Vidyalay ke Varshikotsav ka Varnan karte hue Mitra ko Patra in Hindi
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Vidyalay ke Varshikotsav ka Varnan karte hue Mitra ko Patra in Hindi
छोटे भाई/ मित्र को पत्र लिखिए जिसमें विद्यालय के वार्षिकोत्सव का वर्णन किया गया हो। विद्यालय वार्षिकोत्सव के विषय में मित्र को पत्र।
परीक्षा भवन
दिल्ली पब्लिक स्कूल
गुड़गाँव
15 मार्च, 2008
प्रिय राकेश
स्नेह!
कैसे हो? आशा है सदा की तरह प्रसन्न होंगे। आज हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव था। यह कार्यक्रम इतना प्रभावशाली था कि तुम्हें उसके बारे में लिखने के लिए मन अधीर हो गया है।
प्रिय राकेश, मैंने पिछले सप्ताह तुम्हें लिखा था कि इस बार हमारे विद्यालय के वार्षिकोत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आना निश्चित हुआ था। उनके आगमन के कारण हमारे विद्यालय में बहत उत्साह था। छात्र और अध्यापक उन्हें नजदीक से देखने और सुनने को बेचैन थे। विद्यालय को सादगी से सजाया गया था। जगह-जगह पर छात्राओं ने रंगोली के मनमोहक रंगों से डिजाइन बनाए थे। मुख्य द्वार को गेंदे के फूलों से लाद दिया गया था। विद्यालय के बैंड वादक, एन।सी।सी। और स्काउट के छात्र मुख्य अतिथि के स्वागत के लिए द्वार के बाहर तैयार खड़े थे।
ठीक 10।30 पर नरेंद्र मोदी जी सफेद धोती-कुर्ता पहने पधारे। प्रबंधक समिति के सदस्यों तथा प्रधानाचार्य ने उनका फलमाला से स्वागत किया। बैंड की ध्वनि पूँज उठी। एन।सी।सी। के कैडेट्स ने परेड करते हुए सलामी दी। स्काउट्स ने अनुशाशन का परिचय दिया। मुख्य द्वार पर खड़े छात्रा-दल ने पुष्प वर्षा से उनका अभिवादन किया। मोदी जी मंद-मंद मुस्कान से स्वागत का सुख लेते रहे।
11।45 पर मोदी जी ने नई विज्ञान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया। 11।00 बजे मंच के कार्यक्रम शुरू हुए। मुख्य अतिथि ने सरस्वती की मूर्ति के सामने दीपक जलाया। कन्याओं ने सरस्वती-गायन किया। तत्पश्चात् छात्रों ने व्यायाम-योग, जूडो-कराटे, मलखंभ, लेजियम, डंबल, पताका-योग के आकर्षक कार्यक्रम दिखाए। लड़कियों ने भंगड़ा, कत्थक, मणिपुरी आदि विभिन्न नृत्यों की मनमोहक झलकियाँ प्रस्तुत की। दो छात्रों ने स्वरचित कविताएँ सुनाईं। ये कार्यक्रम इतने मनमोहक थे कि एक घंटा पल भर में बीत गया।
मनोरम कार्यक्रमों के पश्चात् प्राचार्य महोदय ने विद्यालय की प्रगति का विवरण दिया। विद्यालय की चहुंमुखी उन्नति की सबने सराहना की। प्रिय मनोज, जब लड़कों ने मेरे बोर्ड भर में प्रथम आने की सूचना पर तालियाँ बजाई तो मुझे बहुत अच्छा लगा। प्राचार्य महोदय ने मोदी जी का अत्यंत भव्य परिचय दिया। उनके परिचय की एक पंक्ति मुझे छू गई ये हमारे राष्ट्र के बेदाग भविष्य हैं जो वर्षों काजल की कोठरी में रहकर भी उज्ज्वल बने रहे हैं।
अंत में मोदी जी बोलने के लिए उठे। सारा विद्यालय मानो थम गया। पत्ते तक मानो कान लगाकर सुनने के लिए अधीर थे। उनके एक-एक शब्द में प्रेरणा का जादू था। उन्होंने राजनीति पर एक शब्द भी नहीं बोला। वे हम छात्रों के अध्ययन और जीवन-लक्ष्य पर बोले। उन्होंने अपने छात्र-जीवन के रोचक संस्मरण सुनाए। उन्होंने हमें प्रेरणा दी कि हम ‘स्वतंत्र’ होने के लिए अपने ‘स्व’ को पहचानें, स्व ‘देश’ को जानें, अपनी संस्कृति, सभ्यता को जानें तथा उसी के लिए जिएँ-मरें। सचमुच उनके भाषण में जादू था। मैं तो उनके भाषण पर इतना मंत्रमुग्ध था कि कब कार्यक्रम समाप्त हुआ, मुझे पता ही नहीं चला। काश! तू भी इस कार्यक्रम में होता !
अच्छा ! बहुत देर हो गई है। माताजी को मेरी ओर से प्रणाम कहना। पढ़ाई का ध्यान रखना।
तुम्हारा भाई
पार्थ
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