Ugadi or Gudi Padwa in Hindi Essay उगादी या गुड़ी पड़वा पर निबंध
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Ugadi or Gudi Padwa in Hindi Essay
गुड़ी पड़वा शब्द में गुड़ी का अर्थ होता है विजय पताका और पड़वा प्रतिपदा को कहा जाता है। सभी युगो में सबसे पहले सतयुग की शुरुआत इसी तिथि से हुई। कहते है की उगादी या गुड़ी पड़वा के दिन ही यानि की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्माजी ने श्रिष्टि की रचना का कार्य शुरू किया था। वर्ष प्रतिपदा के दिन ही ब्रम्हा जी ने संसार का निर्माण किया था, और इसी कारण इस दिन को नव संवत्सर यानि नए साल के रूप में मनाया जाता है। यही कारन है की इसे सृष्टि का प्रथम दिन भी कहते है। उगादी या गुड़ी पड़वा पर्व को चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसके इलावा इसे वर्ष प्रतिपदा या उगादि भी कहा जाता है।
उगादी या गुड़ी पड़वा पर्व से जुडी कई कथाएं है जो की हिन्दू सनातन धरम में मिल जाती है। इनमे से एक कथा है की इस दिन भगवान श्री राम ने बाली पर विजय प्राप्त कर के लोगो को उसके अत्याचार और कुशाशन से मुक्ति दिलाई। इसी ख़ुशी में हर घर में गुड़ी यानि की विजय पताका फहराई जाती है। आज भी यह परंपरा महाराष्ट्र और कुछ अन्य स्थानों पर प्रचलित है, जहां हर घर में उगादी या गुड़ी पड़वा के दिन गुड़ी फहराई जाती है। वही भगवान श्री राम और राजा युधिष्टर का राज्य अभिषेक भी इसी दिन हुआ था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही पूर्व जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रमणी लोगो के भारत की रक्षा की और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ हुई।
पौराणिक कथाओ के अनुसार चैत्र नवरात्रे के पहले दिन शक्ति प्रगट हुई थी। इन सब के इलावा महान गणितज्ञ- भास्कराचार्य द्वारा इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर पंचांग की रचना की गई थी।
इसे हिन्दू केलिन्डर का पहला दिन भी कहते है। अब आप भी सोच रहे होंगे की हिन्दू केलिन्डर का क्या मतलब है? नया साल तो सभी 1 जनवरी को मनाते है लेकिन आपको बता दे की 1 जनवरी को मनाये जाने वाला नव वर्ष western culture से प्रेरित है। सृष्टि के निर्माण का यह दिन हरेक भारतीय के लिए एहम है, जिसमे बारह महीने कुछ इस प्रकार होते है – चैत्र, वैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, अग्रहायण, पौष, माघ, फाल्गुन। तो यदि हम भारतीय संस्कृति यानि की हिन्दू केलिन्डर की बात करे तो हमारा नया साल उगादी या गुड़ी पड़वा से ही शुरू होता है। इस उगादी या गुड़ी पड़वा पर्व को हिन्दू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है, इसलिए हिन्दू धर्म के सभी लोग इसे अलग-अलग तरह से पर्व के रूप में मनाते हैं। सामान्य तौर पर इस दिन हिन्दू परिवारों में गुड़ी का पूजन कर इसे घर के द्वार पर लगाया जाता है और घर के दरवाजों पर आम के पत्तों से बना बंदनवार सजाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि यह बंदनवार घर में सुख, समृद्धि और खुशियां लाता है। हिन्दू परिवारों में उगादी या गुड़ी पड़वा के दिन पूरनपोली नामक मीठा व्यंजन बनाने की परंपरा है, जिसे घी और शक्कर के साथ खाया जाता है। इस दिन मराठी परिवारों में खास तौर से श्रीखंड बनाया जाता है, और अन्य व्यंजनों व पूरी के साथ परोसा जाता है। आंध्रप्रदेश में इस दिन प्रत्येक घर में पच्चड़ी प्रसाद बनाकर वितरित किया जाता है। उगादी या गुड़ी पड़वा के दिन नीम की पत्तियां खाने का भी विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नीम की कोपलें खाकर गुड़ खाया जाता है। इसे कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है।