The Measure Of Intelligence Is The Ability To Change Essay In Hindi
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The Measure Of Intelligence Is The Ability To Change Essay In Hindi
बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है
बदलने की क्षमता से तात्पर्य अपने – आप को किसी भी परिस्थितियों के अनुकूल बनाने की योग्यता अथवा निपुरनता यह बात काफी हद तक तर्कसंगत है कि बदलने की क्षमता ही बुद्धिमत्ता का माप है। समझने के लिए आप मानव के विकास के ज्ञान को ले सकते हैं। हमारे पुरातत्वशास्त्रियाऔर वैज्ञानिकों का मानव लानौ वर्ष पूर्व जंगलो में पशुओ की भाति ही जीवन व्यतीत किया करते थे। अन्य जानवरो की तरह मानव भी शिकार किया करते। भोजन के एक जगह से दूसरी जगह भटकतै, और तो और हिंसक पशुओ का योफ भी उनके अंदर रहा करता था किन्तु जैसे जैसे मानव ने बदलाव को अपनाया वो विकास की ओर अग्रसर होता चला गया, मानव ने सभी जीवो में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त कर लिया। मानव ने केवल अपने आप को बदला बल्कि अपने परिवेश को भी अपने अनुकूल बना लिया। यह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि बदलने की क्षमता बुद्धिमला का माप है।
बदलने की क्षमता ही बुद्धिमला का माप है। यदि आप स्वयं को नहीं बदल पा रहे हैं तो आप आगे नहीं बढ़ सकते और यदि आप आगे नहीं बढ़ सकते तो फिर आप बुद्धिमान नहीं है। आज मी समाज में बहुत सारी पुरानी बाते जो लोग मानते है, जैसे लड़कियों को स्कूल नहीं जाने देना, उनफी जल्दी शादी करवा देता।
भेद-भाव रखना, जाती-वाद, दहेज प्रथा यह सब हमे ख़तम करने की जरुरत है। इसी पुराना सोच के कारण हम पीछे है, अगर हम यह सोच बदल देंगे और नया सोचेंगे तभी प्रगति होगी।
क्योकि परिवर्तन ही संसार का नियम है – यह संसार परिवर्तन से ही चलती है। परिवर्तन होते-होते ही मानव का जन्म हुआ है। परिवर्तन से यह ब्रह्मांड बनी है। आरंभ मे पृथ्वी जलते हुए गोले की तरह था किंतु इसमें धारे- धीरे परिवर्तन होते गया और इसमें इतना परिवर्तन हुआ की अब इस पर जीवन संभव है और इतने सारे जीवित पशु पक्षी-प्राणी- यहाँ जीवन यापन कर रहे है और यहां मौजूद है।
इसलिए यह कहना बहुत मुख्य बात है कि बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता का माप है। हमे पुराने रीति रिवाज पुराने बातों, सहिषादी चीजों और सारी ऐसी क्रिया कलाप जो कि मानव जाति को प्रभावित करती है और इसका परिणाम बुरा होगा, हमे वह सब बदलाना चाहिए।
समय के साथ बहुत सारी चीजे बदल रही है इसलिए हमें भी बदलाना चाहिए। इतने सारे अविष्कार हो रहे। हमारी बुद्धिमत्ता मत आया है कि अय्ययन, ज्ञान और बुद्धि और ज्ञानी लोगो की सलाह से हम सारे चीज में परिवर्तन कर सकते है।
हमें पुरानी पद्धति छोड़नी चाहिए और एक पिकासशील समाज बनाना चाहिए। अगर एक गांव पुराना है तो उसे बदलकर एक आयुनिक गाव बनाया जा सकता है। इसमें परिवर्तन करने से उसमें साक्षरता आएगी और सारे लोग शिक्षित होंगे। वहां बहुत सारी उद्योग खुलेंगे और लोग जागरूक होंगे जिस कारण उनकी जीविका में बढ़ोतरी होगी और वह नये-नये चीज जानने को अग्रसर होगे, जिनसे उसमे साक्षरता बढ़ेगी। हमें अपनी देश में बहुत परिवर्तन करना चाहिए क्योंकि अभी भी बहुत राज्यों में पुरानी चीजो की मान्यता है। अपनी जगह पर किन्तु परिवर्तन से हम उसे एक आधुनिक राज्य बनने से सारे लोग साक्षर बनेगे।
उनमें शिक्षा पद्धति की उन्नति होगी और अपने बच्चों को शिक्षा देने में वह पीछे नहीं हटेगे। जिसके कारण हमारा देश ऊंचा होगा।
एक कुम्हार मिट्टी को बदलना आरंभ करता है। वह उसे पहले मलता है उसे सानता। फिर उसे इतनी मुलायम बनाता है। उसके पश्चात उसे चरके पर रखकर उसे एक आकार देता हैं और यह परिवर्तन के कारन से ही संभव हुआ है। मिट्टी में परिवर्तन होते होते विभिन्न प्रतिक्रिया से गणरने के पश्चात ही एक मिट्टी घड़े का आकार लेती है। यह परिवर्तन के कारण ही मुमकिन है।
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