग्रस्त है क्योंकि उसे 96% अंक नहीं मिले; यहाँ अरबपति भी दुखी है क्योंकि उसका पड़ोसी खरबपति है। तनाव में रहना तो महानगर की जीवन-शैली बन गई है।
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