Thomas Alva Edison in Hindi Essay & Biography थॉमस एडिसन की जीवनी
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Thomas Alva Edison in Hindi
एक प्रचलित कहावत है ‘एक जीनियस का अर्थ है- एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानवे प्रतिशत परिश्रम।’ अमेरिका के इस विशिष्ट आविष्कारक को 1093 आविष्कार (पेटेंटस) करने का श्रेय जाता है। विद्युत बल्ब, रिकॉर्ड किए गए संगीत, चलचित्र इत्यादि ये सारे आविष्कार इसी महान जीनियस की देन हैं।
थॉमस एल्वा एडीसन का जन्म अमेरिका में मिलान नामक शहर में 11 फरवरी 1847 को डच परिवार में हुआ था। उनके पिता सेमुअल आग्डन एडीसन एक लाइट हाऊस के इंचार्ज थे। एडीसन बचपन से ही विचारशील थे और विद्यालय में भी अपने विचारों में डूबे रहते थे। इस बात से उनके अध्यापक बड़े रुष्ट थे। एडीसन की माँ नैंसी मैथ्यु इलियट ने स्कूल के अध्यापकों से बातचीत की तो उसे कोई भी संतोषजनक उत्तर न मिला। वे समझते थे कि लड़का बिल्कुल बुद्धु है। इससे नाराज होकर माँ ने एडीसन का स्कूल छुड़वा दिया। किन्तु वह सबको कहती कि उसका बेटा बड़ा व्यक्ति बनेगा। माँ के इसी विश्वास से एडीसन को उत्साह मिलता और वह अपनी खोज में लग जाता। माँ उसे खाने के लिए बुलाती पर वह कमरे से बाहर न निकलता। वह खाना कमरे में रख देती तो खाना वैसे ही पड़ा रहता। जब वह मात्र दस वर्ष के थे तो उन्होंने अपने पिता के कार्यस्थल की बेसमैंट में एक प्रयोगशाला बनाई। मात्र 12 वर्ष की आयु से ही ट्रेनों में अख़बार तथा टॉफियाँ बेचते और बाकी समय अपनी ख़ोजों में लगे रहते। वह जो भी पैसा कमाते, उसे खोज के काम में लगा देते।
एक गहन निरीक्षक होने के नाते उन्हें एक टेलीग्राफ़र के तौर पर नौकरी मिल गई। परन्तु वहाँ पर उनका मन नहीं लगा। पाँच वर्षों तक एडीसन अलग-अलग कम्पनियों में नौकरी करते रहे। वे अपने परिश्रम से शीघ्र ही काम निपटा लेते थे। ख़ाली समय में वे अपने प्रयोग कर लिया करते थे।
अपने कार्य को आगे बढ़ाने के लिए धन की आवश्यकता थी, इसलिए वह न्यूयॉर्क चले गये। वहाँ इन्होंने एक साधारण सा कमरा किराये पर लिया, जिसमें एक मशीन लगी हुई थी। एक दिन मशीन चलते-चलते एकाएक रुक गई । कम्पनी का सारा काम ठप्प हो गया। कम्पनी के मैनेजर उसे ठीक करने के लिए कारीगरों को बुलाया पर वे उस मशीन को चालू न कर सके। एडीसन यह सब देख रहे थे। उन्होंने अपनी योग्यता से मशीन को बिल्कुल ठीक कर दिया। उनके काम से मैनेजर बहुत प्रसन्न हुआ। उसने एडीसन को कम्पनी में तीन सौ डॉलर मासिक वेतन पर नौकरी पर रख लिया। आर्थिक समस्या हल हो जाने पर पुनः प्रयोगों का सिलसिला आरम्भ हुआ।
एक टेलीग्राफ़ कम्पनी में सुपरवाइज़र के तौर पर काम करते हुए उन्होंने एक स्टॉक प्रिंटर का निर्माण किया। इस प्रिंटर के निर्माण से मिले पैसों से उन्होंने अपने शोधकार्य तथा प्रयोगों को जारी रखने के लिए प्रयोगशाला का निर्माण करवाया।
पहले सिनेमा में केवल चलती-फिरती तस्वीरें ही होती थी। वे बोलती नहीं थी। एडीसन ने उनमें आवाज़ भरी, बेतार का तार, टाइपराइटर और टेलीफ़ोन को भी उन्होंने अधिक उपयोगी बनाया। एडीसन ने थोडे ही दिनों में संकेत भेजने की एक मशीन बनाई। जिसके लिए उन्हें पुरस्कार में चालीस हजार डॉलर मिले। इस धन से उन्होंने अपनी प्रयोगशाला स्थापित कर ली।
उन्होंने पौधों का परीक्षण करके एक ऐसा पौधा खोज निकाला जिससे रबड़ तैयार किया गया। सन् 1878 में उन्होंने लाइट बल्ब का प्रदर्शन किया। यह एक कार्बन फिलामैंट वाला इलैक्ट्रिक बल्ब था किन्तु बिजली को प्रकाश के रूप में बदलने का आविष्कार एडीसन ने 27 जनवरी 1880 को किया। जब एडीसन इलैक्ट्रिकल लैंप पर प्रयोग कर रहे थे तो उन्होंने एडीसन इफैक्ट नामक एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त का प्रतिपादन किया था। इस खोज़ के चलते इलैक्ट्रॉन वाल्वज़ का आविष्कार भी संभव हुआ। ध्वनि पैदा करने और उसे रिकॉर्ड करने वाली फ़ोनोग्रॉफ़ मशीन की ख़ोज की। जिसने मानवीय आवाज को अमर बना दिया।
सन् 1882 में उन्होंने पावर जैनरेटिंग स्टेशन की स्थापना की। जो कि न्यूयार्क के कुछ घरों को बिजली की आपूर्ति करता था। आगे जाकर उन्होंने काइनेटोग्राफ़ का आविष्कार किया। यह आधुनिक मोशन पिक्चर कैमरे के निर्माण की ओर पहला कदम था। आज के सिनेमा घर
आविष्कारों के आविष्कारक एडीसन के कारण ही हमारे सामने हैं। उनके अन्य आविष्कारों में शामिल है एक्स-रेज, टेलीफ़ोन तथा अन्य इलैक्ट्रिक उत्पाद ने अमेरिका का एक धनवान व्यक्ति बना दिया।
एडीसन बहुत ही परिश्रमी थे। वे अपनी धुन के पक्के थे। वे आराम करना तो जानते ही नहीं थे। तीन-चार घंटे ही रात में सोते थे। वे दिनरात में बीस-बीस घंटे काम करते थे। निरन्तर परिश्रम अनुपम कल्पनास्मरण शक्ति असीम धैर्य द्वारा ही उन्होंने सफलता पाई। सफलता की कुंजी के रूप में उनके कहे ये शब्द बहुत मूल्यवान है- “हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है, सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है कि हमेशा एक और बार प्रयास करना क्योंकि जब आप असफल होते हैं और काम को छोड़ देते हो, तब आप सफलता के बहुत करीब होते हो।” जीवन के अंतिम क्षणों तक एडीसन काम में लगे रहे। उन्हें पक्षियों से बहुत प्यार था। इसलिए उन्होंने एक पक्षीगृह बनवाया था। जिससे पक्षियों की पाँच हजार प्रजातियां थी।
उन्हें प्रथम औद्योगिक अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय जाता है। उनके जीवनकाल से ही उनकी प्रयोगशाला, उपकरण मशीनें आदि अजायबघर के रूप में परिवर्तित होने लगी थी। इस जीनियस आविष्कारक का 18 अक्तूबर 1931 को देहावसान हो गया। सन् 1962 में उनकी वेस्ट आरेज स्थित प्रयोगशाला भी राष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में परिवर्तित हो गई। अपने आविष्कारों के द्वारा विश्व के महानतम वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडीसन आज भी अमर हैं।
“एडीसन ने राष्ट्र ही नहीं दुनिया को बहुत कुछ दिया।”
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