Vastavik athva kalpanik vayuyan yatra ka varnan karte hue apne mitra ko patra

Vastavik athva kalpanik vayuyan yatra ka varnan karte hue apne mitra ko patra in Hindi for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. After reading this you can write a letter in your own words and impress examiner in letter writing.

Vastavik athva kalpanik vayuyan yatra ka varnan karte hue apne mitra ko patra

Vastavik Athva kalpanik Vayuyan Yatra ka Varnan Karte hue Apne Mitra ko Patra

वास्तविक अथवा काल्पनिक वायुयान-यात्रा के आनंद का वर्णन करते हुए अपने मित्र/सखी को पत्र लिखिए।

सुरेखा
26, कलंदर चौक
पानीपत
16 मार्च, 2008
प्रिय नीलिमा!

कैसी हो?

आशा है, सानंद होगी। मैं अभी-अभी बंगलौर-यात्रा से लौटी हूँ। बड़ी बात यह है कि मैंने यह यात्रा हवाई जहाज से की। मेरे लिए यह पहली हवाई यात्रा थी। इस यात्रा ने मुझे बहुत रोमांचित किया।

मुझे पिताजी ने जब इस यात्रा के बारे में बताया, मैं तभी से बहुत प्रसन्न थी। दिल्ली हवाई अड्डे पर तो मानो मेरे पाँव जमीन पर न पड़ते थे। हवाई अड्डे में हमारी तथा हमारे सामान की कई जगह तलाशी ली गई। हम यात्रा एक घंटे पहले अड्डे पर पहुँचे। वहाँ हमें कुछ निर्देश मिले। हवाई अड्डे पर किसी प्रकार की भगदड़ नहीं थी। सब कुछ ऐसे शांति से चल रहा था, मानो सभी यात्री रोज ही हवाई जहाज पर सफर करते हों। बात यह है कि सभी की सीटें तो सुरक्षित थीं। फिर भगदड़ कैसी?

समय आने पर हमें मौसम तथा अन्य सामान्य व्यवहारों के बारे में निर्देश दिए गए। फिर हवाई जहाज उड़ा तो मुझे झुरझुरी होने लगी। या पता नहीं, कल्पना से ही मैं रोमांचित हो उठी। जब जहाज़ आकाश में पहुँचा तो हमें यों लगा मानो हम पंखों पर फिसल-से रहे हैं। मैंने नीचे की ओर निहारा तो धरती बेहद रंगीन चित्र-सा प्रतीत हुई। लोग चींटियों की भाँति दिखे। कहीं पहाड़, कहीं नगर, कहीं खेत–मिनटों में दृश्य बदलते थे। तभी एयर होस्टेस हमारे लिए नाश्ता ले आई। सामने चावल-राजमा कुछ सब्जियों से भरी प्लेटें थीं। इतने लंबे चावल मैंने पहली बार देखे थे। बहुत वादिष्ट। घंटे बाद कॉफी, चाय या अन्य पेय आए। बीच-बीच में माइक से कुछ निर्देश मिल रहे थे।

एक घंटे बाद सभी यात्रियों को बताया गया कि वे पेटी बाँध लें। सबको बंगलौर के मौसम के बारे में बताया गया। जब जहाज नीचे उतरने लगा तो मुझे बहुत डर लगा। मुझे इस यात्रा में अनेक प्रकार के रोमांचकारी अनुभव हुए।

आशा है, तुम्हें यह सुनकर मज़ा आया होगा। शेष बातें मिलने पर।

तुम्हारी सखी
सुरेखा।

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