वृक्षारोपण पर निबंध Vriksharopan Essay in Hindi – Tree Plantation Essay in Hindi
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Vriksharopan Essay in Hindi वृक्षारोपण पर निबंध
Vriksharopan Essay in Hindi 700 Words
वृक्ष मनुष्य के आदिम सहचर हैं। समूची मानव सभ्यता के निर्माण प्रक्रिया के वे साक्षी रहें हैं। सिर्फ साक्षी ही नहीं रहे अपितु वे उसके माध्यम और अनिवार्य साधन भी रहे हैं। उनके अभाव में हम कभी भी इस बात की कल्पना नहीं कर सकते कि मानव समाज इस प्रकार अपनी विराट सभ्यता की इमारत खड़ी कर सकता था। वस्तुत: मानव सभ्यता की नींव में इन वृक्षों की सुदृढ़ जड़ों का ही सुफल रहा है कि हम मानव समाज का इस भांति विकास कर सकें।
मात्र प्राकृतिक संसाधनों के रूप में ही नहीं अपितु हमें अमूल्य जीवन देने में भी वृक्षों और वनों का महनीय योगदान रहा है। वृक्ष ऐसी जीवनदायिनी वायु का विसर्जन हमारे वायुमण्डल में करते हैं, जिसको ग्रहण कर हम अपने जीवन को निरन्तर गतिशील बनाए रखते हैं। इस दृष्टि से देखें तो सहज ही कहा जा सकता है कि अगर अनिवार्य रूप से कोई वस्तु मानवीय जीवन का आधार स्तम्भ रही है तो वह है ‘वृक्ष’। अतः यह हमारी नैतिक एवं सैद्धांतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम उस वस्तु के प्रति सदैव एक संरक्षक की भूमिका में रहें जो मूल भाव से हमें जीवन देती है।
किसी समय में हमारी पृथ्वी का 90 प्रतिशत भाग वनाच्छादित हुआ करता था। सर्वत्र हरियाली और हरितमा का निवास होता था। किन्तु आज स्थिति वैसी नहीं रही। मानव सभ्यता ने विकास की अंधी दौड़ में शामिल होकर अपने आदिम साथी को बेताहाशा बर्बाद किया है। विकास के नाम पर जंगल पर जंगल काट डाले गए। इससे सबसे बड़ा संकट स्वयं मानव समाज और मानव जीवन के समक्ष ही खड़ा हो गया है। वायुमण्डल में हानिकारक गैसें बढ़ती जा रही हैं और जीवनदायक ऑक्सीजन निरन्तर कम होती जा रही है। वृक्ष मानव के ऐसे साथी हैं जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन को सुगम बनाने का कार्य करते हैं। वो वायुमण्डल से उन तमाम विषैली गैसों का शोधन कर लेते हैं जो नकारात्मक रूप से मानव समाज को प्रभावित करती हैं। इनमें सर्वाधिक प्रमुख गैस है नाइट्रोजन। आज हमारे वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस की मात्रा आवश्यकता से कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है। हालाँकि उसकी 0.31 मात्रा जीवन के लिए आवश्यक होती है किन्तु उसकी अत्यधिक मात्रा अन्तत: जीवन को नष्ट करने वाली सिद्ध होती है।
इसी के साथ वन हमारे जीवन को अन्य कई प्रकारों से भी सुगम और सुखद बनाने का कार्य करते हैं। उनकी उपयुक्त स्थिति पृथ्वी में असंख्य ऐसे गुणों को उत्पन्न करती है जिनसे कृषि आदि कार्य उन्नत होते हैं और मानव को उपभोग योग्य वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में सुलभ होती हैं। वन मृदा क्षरण और अपरदन को नियंत्रित करते हैं, जिससे उपजाऊ मिट्टी बहकर नष्ट नही होती और साथ ही उनकी शक्तिशाली उपस्थिति बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी नियंत्रित करती है। इसी के साथ वन औसतन अच्छी वर्षा के भी कारण होते हैं। वे वर्षा के पानी को जमीन के अन्दर स्थानान्तरित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जैसा कि हम सभी लोग जानते ही हैं कि हमारे जीवन की अत्यंत आवश्यक वस्तुएं प्रायः हमें वनोत्पादों से ही प्राप्त होती हैं। अत: इस बात को समझ पाना बहुत ही सहज है कि अगर वनों का विनाश इसी गति से कुछ और समय तक चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमें अपने जीवन को गतिशील बनायें रखने के लिए अनेकानेक भयावह संकटों का सामना करना पड़ेगा।
आज समूचे मानव समाज की आवश्यकता है – वनों एवं वृक्षों का संरक्षण। इसके बिना हम अपने अच्छे भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते। इसके लिए हमें और हमारी सरकार को गंभीरता के साथ सोचना चाहिए। इस विकट स्थिति से उबरने का एक महत्वपूर्ण रास्ता हो सकता है व्यवस्थित रूप से वृक्षारोपण को महत्व देना। सरकारी, गैर सरकारी एवं व्यक्तिगत संस्थाओं को अपने स्तर पर इस योजना को अपनाना चाहिए एवं पूरी ईमानदारी से इसका निर्वाह करना चाहिए। हमें और आपको भी अपने व्यक्तिगत जीवन में वृक्षारोपण की आदत विकसित करनी चाहिए।
इसी के साथ सरकार को अनेक ऐसे कठोर कानून बनाने चाहिए जिससे गैर कानूनी रूप से हो रही वनों की कटाई को रोका जा सके। इसके लिए वनों को पूर्ण रूप से संरक्षित क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए। इन उपायों को प्रभावी तौर पर ग्रहण करके ही हम वन संपदा को बचाकर रख सकते हैं।