Unemployment Essay in Hindi (Berojgari) बेरोजगारी बेकारी पर निबंध
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Unemployment Essay in Hindi 300 Words
Unemployment Essay in Hindi 300 Words (Berojgari)
बेरोजगारी पर निबंध
जो व्यक्ति काम करना चाहता है और ईमानदारी से नौकरी की तलाश कर रहा है, पर उसे किसी भी कारण नौकरी नहीं मिल रही, उन्हें बेरोजगार कहा जाता है। बेरोजगारी एक विश्वव्यापी अभिशाप है जिसे न्यायालयों बीमारी की मां के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह बेईमानी, भ्रष्टाचार और झूठ को प्रोत्साहित करता है। यह मानव चरित्र के अंधेरे पक्ष को विकसित करता है। गरीबी, जनसंख्या, प्रभावी शिक्षा प्रणाली और औद्योगिक विकास पर बेरोजगारी के विभिन्न कारण हैं। इसी तरह इस विशाल समस्या की जांच करने के लिए कई कदम हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार इस समस्या से पूरी तरह अवगत है लेकिन इस समस्या की जांच करने के लिए त्वरित उपचार की आवश्यकता है।
गरीबी और बढ़ती हुई भारत की जनसंख्या बेरोजगारी के मुख्य कारण है। मोटे तौर पर यह कहना मुश्किल है कि एक व्यक्ति से सच्चाई, बड़प्पन और ईमानदारी की अपेक्षा करना चाहिए जो दिन में दो वर्गों में भोजन नहीं कर सकते। वह स्वयं की गरिमा की भावना खो देता है क्योंकि उसे सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है। वह नैतिकता के बजाय अपने अस्तित्व के बारे में चिंतित हैं। इसलिए, गरीबी राज्य के लिए एक बड़ा खतरा है। जनसंख्या का तेजी से विकास बेरोजगारी का कारण है। बढ़ती आबादी के साथ-साथ यह समस्या भी विकसित हुई है।
बेरोजगारी के लिए हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है। यह बड़ी संख्या में छात्रों को पैदा करता है, जिन्हें सिर्फ सैद्धांतिक शिक्षा का विशुद्ध साहित्यिक पढ़ाया जाता है और तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा का शायद ही कोई प्रावधान है। तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा न होने के कारण बेरोजगारी बढ़ जाती है। गरीबी, बढ़ती आबादी, शिक्षा के इलावा भी ऐसे बहुत से कारण है जो बेरोजगारी को बढ़ावा दे रहे है, जैसे कि मंदा औद्योगिक विकास, कुटीर उद्योग में गिरावट, मौसमी व्यवसाय, विदेशी कंपनियां और राजनैतिक अस्थिरता।
बेरोजगारी ही समाज की विभिन समस्याओं का कारण है, इसलिए सरकार को जल्दी से जल्दी इस बीमारी को जड़ से निकलना होगा। हलाकि सरकार द्वारा पहले भी बहुत सारी योजनाए बनाई जा चुकी है, जो प्रभाव-शाली नहीं रही है। अगर अभी कठोर कदम नहीं उठाये गए तो आने वाले समय में बेरोजगारी और भी नई समस्याएं पैदा कर सकती है।
Unemployment Essay in Hindi 1000 Words
युवावर्ग और बेकारी
आजकल अनपढ़ तो किसी न किसी प्रकार से अपनी आजीविका कमा लेते हैं परन्तु पढ़े लिखे अपनी आजीविका कमाने में असमर्थ हैं।
देश में युवावर्ग की बेकारी का मुख्य कारण उचित शिक्षा का अभाव है। कितने दु:ख की बात है कि विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पर अपने माँ बाप का इतना पैसा खर्च करवाते हैं परन्तु फिर भी उनकी शिक्षा के अनुरूप उनको कोई नौकरी नहीं मिल पाती। इस वर्तमान शिक्षा प्रणाली का सारा दोष लार्ड मैकाले को जाता है, जिसने इस देश में नौकर और गुलाम पैदा करने के लिए ही मानो यह व्यवस्था कायम की थी।
आज के युग में जब शिक्षा के द्वार सभी के लिए खुले हुए हैं बिना उचित योग्यता के आज युवा वर्ग वैज्ञानिक, इन्जीनियर, अध्यापक या कम्प्यूटर का शिक्षक बनने के लिए प्रयत्नशील है। इतना ही नहीं, वह ऊँचे से ऊंचा प्रशिक्षण प्राप्त करके तकनीकी विशेषज्ञ की नौकरी तलाश करता है क्योंकि आर्थिक तंगी के कारण वह कोई फैक्टरी नहीं चला सकता।
पहले लोग सारा कार्य अपने हाथों से करते थे। कहीं सूत काता जाता था, कहीं कपड़े बुने जाते थे जिससे लोग घरेलू उद्योग धन्धों द्वारा अपनी आजीविका कमाते थे। परन्तु मशीनों का युग आते ही बड़े-बड़े कारखाने लगाए गए जिससे सौ व्यक्तियों का काम एक ही मशीन कर देती है। इससे बेकारी को बढ़ावा मिला तथा छोटे मोटे उद्योग बन्द होने आरम्भ हो गए।
हमारे देश में जनसंख्या में दिन प्रति दिन अत्याधिक वृद्धि हो रही है। वर्ष भर में जितने व्यक्तियों को काम पर लगाया जाता है, उससे कई गुणा अधिक बेकारी की संख्या को बढ़ा देते हैं। आज के युवा वर्ग में मिथ्या स्वाभिमान पाया जाता है। वह भूखा मरना तो पसन्द करता है परन्तु कोई छोटा सा कारोबार या छोटा उद्योग लगाकर अपना जीवन बिताना पसन्द नहीं करता। आज का युवक केवल कार्यालय का बाबू बनना ज्यादा पसन्द करता है।
हमारी सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था बेकारी बढ़ाने में अपना पूरा योगदान प्रदान करती है। साधु संन्यासियों को दान देना पुण्य का कार्य समझा जाता है जिससे कई हृष्ट-पुष्ट व्यक्तियों ने इसे अपना व्यवसाय बना लिया है। इससे बेकारी में लगातार वृद्धि होती जा रही है। हमारा सामाजिक ढाँचा ही कुछ ऐसा बन गया है कि व्यवस्था के अनुसार विशेष वर्ग के लोगों के लिए विशेष कार्य हैं, जिन्हें करना विशेष वर्ग का व्यक्ति अपना परम कर्तव्य समझता है।
बेरोज़गारी के कारण नवयुवकों में असन्तोष की भावना पाई जाती है जिससे समाज में अव्यवस्था और अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यदि इस समस्या का हल शीघ्र न निकाला गया तो यह स्थिति विकराल रूप धारण कर सकती है, जिस पर काबू पाना कठिन हो जाएगा।
सबसे पहले हमें शिक्षा प्रणाली में सुधार करने होंगे। शिक्षा केवल किताबी न होकर व्यावहारिक होनी चाहिए। ऐसे प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएं जहां विद्यार्थी बारहवीं की पढ़ाई पूरी करके साथ में पढ़ भी सकें और साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकें ताकि बाद में उनको व्यवसाय के लिए परेशानी न उठानी पड़े।
छोटे-छोटे उद्योग धन्धों जैसे सूत कातना, कपड़े बुनना, शहद तैयार करना, इत्यादि का विकास किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।
बेकारी की समस्या को कम करने के लिए देश में बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगानी होगी। हमें आत्म संयम से रहना होगा, परिवार नियोजन की योजनाओं को और अधिक कारगर ढंग से लागू करना चाहिए। विवाह की आयु का नियम सारे देश में एक समान होना चाहिए।
आज भारत देश में लोग आलसी होते जा रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति मेहनत द्वारा रोटी कमाकर खाने की बजाए पकी-पकाई रोटी खाना चाहता है। सभी सरल कार्य करके रातों रात अमीर बनने के सपने देखते हैं। इसलिए हमें अपने इस आलस्य को दूर करना होगा और कोई न कोई धन्धा अपनाकर अपना गुजारा करना होगा।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। बेकारी की समस्या जितनी शहरों में है उतनी ही गावों में भी है। गांवों में छोटे-छोटे उद्योगों का विकास होना चाहिए ताकि गांव के लोगों को नौकरी के लिए शहर न आना पड़े।
भारत सरकार बेकारी की समस्या को हल करने के लिए जागरूक है। इस दिशा में उसने महत्त्वपूर्ण कदम उठाए भी हैं। बैंकों का राष्ट्रीयकरण, परिवार नियोजन, कच्चा माल एक दूसरे स्थान पर ले जाने की सुविधा, कृषि भूमि की हदबन्दी, नए नए उद्योगों की स्थापना, प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना आदि अनेक ऐसे कार्य हैं, जो बेरोजगारी दूर करने में कुछ सीमा तक सहायक सिद्ध हुए हैं।
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